Changes

Jump to navigation Jump to search
नया लेख बनाया
Line 19: Line 19:     
=== वर्तमान रूप ===
 
=== वर्तमान रूप ===
<blockquote>पुंसवन संस्कार में पुंसा शब्द का अर्थ है पुमान अर्थात पुरुषार्थ है ।याह एक गुणवाचक शब्द है । पुरुषत्व शब्द से  धैर्य , वीरता , शक्ति , विद्वता , धर्मपरायणता , मानवता आदि के गुण का प्रत्यय होता है । यह सद्गुण पुरुष के साथ-साथ स्त्री में भी होना चाहिए | इस भाव संस्कार मी निहित है । पुरुषत्व शब्द का विलोम शब्द ' नपुंसक ' है, जिसका अर्थ है ऐसा व्यक्ति जिसमें उपरोक्त गुणों का अभाव हो । क्षमा , धैर्य , वीरता , विद्वता , धर्मपरायणता आदि पुरुषों और महिलाओं दोनों में समान रूप से हो सकता हैं। आजकल तो पराक्रम , विध्याभ्यास , धनार्जन आदि क्षेत्रो में समानता पाई जाती है। अत:  पुंसवन संस्कार का अर्थ ऐसा किया जाना चाहिए कि एक गर्भवती महिला को एक पौरुषयुक्त  बेटे या बेटी को जन्म देना चाहिए। उसके लिए ईश्वर से प्रार्थना की जाती है  कि संतान  बुद्धिमान , वीर , धैर्यवान , धर्मपरायण , स्वस्थ और सुंदर हो ।</blockquote>
+
<blockquote>पुंसवन संस्कार में पुंसा शब्द का अर्थ है पुमान अर्थात पुरुषार्थ है ।याह एक गुणवाचक शब्द है । पुरुषत्व शब्द से  धैर्य , वीरता , शक्ति , विद्वता , धर्मपरायणता , मानवता आदि के गुण का प्रत्यय होता है । यह सद्गुण पुरुष के साथ-साथ स्त्री में भी होना चाहिए | इस भाव संस्कार मी निहित है । पुरुषत्व शब्द का विलोम शब्द ' नपुंसक ' है, जिसका अर्थ है ऐसा व्यक्ति जिसमें उपरोक्त गुणों का अभाव हो । क्षमा , धैर्य , वीरता , विद्वता , धर्मपरायणता आदि पुरुषों और महिलाओं दोनों में समान रूप से हो सकता हैं। आजकल तो पराक्रम , विध्याभ्यास , धनार्जन आदि क्षेत्रो में समानता पाई जाती है। अत:  पुंसवन संस्कार का अर्थ ऐसा किया जाना चाहिए कि एक गर्भवती महिला को एक पौरुषयुक्त  बेटे या बेटी को जन्म देना चाहिए। उसके लिए ईश्वर से प्रार्थना की जाती है  कि संतान  बुद्धिमान , वीर , धैर्यवान , धर्मपरायण , स्वस्थ और सुंदर हो । गर्भावस्था के बाद दूसरे या तीसरे महीने के शुभ दिन पर यह संस्कार किया जा सकता है , मां मन से सर्वश्रेष्ठ गुणवत्तापूर्ण संतान होने का संकल्प करती है। संकल्प की अपनी शक्ति होती है , मां बनने वाली स्त्री उस संकल्प की पूर्ति के लिए भगवान का ध्यान करती है। वे जितना अधिक शुभ और मंगल विचार करेगी उतना ही उनकी मनोधारना बनती जाएगी | पूजा होने के बाद स्त्री सभी बुजुर्ग वरिष्ठ को नमस्कार कर आशीर्वाद प्राप्त कराती है | सभी पित्रुनिहित लोग श्रेष्ठ स्वस्थ और अरोग्य्पूर्ण संतान की इच्छा मन में धारण करते है |  दूर रहनेवाले रिश्तेदारों को भी फोन पर और उनके द्वारा इस संस्कार की जानकारी  दी जाती है और आशीर्वाद , शुभकामनाएं , सद्भावना एक प्रकार से स्त्री से माता यह एक नई सामाजिक और पारिवारिक अभिव्यक्ति की शुरुआत का प्रतीक है हाँ , एक खुशी है , जिससे हर कोई जो गर्भवती महिला की संगति में आता है उसके साथ व्यवहार करते समय, उसे आवश्यक सावधानी बरतने का निर्देश देता है ,
 +
 
 +
इस संस्कार के बाद गर्भवती अपने मन और विचार को जगाये रखना है | परिवार में वेद , उपनिषद , गीता , रामायण और अन्य टेलीविजन पर धार्मिक साहित्य को पढ़ना शुरू करना | टेलीविजन पर पारिवारिक अंतर्कलह , साज़िश , अनैतिकता और सनसनीखेज दृश्यों पर आधारित श्रृंखला से स्वयं को दूर रखना चाहिए क्योंकि इस दौरान यह सब देखने या सुनाने से एक गर्भवती महिला को गर्भ को प्रभावित करती है। इसलिए इस काल में महापुरुषों का चरित्र और उत्तम कोटि का साहित्य पढ़ें। यदि आप विज्ञान और दार्शनिक ग्रंथों में रुचि रखते हैं , इस विषय पर साहित्य पढ़ें , बच्चे के लिए प्रसव पूर्व तैयारी सिर्फ टोपी , स्वेटर आदि ही नहीं, बल्कि एक बच्चे में कौन से गुण होने चाहिए? इसकी योजना अधिक महत्वपूर्ण है।
 +
 
 +
संगीत , प्रवचन और कथा व्याख्यान का भी प्रभाव पड़ता है ,इसलिए जब पति और परिवार उसे उपहार देते हैं, तो सबसे अच्छी पुस्तक या संगीत की कैसेट दी जानी चाहिए और उसे अपनी दिनचर्या में भी इसका प्रयोग करना चाहिए | भावी मां जो पढ़ती या सुनती है उसका उचित उपयोग , अन्य सदस्यों को उसके साथ इस पर चर्चा करनी चाहिए , और उस चर्चा में अनावश्यक वाद विवाद और मत भिन्नता जैसी बाते ना करे इसका ध्यान दिया जाना चाहिए |</blockquote>
1,192

edits

Navigation menu