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| क) अंत्यसंस्कार | | क) अंत्यसंस्कार |
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− | ख) श्राद्धकर्म | + | ख) श्राद्धकर्म |
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− | === '''हिन्दू संस्कार विज्ञानं अनुसार''' ===
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− | जब सोना खनन किया जाता है। उस समय यह मिट्टी का एक रूप होता है।उस मिट्टी में अलग-अलग संस्कार किए जाते हैं, फिर सु- वर्ण (अच्छे चरित्र) हो जाता है। अधिकाधिक संस्कारों के बाद ही वे मनमोहक आभूषण बनते हैं आपके सामने आ रहा है।
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− | संस्कारो के कारण ही मनुष्यता प्राप्त होती है | संस्कारो के कारण दृश्य और अदृश्य मल्लो की सफाई होती है | माता और पिता द्वारा उनके विर्य्गत दोषों के कारण नवजात बालक में शारीरिक – मानसिक विकार उत्पन्न हो सकते है | उसे दूर करने के लिए संस्कारों की आवश्यकता होती है |
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− | गार्भेझैमैर्जातकर्म-चौडभौंजीनिबधनैः
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− | बैजिक गार्भिक चैनो द्विजानाममृज्यते।।(२/२७)
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− | वैदिकेः कर्मभिः पुण्यै निषेकादि द्विजन्मनाम
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− | कार्यः शरीर संस्कारः पावनः प्रेत्य चेह च (२/२६)
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− | मनु अनुसार शारीरिक संस्कार इहलोक और परलोक के लिए पवित्रता पूर्ण और बीजरोपण और गर्भ्गत दोषों को हरण करनेवाला होता है | ऐसा माना जाता है की कुल १६ संस्कार हिन्दू धर्मं में है , स्थूल रूप में इसे ३ विभाग में बांटा गया है |
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− | दोषमार्जन
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− | हिनागपूरक
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− | अधिशयाधायक
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− | गर्भधारण,जातकर्म, अन्नप्राशन यह दोषमार्जन तो चूड़ाकर्म, उपनयनादी संस्कार यह हिनान्गपुरक है | गृहस्थआश्रम, सन्याशाश्रम आदि संस्कार करने से अतिशयाधान हो कर सत्य, शिवं – सुन्दरम स्वरुप मनुष्य प्राप्त हो सकता है| शारीर मन आत्मा संस्कृत होकर संस्कार की किरण मानव जीवन प्रकाशित हो सकता है |
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− | संस्कार यह धर्मरूप चावल के उपर की त्वचा है, इसी के कारण चावल की पोषण व् वृद्धि होती है |
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