Changes

Jump to navigation Jump to search
नया पेज
महाभारत के वीर, पाँच पाण्डवों में तीसरे, अद्वितीय धनुर्धर, पार्थ, सव्यसाची और धनंजय नामों से अभिहित, द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य, स्वयंवर में शस्त्र कौशल दिखाकर द्रौपदी को जीतने वाले, भारत के उत्तरीय प्रदेशों के दिग्विजयी, वीर अभिमन्यु के पिता, महाभारत युद्ध में पाण्डव पक्ष के मेरुदंड अर्जुन को महाभारत आरम्भ में कुरुक्षेत्र के मैदान में दोनों ओर स्वजनों के ही संहार की शोककारी परिस्थिति देखकर युद्ध से विरक्ति हो गयी थी। भगवान श्रीकृष्ण ने,जो अर्जुन के घनिष्ठ सखा, सम्बन्धी और मार्गदर्शक थे तथा महाभारत युद्ध में उनके सारथी बने थे, उन्हें श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश देकर व्यामोह-मुक्त किया था। अर्जुन का चरित्र भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण का श्रेष्ठ उदाहरण है।
1,192

edits

Navigation menu