हिरण ने व्याध की यह करुणापूर्ण वाणी सुनकर गिड़गिड़ाते हुए कहा-"व्याधराज! जिन हिरणियों को आपने यहां से सकुशल जाने दिया वे तीनों मेरी ही पलियां थीं। वे मेरी ही तलाश में घूम रही होंगी। कृपा करके मुझे वे सब बातें बताने का कष्ट करें जो उन्होंने आपके सामने कही हैं।" हिरण की यह प्रार्थना सुनकर व्याध ने उसके आगे उन सभी बातों को बता दिया जो कि हिरणियां कहकर गई थीं। इसके सिवाय वह यह कहना भी न भूला- था कि तीनों हिरणियों ने सूर्योदय के उपरान्त यहां लौट आने की प्रतिज्ञा की है। यह सुनकर हिरण ने कहा-"यदि यही बात है तो मुझे शीघ्रमेव प्राणदान देने की कृपा कीजिये क्योंकि तेरे मर जाने पर उनकी कोई भी कामना सिद्ध न होगी और उनका आपसे प्रतिज्ञा करके जाना व्यर्थ होगा। यह भी हो सकता है कि मेरे वियोग में प्राण त्यागने के बाद आपके पास न आ सकें। | हिरण ने व्याध की यह करुणापूर्ण वाणी सुनकर गिड़गिड़ाते हुए कहा-"व्याधराज! जिन हिरणियों को आपने यहां से सकुशल जाने दिया वे तीनों मेरी ही पलियां थीं। वे मेरी ही तलाश में घूम रही होंगी। कृपा करके मुझे वे सब बातें बताने का कष्ट करें जो उन्होंने आपके सामने कही हैं।" हिरण की यह प्रार्थना सुनकर व्याध ने उसके आगे उन सभी बातों को बता दिया जो कि हिरणियां कहकर गई थीं। इसके सिवाय वह यह कहना भी न भूला- था कि तीनों हिरणियों ने सूर्योदय के उपरान्त यहां लौट आने की प्रतिज्ञा की है। यह सुनकर हिरण ने कहा-"यदि यही बात है तो मुझे शीघ्रमेव प्राणदान देने की कृपा कीजिये क्योंकि तेरे मर जाने पर उनकी कोई भी कामना सिद्ध न होगी और उनका आपसे प्रतिज्ञा करके जाना व्यर्थ होगा। यह भी हो सकता है कि मेरे वियोग में प्राण त्यागने के बाद आपके पास न आ सकें। |