इसके अतिरिक्त अपनी सामर्थ्य के अनुसार भोज्य, भज्य पेय, घोल, चारों प्रकार के व्यंजन एवं पुष्प फलादि भी लक्ष्मीजी को भेंट करने चाहियें। तदनन्तर दीपदान का विधान है। दीपदान के समय कुछ दीपकों को अपने प्रियजनों के अनिष्ट की निवृत्ति के लिए मस्तष्क के चारों ओर से घुमाकर किसी चौराहे या श्मशान भूमि में रखवा देना चाहिये। नदी, तालाब, कुएं, चौराहे आदि सार्वजनिक स्थानों पर दीपदान करना चाहिये तथा ब्राह्मणों को दक्षिणा एवं भोजन वस्त्रादि से सत्कृत करना चाहिये। | इसके अतिरिक्त अपनी सामर्थ्य के अनुसार भोज्य, भज्य पेय, घोल, चारों प्रकार के व्यंजन एवं पुष्प फलादि भी लक्ष्मीजी को भेंट करने चाहियें। तदनन्तर दीपदान का विधान है। दीपदान के समय कुछ दीपकों को अपने प्रियजनों के अनिष्ट की निवृत्ति के लिए मस्तष्क के चारों ओर से घुमाकर किसी चौराहे या श्मशान भूमि में रखवा देना चाहिये। नदी, तालाब, कुएं, चौराहे आदि सार्वजनिक स्थानों पर दीपदान करना चाहिये तथा ब्राह्मणों को दक्षिणा एवं भोजन वस्त्रादि से सत्कृत करना चाहिये। |