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| यमदूतों ने कहा, राजन! एक बार आपके द्वार पर आकर एक अतिथि भूखा-प्यासा चला गया और आपने उसका वाणी से भी सत्कार नहीं किया। इसलिए इस पाप में आपको कुछ दिन के लिए नरक का दुःख अवश्य भोगना पड़ेगा। यमदूतों की यह बात सुनकर राजा ने उनको कुछ क्षण ठहरने के लिए प्रार्थना की और तत्पश्चात् तुरन्त अपने मन्त्रियों को बुलवाकर दोन-अनाथों को इच्छानुसार धन-द्रव्य देकर उन्हें सन्तुष्ट करने को कहा। चूंकि उस दिन नरक चतुर्दशी थी इसी कारण उस दिन के दान-पुण्य से सन्तुष्ट हो गये। राजा नरक ना जाकर स्वर्ग को चला गया। | | यमदूतों ने कहा, राजन! एक बार आपके द्वार पर आकर एक अतिथि भूखा-प्यासा चला गया और आपने उसका वाणी से भी सत्कार नहीं किया। इसलिए इस पाप में आपको कुछ दिन के लिए नरक का दुःख अवश्य भोगना पड़ेगा। यमदूतों की यह बात सुनकर राजा ने उनको कुछ क्षण ठहरने के लिए प्रार्थना की और तत्पश्चात् तुरन्त अपने मन्त्रियों को बुलवाकर दोन-अनाथों को इच्छानुसार धन-द्रव्य देकर उन्हें सन्तुष्ट करने को कहा। चूंकि उस दिन नरक चतुर्दशी थी इसी कारण उस दिन के दान-पुण्य से सन्तुष्ट हो गये। राजा नरक ना जाकर स्वर्ग को चला गया। |
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| + | === दीपावली पूजन === |
| + | सामान्यत: दीपावली पूजन का अर्थ लक्ष्मी पूजा से लगाया जाता है, किन्तु इसके अन्तर्गत वरुण, नवग्रह षोडशमातृका, गणेश, महालक्ष्मी, महाकाली, महासरस्वती, कुबेर, तुला, मान व दीपावली की पूजा भी होती है। |
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| + | ==== पूजन का समय- ==== |
| + | दीपावली प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। |
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| + | ==== दीपावली पूजन के लिये आवश्यक सामग्री ==== |
| + | लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां, लक्ष्मी सूचक सोने अथवा चांदी का सिक्का, लक्ष्मी स्तान के लिये स्वच्छ कपड़ा, लक्ष्मी सूचक सिक्के को स्नान के बाद पोंछने के लिये। एक बड़ी व दो छोटी चौकियां। बही खाते, सिक्कों की थैली, लेखनी, काली स्याही से भरी दवात, तीन थालियां, एक साफ कपड़ा, धूप, अगरबत्ती, मिट्टी के बड़े व छोटे दीपक, रूई, माचिस, सरसों का तेल; शुद्ध घी, दूध, दही, शहद, शुद्ध जल। |
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| + | पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी व शुद्ध जल का मिश्रण) |
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| + | मधुपर्क (दूध, दही शहद व शुद्ध जल का मिश्रण) |
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| + | हल्दी व चूने का पाउडर, राली , चन्दन का चुरा , कलावा, आधा किलो साबुत चावल, कलश, दो मीटर सफेद वस्त्र, दो मीटर लाल वस्त्र , हाथ पोछने के लिये कपड़ा, कपूर, नारियल, गोला, मेवा, फूल, गुलाब अथवा गेंदे की माला, दूर्वा पान के पत्ते, सुपारी, बताशे, खांड के खिलौने, मिठाई, फल, वस्त्र साड़ी आदि. सूखा मेवा, खील, लौंग, छोटी इलायची, केसर, सिदूर कुंकुम, गिलास, चम्मच, प्लेट कड़छुल, कटोरी, तीन गोल प्लेट द्वार पर टांगने के लिये वन्दनवार | |
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| + | === दीपावली पूजन की तैयारी === |
| + | चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व वा पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी के दाहिनी ओर रहें। |
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| + | पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे। |
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| + | कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है। दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दायों ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अतिरिक्त एक दीपक गणेशजी के पास रखें। मूर्तियोंवाली चौकी के सामने छोटो चौका रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं।कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवगह को प्रतीक नौ ढेरिया |