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धर्म-भ्रन्थों के अनुसार इस संसार में आकर जिसने माघ मास का स्नान नहीं किया, उसका जन्म निष्फल गया। माघ मास के स्नान के अनुसार कोई भी यज्ञ, तप तथा ज्ञान नहीं। माघ स्नान के लिये माघ मास का स्नान आवश्यक है। पापों का नाश और स्वर्ग की प्राप्ति इस मास के स्नान से होती है। मानव शरीर और मन ईर्ष्या करने वाला, लालची कृतघ्न तथा नाशवान दुःख से भरा हुआ है। दु:ख को धारण करने वाला और दुष्ट दोषों से भरा हुआ है, अत: यह शरीर माघ मास के स्नान के बिना व्यर्थ है। जल में बुलबुले के समान, मक्खी जैसे तुच्छ जन्तु के समान, यह शरीर माघ स्नान के बिना मृत्यु के समान है, भगवान विष्णु की पूजा न करने वाला ब्राह्मण बिना दक्षिणा के श्राद्ध आचाररहित कुल यह सब नाश के बराबर ही हैं। गर्व से धर्म का, क्रोध से तप, दृढ़ता के बिना ज्ञान, आलस्य से शास्त्र, गुरुजनों की सेवा करने
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