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| आ राजाना मह ऋतस्य गोपा सिन्धुपती क्षत्रिया यातमर्वाक् । इळां नो मित्रावरुणोत वृष्टिमव दिव इन्वतं जीरदानू ॥२॥<ref>Rigveda, Mandala 7, [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A4%83_%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%82_%E0%A5%AD.%E0%A5%AC%E0%A5%AA Sukta 64]</ref> | | आ राजाना मह ऋतस्य गोपा सिन्धुपती क्षत्रिया यातमर्वाक् । इळां नो मित्रावरुणोत वृष्टिमव दिव इन्वतं जीरदानू ॥२॥<ref>Rigveda, Mandala 7, [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A4%83_%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%82_%E0%A5%AD.%E0%A5%AC%E0%A5%AA Sukta 64]</ref> |
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− | RV. vii , 104 , 13 | + | Here, the term kshatriya is used to mean 'the one who protects his subjects from sorrow' and refers to a Raja.<ref name=":7">Sripad Damodar Satavlekar (1985), [https://vedicheritage.gov.in/flipbook/Rigveda_Subodh_Bhasya_Vol_III/#book/375 Rigved ka subodh bhashya (Vol.3)], Pardi: Svadhyaya Mandal</ref> |
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| + | Here, RV. vii , 104 , 13 and RV. x. 109, 3. Kshatriya is used in the sense of 'balavan'<ref name=":7" /> |
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| न वा उ सोमो वृजिनं हिनोति न क्षत्रियं मिथुया धारयन्तम् । हन्ति रक्षो हन्त्यासद्वदन्तमुभाविन्द्रस्य प्रसितौ शयाते ॥१३॥<ref>Rigveda, Mandala 7, [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A4%83_%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%82_%E0%A5%AD.%E0%A5%A7%E0%A5%A6%E0%A5%AA Sukta 104]</ref> | | न वा उ सोमो वृजिनं हिनोति न क्षत्रियं मिथुया धारयन्तम् । हन्ति रक्षो हन्त्यासद्वदन्तमुभाविन्द्रस्य प्रसितौ शयाते ॥१३॥<ref>Rigveda, Mandala 7, [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A4%83_%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%82_%E0%A5%AD.%E0%A5%A7%E0%A5%A6%E0%A5%AA Sukta 104]</ref> |
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| + | हस्तेनैव ग्राह्य आधिरस्या ब्रह्मजायेयमिति चेदवोचन् । न दूताय प्रह्ये तस्थ एषा तथा राष्ट्रं गुपितं क्षत्रियस्य ॥३॥<ref>Rigveda, Mandala 10, [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A4%83_%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%82_%E0%A5%A7%E0%A5%A6.%E0%A5%A7%E0%A5%A6%E0%A5%AF Sukta 109]</ref> |
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| RV. viii. 25, 8; | | RV. viii. 25, 8; |
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| ऋतावाना नि षेदतुः साम्राज्याय सुक्रतू । धृतव्रता क्षत्रिया क्षत्रमाशतुः ॥८॥<ref>Rigveda, Mandala 8, [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A4%83_%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%82_%E0%A5%AE.%E0%A5%A8%E0%A5%AB Sukta 25]</ref> | | ऋतावाना नि षेदतुः साम्राज्याय सुक्रतू । धृतव्रता क्षत्रिया क्षत्रमाशतुः ॥८॥<ref>Rigveda, Mandala 8, [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A4%83_%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%82_%E0%A5%AE.%E0%A5%A8%E0%A5%AB Sukta 25]</ref> |
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− | RV. x. 109, 3.
| + | Here, deities Mitra and Varuna are referred to as kshatriya in the sense of those who protect people from calamities (Sankat)<ref name=":7" /> |
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− | हस्तेनैव ग्राह्य आधिरस्या ब्रह्मजायेयमिति चेदवोचन् । न दूताय प्रह्ये तस्थ एषा तथा राष्ट्रं गुपितं क्षत्रियस्य ॥३॥<ref>Rigveda, Mandala 10, [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A4%83_%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%82_%E0%A5%A7%E0%A5%A6.%E0%A5%A7%E0%A5%A6%E0%A5%AF Sukta 109]</ref>
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| == Yajurveda == | | == Yajurveda == |