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इस मास को राधा स्नान विधि कहा जाता है। प्रातः समय ब्रह्ममुहूर्त में उठकर शौच, स्नान आदि से निवृत होकर अपने नित्य नियम को करें और देवता और पितरों को अर्पण करें फिर वैष्णव लोगों को तिलक लगाकर भगवान का स्मरण करना चाहिये। मार्गशीर्ष मास में भगवान का पूजन करने से मनुष्य भगवान की सौ लोक मुक्ति को प्राप्त हो जाता है। पूजा के आरम्भ में पहले मंगल पाठ करें, फिर शंख की पूजा करें और फिर भक्तिपूर्वक मन्त्रों को पढ़ते हुए शंख के जल से भगवान विष्णु को स्नान करायें। कस्तूरी, चन्दन आदि लगाकर अर्घपाद्य, आचमन तथा मधुपर्क विष्णुजी को अर्पण करें। यथा विधि सुन्दर वस्त्रों और आभूषणों से विष्णुजी को अलंकृत करें, पुष्पों से सिंहासन का पूजन कर उस पर विष्णुजी को विराजमान करें। स्वादिष्ट नैवेद्य अर्पण कर सुगंधित ताम्बूल अर्पण करके धूप तथा दीपक
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