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− | {{ToBeEdited}}The Universe of our experience i.e. Cosmos or जगत || jagat is composed of the five basic elements also known as पञ्चमहाभूताः || pancha mahabhutas or पञ्चभूताः || panchabhutas. These pancha mahabhutas (5 elements of nature) are present in subtle, as well as gross levels and with their varying levels of subtleness and grossness, they make the entire Cosmos or jagat''.'' These elements are Akash, Vayu, Agni, Aapa & Prithvi. The Universe or the jagat being the aggregation of these five elements put together well is also called प्रपन्च || Prapanch'''''.'''''
| + | Panchamahabhutas is the samskrit term made up of 3 parts. Pancha means 5, maha means big and bhutas means the existing elements. Thus, the term panchamahabhutas indicates 5 basic elements in the nature. It is also known as pancha bhutas. These are considered as the basis of creation of universe and thus human body as well. These 5 basic elements have specific attributes, owing to which how they would act or affect is decided. They co-exist in all the materials or matters in this universe but one or 2 elements might be present in dominance. Dominance of mahabhutas decide the final quality or nature and behaviour of that matter in this world. |
− | {{#evu:https://www.youtube.com/watch?v=32aseCxWWuU&feature=youtu.be
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− | |description=Law of Seven
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− | }}
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− | {| class="wikitable" | colspan="2" |'''Five elements of nature'''
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− | |-
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− | |Akash:
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− | |Space
| + | == The 5 elements == |
| + | Bhu / Prthvi, Jalam/ aapa, Teja/ Agni, Vayu and Aakasha are these 5 basic elements or panchamahabhutas present in the universe |
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− | |- | + | महाभूतानि खं वायुरग्निरापः क्षितिस्तथा| |
− | |Vayu:
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− | |Wind | + | शब्दः स्पर्शश्च रूपं च रसो गन्धश्च तद्गुणाः||२७|| Cha Sha 1.27 |
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− | |-
| + | === Prthvi === |
− | |Agni:
| + | Tarkasamgraha- ॥ तत्र गन्धवती पृथिवी। सा द्विविधा, नित्याऽनित्या च। नित्या परमाणुरूपा। अनित्या कार्यरूपा। पुनस्त्रिविधा शरीरेन्द्रियविषयभेदात्। शरीरमस्मदादीनाम्। इन्द्रियं गन्धग्राहकं घ्राणम्। तच्च नासाग्रवर्ति। विषयो मृत्पाषाणादिः॥९॥ <ref>Tarkasamgraha By Annambhatta, [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A4%99%E0%A5%8D%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%83/%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%B2%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%A3%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3%E0%A4%AE%E0%A5%8D Dravyalakshana prakaranam]</ref> |
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− | |Fire
| + | === Apa === |
| + | ॥ शीतस्पर्शवत्यः आपः। ता द्विविधाः, नित्या अनित्याश्च। नित्याः परमाणुरूपाः। अनित्याः कार्यरूपाः। पुनस्त्रिविधाः शरीरेन्द्रियविषयभेदात्। शरीरं वरुणलोके। इन्द्रियं रसग्राहकं रसनं जिह्वाग्रवर्ति। विषयः सरित्समुद्रादिः॥२॥ |
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− | |-
| + | === Teja === |
− | |Aapa:
| + | ॥ उष्णस्पर्शवत् तेजः। तच्च द्विविधं, नित्यमनित्यं च। नित्यं परमाणुरूपम्। अनित्यं कार्यरूपम्। पुनः त्रिविधं शरीरेन्द्रियविषयभेदात्। शरीरमादित्यलोके प्रसिद्धम्। इन्द्रियं रूपग्राहकं चक्षुः कृष्णताराग्रवर्ति। विषयः चतुर्विधः, भौम-दिव्य-औदर्य-आकरजभेदात्। भौमं वह्न्यादिकम्। अभिन्धनं दिव्यं विद्युदादि। भुक्तस्य परिणामहेतुरौदर्यम्। आकरजं सुवर्णादि॥३॥ |
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− | |Water
| + | === Vayu === |
| + | ॥ रूपरहितः स्पर्शवान् वायुः। स द्विविधः नित्यः अनित्यश्च। नित्यः परमाणुरूपः। अनित्यः कार्यरूपः। पुनः त्रिविधः शरीरेन्द्रियविषयभेदात्। शरीरं वायुलोके। इन्द्रियं स्पर्शग्राहकंत्वक् सर्वशरीरवर्ति। विषयो वृक्षादिकम्पनहेतुः। शरीरान्तः सञ्चारी वायुः प्राणः। स च एकोऽपि उपाधिभेदात् प्राणापानादिसंज्ञां लभते॥४॥ |
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− | |-
| + | === Akasha === |
− | |Prithvi:
| + | ॥ शब्दगुणकमाकाशम्। तच्चैकं विभु नित्यञ्च॥५॥ |
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− | |Earth | + | == Bhutantara praveshakrit gunas (भूतान्तरप्रवेशकृतं गुणम) == |
| + | तेषामेकगुणः पूर्वो गुणवृद्धिः परे परे| |
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− | |} | + | पूर्वः पूर्वगुणश्चैव क्रमशो गुणिषु स्मृतः||२८|| Cha sha 1.28 |
− | The above elements are in order of their level of subtlety. Akash (Space) being the subtlest one among them. Prithvi (Earth) is the Grossest. Every thing in this world is made of just these five elements, starting from Sun, moon, stars, plants, animals, mountains, rivers & the human beings. Human beings experience these five elements as five तन्मात्र || tanmatras'','' which are Shabda, Sparsha, Rupa, Rasa & Gandha. The English synonyms of these tanmatras can be put as follows:-
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− | {| class="wikitable" | colspan="2" |'''Five tanmatras'''
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− | |-
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− | |Shabda:
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− | |Sound
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− | |-
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− | |Sparsha:
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− | |Touch
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− | |-
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− | |Rupa:
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− | |Vision
| |
− | |-
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− | |Rasa:
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− | |Taste
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− | |-
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− | |Gandha:
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− | |Smell
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− | |} | |
− | God has given us five इन्द्रिय || indriyas (senses) to experience the cosmos through above tanmatras.
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− | == References == | + | == Basic properties that can be perceived by human through touch == |
− | # http://indianethos.com/what-is-this-cosmos-made-of-and-its-5-elements-of-nature/ By Rajneesh Chaturvedi
| + | खरद्रवचलोष्णत्वं भूजलानिलतेजसाम्| |
− | [[Category:Darshanas]]
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| + | आकाशस्याप्रतीघातो दृष्टं लिङ्गं यथाक्रमम्||२९|| |
| + | |
| + | लक्षणं सर्वमेवैतत् स्पर्शनेन्द्रियगोचरम्| |
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| + | स्पर्शनेन्द्रियविज्ञेयः स्पर्शो हि सविपर्ययः||३०|| Cha sha 1.29-30 |
| + | |
| + | == Mahabhutas and trigunas Association == |
| + | तत्र सत्त्वबहुलमाकाशं, रजोबहुलो वायुः, सत्त्वरजोबहुलोऽग्निः, सत्त्वतमोबहुला आपः, तमोबहुला पृथिवीति ||२०|| Su Sha 1.20 |
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| + | == Application of panchamahabhuta siddhanta in Ayurveda == |
| + | भूतेभ्यो हि परं यस्मान्नास्ति चिन्ता चिकित्सिते ||१३|| |
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| + | यतोऽभिहितं- “तत्सम्भवद्रव्यसमूहो भूतादिरुक्तः” (सू.१); भौतिकानि चेन्द्रियाण्यायुर्वेदे वर्ण्यन्ते, तथेन्द्रियार्थाः ||१४|| Su Sha 1. 13-14 |
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| + | == References == |