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→‎शैलपुत्री :-: नया लेख बनाया
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चैत्र माह में शुक्ल प्रतिपदा से लेकर रामनवमी तक नव दिन तक देवी की उपासना का यह व्रत चलता है । इन दिनों भगवती दुर्गा एवं कन्या पूजन का बड़ा महत्व है । भगवती दुर्गा या माँ जगदम्बा के नौ स्वरुप - शैलपुत्री , ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा , कुष्मांडा , स्कंदमाता , कात्यायनी , कालरात्रि , महागौरी , तथा सिद्धिदात्री है । इन नौ देवियों  की जानकारी विस्तृत रूप में आगे है -
 
चैत्र माह में शुक्ल प्रतिपदा से लेकर रामनवमी तक नव दिन तक देवी की उपासना का यह व्रत चलता है । इन दिनों भगवती दुर्गा एवं कन्या पूजन का बड़ा महत्व है । भगवती दुर्गा या माँ जगदम्बा के नौ स्वरुप - शैलपुत्री , ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा , कुष्मांडा , स्कंदमाता , कात्यायनी , कालरात्रि , महागौरी , तथा सिद्धिदात्री है । इन नौ देवियों  की जानकारी विस्तृत रूप में आगे है -
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==== शैलपुत्री :- ====
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==== शैलपुत्री ====
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शैलपुत्री :- माँ जगदंबा के नौ स्वरूपों में सबसे प्रथम स्वरुप माँ शैलपुत्री है | माँ शैलपुत्री भगवान शिव की शक्ति है जो भिन्न भिन्न रूपों में पुरे श्रृष्टि को संचालित कराती है | माँ शैलपुत्री को उमा ,शिवदूती , दक्षकुमारी, महेश्वरी, शैलजा, सती और पार्वती के नाम से भी जाना जाता है | माँ शैलपुत्री की शातियाँ ब्रह्मा, विष्णु, महेश के आशीर्वाद से समाहित है | एक बार राज दक्ष द्वारा सभी देवताओं को निमंत्रण देना और भगवान शिव जी को आमंत्रित नहीं करना और अपने पति के तिरस्कार को सहन ना कर सकी | अपने पिता द्वारा किये गए महायज्ञ के अग्निकुण्ड में कूदकर अपना प्राण त्याग दिया | उसके उपरांत वह पार्वती के रूप में हिमालय और मैना की पुत्री के रूप में जन्म लिया और तपस्या और साधना द्वारा भगवान शिव का वरण किया |  
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