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| रसवीर्यविपाकैश्च प्रभावैश्च प्रचक्ष्महे||७|| | | रसवीर्यविपाकैश्च प्रभावैश्च प्रचक्ष्महे||७|| |
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| + | Selection of suitable ahara for health and wellbeing |
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| + | देशकालात्मगुणविपरीतानां हि कर्मणामाहारविकाराणां च क्रियोपयोगः [१] सम्यक्, सर्वातियोगसन्धारणम्, असन्धारणमुदीर्णानां च गतिमतां, साहसानां च वर्जनं, स्वस्थवृत्तमेतावद्धातूनां साम्यानुग्रहार्थमुपदिश्यते||८|| (Cha.Sha.6.8) |
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| == Viruddha ahara == | | == Viruddha ahara == |
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| आहारस्य मांससर्पिरादेः, | | आहारस्य मांससर्पिरादेः, |
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| + | Ahara as one of the balavruddhikara bhava |
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| + | बलवृद्धिकरास्त्विमे भावा भवन्ति| |
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| + | तद्यथा- बलवत्पुरुषे देशे जन्म बलवत्पुरुषे काले च, सुखश्च कालयोगः, बीजक्षेत्रगुणसम्पच्च, आहारसम्पच्च, शरीरसम्पच्च, सात्म्यसम्पच्च, सत्त्वसम्पच्च, स्वभावसंसिद्धिश्च, यौवनं च, कर्म च, संहर्षश्चेति||१३|| (Cha.Sha. 6.13) |
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| == Function or role of ahara in sharira vruddhi == | | == Function or role of ahara in sharira vruddhi == |
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| यदाहारजातमग्निवेश! समांश्चैव शरीरधातून् प्रकृतौ स्थापयति विषमांश्च समीकरोतीत्येतद्धितं विद्धि, विपरीतं त्वहितमिति; इत्येतद्धिताहितलक्षणमनपवादं भवति||३३|| 25.34 | | यदाहारजातमग्निवेश! समांश्चैव शरीरधातून् प्रकृतौ स्थापयति विषमांश्च समीकरोतीत्येतद्धितं विद्धि, विपरीतं त्वहितमिति; इत्येतद्धिताहितलक्षणमनपवादं भवति||३३|| 25.34 |
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| + | Ahara as one of the Shariravruddhikara bhavas |
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| + | कार्त्स्न्येन शरीरवृद्धिकरास्त्विमे [१] भावा भवन्ति; तद्यथा- कालयोगः, स्वभावसंसिद्धिः, आहारसौष्ठवम्, अविघातश्चेति||१२|| (Cha.Sha 6.12) |
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| + | आहारसौष्ठवमिति आहारसम्पत्| |
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| === Factors affecting effect of Ahara on body === | | === Factors affecting effect of Ahara on body === |
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| प्रद्वेषयुक्तेन च सेव्यमानमन्नं न सम्यक् परिणाममेति ||५०१|| | | प्रद्वेषयुक्तेन च सेव्यमानमन्नं न सम्यक् परिणाममेति ||५०१|| |
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| + | === Aharaparinamakara bhava === |
| + | आहारपरिणामकरास्त्विमे भावा भवन्ति| |
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| + | तद्यथा- ऊष्मा, वायुः, क्लेदः, स्नेहः, कालः, समयोगश्चेति [१] ||१४|| (Cha.Sha.6.14) |
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| + | समयोग इति आहारस्य प्रकृत्याद्यष्टाहारविधिविशेषायतनसम्यग्योगः||१४|| |
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| + | तत्र तु खल्वेषामूष्मादीनामाहारपरिणामकराणां भावानामिमे कर्मविशेषा भवन्ति| |
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| + | तद्यथा- ऊष्मा पचति, वायुरपकर्षति, क्लेदः शैथिल्यमापादयति, स्नेहो मार्दवं जनयति, कालः पर्याप्तिमभिनिर्वर्तयति, समयोगस्त्वेषां परिणामधातुसाम्यकरः सम्पद्यते||१५|| |
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| + | === Significance of proper digestion of food to obtain good health, strength and long life === |
| + | परिणमतस्त्वाहारस्य [१] गुणाः शरीरगुणभावमापद्यन्ते यथास्वमविरुद्धाः; विरुद्धाश्च विहन्युर्विहताश्च विरोधिभिः शरीरम्||१६|| (cha.Sha.6.16) |
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| + | शरीरगुणाः [१] पुनर्द्विविधाः सङ्ग्रहेण- मलभूताः, प्रसादभूताश्च| |
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| + | तत्र मलभूतास्ते ये शरीरस्याबाधकराः स्युः| cha sha 6.17 |
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| == Ahara sara and mala == | | == Ahara sara and mala == |