भारत में अंग्रेजी राज स्थापन होनेतक सदैवही अन्न औषधी और शिक्षा ये तीनों विषय नि:शुल्क रहे हैं| वैसे तो आयुर्वेद की दृष्टी से तो सामान्यत: औषधी ऐसा अलग से कुछ नहीं होता| अन्नही औषधी होता है| अंग्रेजों के शासन काल से ये तीनों विषय बिकाऊ हो गए हैं| अंग्रेजों के अन्धानुकरण की हमारी आदत बहुत बलवान है| इसलिए हम स्वाधीनता के ७१ वर्षों के उपरांत भी इन्हें फिर से नि:शुल्क बनाने का विचार भी नहीं कर रहे| वैसे तो अंग्रेजी में हेल्थ केअर को “नोबल प्रोफेशन” कहते हैं| लेकिन अंग्रेजों के नोबल प्रोफेशन का स्तर पैसे से ऊपर नहीं है| वह पैसे से खरीदा जानेवाला याने धन से नीचे के स्तर का विषय ही रहा है| पैसे से नापा जानेवाला ही रहा है| आज भी ऐसा ही है| | भारत में अंग्रेजी राज स्थापन होनेतक सदैवही अन्न औषधी और शिक्षा ये तीनों विषय नि:शुल्क रहे हैं| वैसे तो आयुर्वेद की दृष्टी से तो सामान्यत: औषधी ऐसा अलग से कुछ नहीं होता| अन्नही औषधी होता है| अंग्रेजों के शासन काल से ये तीनों विषय बिकाऊ हो गए हैं| अंग्रेजों के अन्धानुकरण की हमारी आदत बहुत बलवान है| इसलिए हम स्वाधीनता के ७१ वर्षों के उपरांत भी इन्हें फिर से नि:शुल्क बनाने का विचार भी नहीं कर रहे| वैसे तो अंग्रेजी में हेल्थ केअर को “नोबल प्रोफेशन” कहते हैं| लेकिन अंग्रेजों के नोबल प्रोफेशन का स्तर पैसे से ऊपर नहीं है| वह पैसे से खरीदा जानेवाला याने धन से नीचे के स्तर का विषय ही रहा है| पैसे से नापा जानेवाला ही रहा है| आज भी ऐसा ही है| |