लगभग ५०० वर्षों का इस्लामी शासन और लगभग 190 वर्ष का ईसाई शासन भारत में रहा। इस के उपरांत भी भारत में यदि आज भी हिंदू बडी संख्या में हैं तो इस का श्रेय हमारे पूर्वजों द्वारा वर्ण/जाति/आश्रम के माध्यम से निर्माण किये समाज के संगठन को है। धर्मपाल जी बताते हैं कि [[Jaati_System_(जाति_व्यवस्था)|[[Jaati_System_(जाति_व्यवस्था)|जाति व्यवस्था]]]] के कारण अंग्रेजों को हिंदू समाज का ईसाईकरण अत्यंत कठिन हो रहा था। इसलिये उन्होंने धार्मिक [[Jaati_System_(जाति_व्यवस्था)|[[Jaati_System_(जाति_व्यवस्था)|जाति व्यवस्था]]]] को बदनाम किया। इस संगठन को समझने का प्रयास हम आगे करेंगे। हमें यदि पुन: अपने समाज को संगठित करना है तो हमें संगठन का अर्थ, संगठन की जीवनी शक्ति, संगठन के कारक तत्व, संगठन को चिरंजीवी बनानेवाले पहलू आदि सभी का विचार करना होगा।<ref>जीवन का धार्मिक प्रतिमान-खंड १, अध्याय ११, लेखक - दिलीप केलकर</ref> | लगभग ५०० वर्षों का इस्लामी शासन और लगभग 190 वर्ष का ईसाई शासन भारत में रहा। इस के उपरांत भी भारत में यदि आज भी हिंदू बडी संख्या में हैं तो इस का श्रेय हमारे पूर्वजों द्वारा वर्ण/जाति/आश्रम के माध्यम से निर्माण किये समाज के संगठन को है। धर्मपाल जी बताते हैं कि [[Jaati_System_(जाति_व्यवस्था)|[[Jaati_System_(जाति_व्यवस्था)|जाति व्यवस्था]]]] के कारण अंग्रेजों को हिंदू समाज का ईसाईकरण अत्यंत कठिन हो रहा था। इसलिये उन्होंने धार्मिक [[Jaati_System_(जाति_व्यवस्था)|[[Jaati_System_(जाति_व्यवस्था)|जाति व्यवस्था]]]] को बदनाम किया। इस संगठन को समझने का प्रयास हम आगे करेंगे। हमें यदि पुन: अपने समाज को संगठित करना है तो हमें संगठन का अर्थ, संगठन की जीवनी शक्ति, संगठन के कारक तत्व, संगठन को चिरंजीवी बनानेवाले पहलू आदि सभी का विचार करना होगा।<ref>जीवन का धार्मिक प्रतिमान-खंड १, अध्याय ११, लेखक - दिलीप केलकर</ref> |