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बर्बर आक्रमण, गुलामी और वर्तमान जीवन के अधार्मिक (अधार्मिक) प्रतिमान के कारण तथा गत १० पीढ़ियों से चल रही विपरीत शिक्षा के कारण श्रेष्ठ संतान कैसे निर्माण की जाती है यह बात वर्तमान में स्त्री भूल गई है। वर्तमान में स्त्रियों की स्थिति को सुधारने कि दृष्टि से स्त्रियों के लिए माता प्रथमो गुरु: का अर्थ समझ लेना हितकारी है :
 
बर्बर आक्रमण, गुलामी और वर्तमान जीवन के अधार्मिक (अधार्मिक) प्रतिमान के कारण तथा गत १० पीढ़ियों से चल रही विपरीत शिक्षा के कारण श्रेष्ठ संतान कैसे निर्माण की जाती है यह बात वर्तमान में स्त्री भूल गई है। वर्तमान में स्त्रियों की स्थिति को सुधारने कि दृष्टि से स्त्रियों के लिए माता प्रथमो गुरु: का अर्थ समझ लेना हितकारी है :
 
# गर्भपूर्व संस्कार : माता प्रथमो गुरु: बनने की तैयारी तो गर्भ धारणा से बहुत पहले से आरम्भ करनी होती है। वैसे तो यह तैयारी बाल्यावस्था में और कौमार्यावस्था में माँ कराए यह आवश्यक है। लेकिन जिन लड़कियों के बारे में उनकी माँ ने ऐसी तैयारी नहीं कराई है उन्हें अपने से ही और वह विवाहपूर्व जिस भी आयु की अवस्था में है उस  अवस्था से इसे करना होगा। संयुक्त परिवारों में ज्येष्ठ और अनुभवी महिला इसमें बालिकाओं और युवतियों का मार्गदर्शन किया करती थीं। विभक्त परिवारों में तो यह जिम्मेदारी माता की ही है। इसमें निम्न बिन्दुओं का समावेश होगा। ये सभी बातें होनेवाले पिता (द्वितीयो गुरु:) के लिए भी आवश्यक है :
 
# गर्भपूर्व संस्कार : माता प्रथमो गुरु: बनने की तैयारी तो गर्भ धारणा से बहुत पहले से आरम्भ करनी होती है। वैसे तो यह तैयारी बाल्यावस्था में और कौमार्यावस्था में माँ कराए यह आवश्यक है। लेकिन जिन लड़कियों के बारे में उनकी माँ ने ऐसी तैयारी नहीं कराई है उन्हें अपने से ही और वह विवाहपूर्व जिस भी आयु की अवस्था में है उस  अवस्था से इसे करना होगा। संयुक्त परिवारों में ज्येष्ठ और अनुभवी महिला इसमें बालिकाओं और युवतियों का मार्गदर्शन किया करती थीं। विभक्त परिवारों में तो यह जिम्मेदारी माता की ही है। इसमें निम्न बिन्दुओं का समावेश होगा। ये सभी बातें होनेवाले पिता (द्वितीयो गुरु:) के लिए भी आवश्यक है :
## ब्रह्मचर्य का पालन करना। अर्थात् मनपर संयम रखना। पति के रूप में पुरुष का चिन्तन नहीं करना। यह बहुत कठिन है  लेकिन करना तो आवश्यक ही है। शायद इसीलिए बाल विवाह की प्रथा चली होगी? इससे मन श्रेष्ठ बनता है।
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## ब्रह्मचर्य का पालन करना। अर्थात् मनपर संयम रखना। पति के रूप में पुरुष का चिन्तन नहीं करना। यह बहुत कठिन है  लेकिन करना तो आवश्यक ही है। संभवतः इसीलिए बाल विवाह की प्रथा चली होगी? इससे मन श्रेष्ठ बनता है।
 
## अपनी आहार विहार और व्यायाम की आदतों को श्रेष्ठ रखना। स्वास्थ्य अच्छा रहे यह सुनिश्चित करना।
 
## अपनी आहार विहार और व्यायाम की आदतों को श्रेष्ठ रखना। स्वास्थ्य अच्छा रहे यह सुनिश्चित करना।
 
## आजकल स्त्रियों को भी नौकरी करने का शौक हो गया है। विपरीत शिक्षा के कारण अन्य किसी कौशल के ह्स्तगत नहीं होने से मजबूरी में पति नौकरी करे यह समझ में आता है। स्त्री को भी मजबूरी में नौकरी करनी पड़े यह भी समझ में आता है। किन्तु अच्छे कमाऊ पति के होते हुए भी पत्नी नौकरी करना ‘स्वाभिमान’ का लक्षण मानती है, यह बात समझ से बाहर है। विशेषत: माता यदि नौकर है तो बच्चे मालिक की मानसिकता के कैसे बनेंगे? माता कुमाता नहीं होती। ऐसी कहावत थी। लेकिन नौकर माँ क्या कुमाता नहीं होगी? नौकरों को जन्म देनेवाली नहीं होगी। अतः जिन्हें श्रेष्ठ माता बनना है उन्हें यथा संभव नौकर नहीं बनना चाहिए।
 
## आजकल स्त्रियों को भी नौकरी करने का शौक हो गया है। विपरीत शिक्षा के कारण अन्य किसी कौशल के ह्स्तगत नहीं होने से मजबूरी में पति नौकरी करे यह समझ में आता है। स्त्री को भी मजबूरी में नौकरी करनी पड़े यह भी समझ में आता है। किन्तु अच्छे कमाऊ पति के होते हुए भी पत्नी नौकरी करना ‘स्वाभिमान’ का लक्षण मानती है, यह बात समझ से बाहर है। विशेषत: माता यदि नौकर है तो बच्चे मालिक की मानसिकता के कैसे बनेंगे? माता कुमाता नहीं होती। ऐसी कहावत थी। लेकिन नौकर माँ क्या कुमाता नहीं होगी? नौकरों को जन्म देनेवाली नहीं होगी। अतः जिन्हें श्रेष्ठ माता बनना है उन्हें यथा संभव नौकर नहीं बनना चाहिए।

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