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== पुरूष और स्त्री की विशेषताएं ==
 
== पुरूष और स्त्री की विशेषताएं ==
पुरूष और स्त्री को परमात्मा ने मूलत: ही भिन्न बनाया है। फिर भी यदि ठीक से देखा जाये तो बच्चे को जन्म देना, जो दोनों का साझा काम है, उसे छोडकर दूसरा ऐसा कोई भी काम नहीं है जो स्त्री या पुरूष नहीं कर सकता। किंतु केवल ' कर सकना ' के आधार पर स्त्री और पुरूष दोनों जो काम वर्तमान में स्त्रियाँ करतीं है वही करने लग जाएं तो जीना हराम हो जाएगा। इसीलिये सामान्यत: विभिन्न कामों का स्त्री सुलभ और पुरूष सुलभ कामों में बँटवारा किया जाता है और स्त्री के काम कौन से है और पुरूष के कौन से है यह निश्चय किया जाता है। वैसे तो कई काम ऐसे है जो सीमा रेखा पर होते है। जो स्त्री भी और पुरूष भी सहजता से कर सकते है।
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पुरूष और स्त्री को परमात्मा ने मूलत: ही भिन्न बनाया है। तथापि यदि ठीक से देखा जाये तो बच्चे को जन्म देना, जो दोनों का साझा काम है, उसे छोडकर दूसरा ऐसा कोई भी काम नहीं है जो स्त्री या पुरूष नहीं कर सकता। किंतु केवल ' कर सकना ' के आधार पर स्त्री और पुरूष दोनों जो काम वर्तमान में स्त्रियाँ करतीं है वही करने लग जाएं तो जीना हराम हो जाएगा। इसीलिये सामान्यत: विभिन्न कामों का स्त्री सुलभ और पुरूष सुलभ कामों में बँटवारा किया जाता है और स्त्री के काम कौन से है और पुरूष के कौन से है यह निश्चय किया जाता है। वैसे तो कई काम ऐसे है जो सीमा रेखा पर होते है। जो स्त्री भी और पुरूष भी सहजता से कर सकते है।
    
स्त्री में इस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन नाम के लैंगिक अंत:स्त्राव (हार्मोन) होते है। इन के कारण स्त्री के शरीर और अवयवों की रचना भिन्न और कोमल बनती है। पुरूष में ऍंड्रोजन और टेस्टोस्टेरॉन नाम के स्त्राव (हार्मोन) होते है। इन के कारण पुरूष के शरीर और अवयवों की रचना भिन्न और मजबूत बनती है। वैसे तो स्त्री और पुरूष दोनों में इस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरॉन दोनों हार्मोन होते ही है। लेकिन पुरूष में टेस्टोस्टेरॉन का प्रमाण स्त्री से १५ से २० गुना अधिक होता है। इसी प्रकार से स्त्री के शरीर में २६ प्रतिशत चरबी (फॅट्) और २० प्रतिशत प्रथिन (प्रोटीन) होते है तो पुरूष के शरीर में १५ प्रतिशत चरबी और ४५ प्रतिशत प्रथिन होते है। इन्हीं घटकों के कारण स्त्री और पुरूष में शारीरिक और मानसिक भिन्नता होती है। स्त्री में स्त्रीत्व और पुरूष में पुरूषत्व होता है। स्त्री का स्त्रीत्व और पुरूष का पुरूषत्व तीव्र होने से संतति अधिक तेजस्वी और ओजस्वी बनती है। सामाजिक संस्कारों के माध्यम से स्त्री के स्त्रीत्व को और पुरूष के पुरूषत्व को अधिक तीव्र बनाया जा सकता है। अधिजनन शास्त्र के माध्यम से धार्मिक  परंपराओं में ऐसा बनाया जाता रहा है।
 
स्त्री में इस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन नाम के लैंगिक अंत:स्त्राव (हार्मोन) होते है। इन के कारण स्त्री के शरीर और अवयवों की रचना भिन्न और कोमल बनती है। पुरूष में ऍंड्रोजन और टेस्टोस्टेरॉन नाम के स्त्राव (हार्मोन) होते है। इन के कारण पुरूष के शरीर और अवयवों की रचना भिन्न और मजबूत बनती है। वैसे तो स्त्री और पुरूष दोनों में इस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरॉन दोनों हार्मोन होते ही है। लेकिन पुरूष में टेस्टोस्टेरॉन का प्रमाण स्त्री से १५ से २० गुना अधिक होता है। इसी प्रकार से स्त्री के शरीर में २६ प्रतिशत चरबी (फॅट्) और २० प्रतिशत प्रथिन (प्रोटीन) होते है तो पुरूष के शरीर में १५ प्रतिशत चरबी और ४५ प्रतिशत प्रथिन होते है। इन्हीं घटकों के कारण स्त्री और पुरूष में शारीरिक और मानसिक भिन्नता होती है। स्त्री में स्त्रीत्व और पुरूष में पुरूषत्व होता है। स्त्री का स्त्रीत्व और पुरूष का पुरूषत्व तीव्र होने से संतति अधिक तेजस्वी और ओजस्वी बनती है। सामाजिक संस्कारों के माध्यम से स्त्री के स्त्रीत्व को और पुरूष के पुरूषत्व को अधिक तीव्र बनाया जा सकता है। अधिजनन शास्त्र के माध्यम से धार्मिक  परंपराओं में ऐसा बनाया जाता रहा है।

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