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# कक्षा कक्षों में हवादान (वेन्टीलेटर) होने चाहिए । खिड़कियाँ अधिक ऊँची नहीं होनी चाहिए ।
 
# कक्षा कक्षों में हवादान (वेन्टीलेटर) होने चाहिए । खिड़कियाँ अधिक ऊँची नहीं होनी चाहिए ।
 
# भवन रचना का मन पर संस्कार एवं प्रभाव होता है।  
 
# भवन रचना का मन पर संस्कार एवं प्रभाव होता है।  
# हमारी सरकार केवल पक्के मकानों को ही मान्यता देती है, कच्चे को नहीं । लोहा व सिमेन्ट से बना मकान पक्का, इंट-गारे से बना कच्चा माना जाता है। पक्के की औसत आयु ३५-४० वर्ष जबकि कच्चे की औसत आयु ६५-७० वर्ष फिर भी बैंक कच्चे को मोर्टगेज नहीं करेगा। यह व्यवस्था का  दोष है। स्वदेशी तकनीक की उपेक्षा और विदेशी तकनीक को प्रात्सहन देने के कारण हमारे कारीगर बेकार होते है और धीरे -धीरे स्वदेशी तकनीक लुप्त होती जाती है।  
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# हमारी सरकार केवल पक्के मकानों को ही मान्यता देती है, कच्चे को नहीं । लोहा व सिमेन्ट से बना मकान पक्का, इंट-गारे से बना कच्चा माना जाता है। पक्के की औसत आयु ३५-४० वर्ष जबकि कच्चे की औसत आयु ६५-७० वर्ष तथापि बैंक कच्चे को मोर्टगेज नहीं करेगा। यह व्यवस्था का  दोष है। स्वदेशी तकनीक की उपेक्षा और विदेशी तकनीक को प्रात्सहन देने के कारण हमारे कारीगर बेकार होते है और धीरे -धीरे स्वदेशी तकनीक लुप्त होती जाती है।  
    
==== कक्षा कक्ष में बैठक व्यवस्था योग के अनुसार हो ====
 
==== कक्षा कक्ष में बैठक व्यवस्था योग के अनुसार हो ====
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==== अभिमत ====
 
==== अभिमत ====
लगभग सभी उत्तर देने वाले नित्य कक्षा कक्षों में पढ़ाने वाले ही थे । फिर भी प्रश्नों के उत्तर केवल शब्दार्थ को ध्यान में रखकर ही दिये गये हैं । कक्षा कक्ष केवल भौतिक वस्तुओं का संच है, परन्तु विद्यार्थी और शिक्षक यह जीवमान ईकाई है तथा इनके मध्य चलने वाली अध्ययन अध्यापन प्रक्रिया भी जीवन्त ही होती है। अतः इस जीवन्तता को बनाये रखना चाहिए । भौतिक व्यवस्थाओं को हावी नहीं होने देना चाहिए ।
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लगभग सभी उत्तर देने वाले नित्य कक्षा कक्षों में पढ़ाने वाले ही थे । तथापि प्रश्नों के उत्तर केवल शब्दार्थ को ध्यान में रखकर ही दिये गये हैं । कक्षा कक्ष केवल भौतिक वस्तुओं का संच है, परन्तु विद्यार्थी और शिक्षक यह जीवमान ईकाई है तथा इनके मध्य चलने वाली अध्ययन अध्यापन प्रक्रिया भी जीवन्त ही होती है। अतः इस जीवन्तता को बनाये रखना चाहिए । भौतिक व्यवस्थाओं को हावी नहीं होने देना चाहिए ।
    
भवन निर्माण के समय शिक्षकों की कोई भूमिका नहीं रहती, वे तो मात्र इतना चाहते हैं कि सभी व्यवस्थाओं से युक्त बना बनाया कक्ष उन्हें मिल जाय। संस्थाचालक ही सभी निर्णय करते हैं। कक्षा का उपस्कर (फर्निचर) भी संस्था चालकों की आर्थिक स्थिति व उनकी पसन्द का ही होता है। बड़े छात्रों के लिए डेस्क व बेंच अथवा टेबल व कुर्सी और छोटे छात्रों के लिए नीचे जमीन पर बैठने की व्यवस्था में शैक्षिक चिन्तन का अभाव ही दिखाई देता है । कम आयु या छोटी कक्षाओं के लिए अलग व्यवस्था तथा बड़ी आयु या बड़ी कक्षाओं के छात्रों के लिए अलग व्यवस्था करने के पीछे कोई तार्किक दृष्टि नहीं है। माध्यमिक कक्षाओं के छात्र भी धार्मिक बैठक व्यवस्था में अच्छा ज्ञानार्जन कर सकते हैं इसका आज्ञान है ।
 
भवन निर्माण के समय शिक्षकों की कोई भूमिका नहीं रहती, वे तो मात्र इतना चाहते हैं कि सभी व्यवस्थाओं से युक्त बना बनाया कक्ष उन्हें मिल जाय। संस्थाचालक ही सभी निर्णय करते हैं। कक्षा का उपस्कर (फर्निचर) भी संस्था चालकों की आर्थिक स्थिति व उनकी पसन्द का ही होता है। बड़े छात्रों के लिए डेस्क व बेंच अथवा टेबल व कुर्सी और छोटे छात्रों के लिए नीचे जमीन पर बैठने की व्यवस्था में शैक्षिक चिन्तन का अभाव ही दिखाई देता है । कम आयु या छोटी कक्षाओं के लिए अलग व्यवस्था तथा बड़ी आयु या बड़ी कक्षाओं के छात्रों के लिए अलग व्यवस्था करने के पीछे कोई तार्किक दृष्टि नहीं है। माध्यमिक कक्षाओं के छात्र भी धार्मिक बैठक व्यवस्था में अच्छा ज्ञानार्जन कर सकते हैं इसका आज्ञान है ।
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कक्षाकक्ष में हवा की आवनजावन, तापमान नियन्त्रण, प्रकाश आदि की समुचित व्यवस्था होना अपेक्षित है। कक्षाकक्ष की दीवारों और छतों की चूने से पुताई होना ही अपेक्षित है, सिन्‍थेटिक  रंगों से रंगाई नहीं । दीवारों पर ध्येय वाक्य, चित्र, उपयोगी जानकारी के आलेख लगाने की व्यवस्था चाहिये ।
 
कक्षाकक्ष में हवा की आवनजावन, तापमान नियन्त्रण, प्रकाश आदि की समुचित व्यवस्था होना अपेक्षित है। कक्षाकक्ष की दीवारों और छतों की चूने से पुताई होना ही अपेक्षित है, सिन्‍थेटिक  रंगों से रंगाई नहीं । दीवारों पर ध्येय वाक्य, चित्र, उपयोगी जानकारी के आलेख लगाने की व्यवस्था चाहिये ।
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सबसे महत्त्वपूर्ण है ध्वनिव्यवस्था । कक्षा में एक ने बोला सबको सुनाई दे ऐसा तो होना ही चाहिये परन्तु आसपास के कक्षों में उससे व्यवधान न हो यह भी देखना चाहिये । फिर भी कम कमाने वाले का घर छोटा होता है और उस छोटे घर में भी कुशल, बुद्धिमान और गृहप्रेमी लोग आवश्यक व्यवस्थायें बना लेते हैं और आनन्द से सारे व्यवहार करते हैं उसी प्रकार विद्यालय यदि सम्पन्न नहीं है तब भी बुद्धिमान शिक्षक जितने भी संसाधन प्राप्त होते हैं उतने में अच्छी से अच्छी व्यवस्था बना लेते हैं ।
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सबसे महत्त्वपूर्ण है ध्वनिव्यवस्था । कक्षा में एक ने बोला सबको सुनाई दे ऐसा तो होना ही चाहिये परन्तु आसपास के कक्षों में उससे व्यवधान न हो यह भी देखना चाहिये । तथापि कम कमाने वाले का घर छोटा होता है और उस छोटे घर में भी कुशल, बुद्धिमान और गृहप्रेमी लोग आवश्यक व्यवस्थायें बना लेते हैं और आनन्द से सारे व्यवहार करते हैं उसी प्रकार विद्यालय यदि सम्पन्न नहीं है तब भी बुद्धिमान शिक्षक जितने भी संसाधन प्राप्त होते हैं उतने में अच्छी से अच्छी व्यवस्था बना लेते हैं ।
    
कठिनाई केवल एक है, और वह बड़ी है । घर में घर के मालिक, कमाई करनेवाले और घर में रहनेवाले लोग
 
कठिनाई केवल एक है, और वह बड़ी है । घर में घर के मालिक, कमाई करनेवाले और घर में रहनेवाले लोग

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