वर्तमान में मानव पगढीला हो गया है| आवागमन के साधन, स्वभाव से भिन्न प्रकार का काम करना, अतिरिक्त धन की उपलब्धता, पर्यटन के लिए विज्ञापनबाजी और आजीविका के लिए नौकरी ये बातें मनुष्य को एक स्थानपर टिकने नहीं देते| यह पगढ़ीलापन वर्तमान के अभारतीय जीवन के प्रतिमान की ही देन है| प्रतिमान को भारतीय बनाना ही उसका उत्तर है| | वर्तमान में मानव पगढीला हो गया है| आवागमन के साधन, स्वभाव से भिन्न प्रकार का काम करना, अतिरिक्त धन की उपलब्धता, पर्यटन के लिए विज्ञापनबाजी और आजीविका के लिए नौकरी ये बातें मनुष्य को एक स्थानपर टिकने नहीं देते| यह पगढ़ीलापन वर्तमान के अभारतीय जीवन के प्रतिमान की ही देन है| प्रतिमान को भारतीय बनाना ही उसका उत्तर है| |