मानव को जन्म से ही कुछ विशेष शक्तियां मिलीं हैं। इन शक्तियों को प्राप्त करने की, इनके विकास के लिए बुद्धि भी मिली है। इस कारण मानव पृथ्वी का सबसे बलवान प्राणी है। इस का मानव को अहंकार हो जाता है। खगोल के अध्ययन से यह अहंकार दूर हो जाता है। उसे ध्यान में आता है कि ब्रह्माण्ड इतना विशाल है कि उसकी विशालता की वह कल्पना भी नहीं कर सकता। ढेर सारी वैज्ञानिक उपलब्धियों के उपरांत भी मानव सृष्टि के छोर का अनुमान नहीं लगा पा रहा। इससे उसका अहंकार दूर हो जाता है। | मानव को जन्म से ही कुछ विशेष शक्तियां मिलीं हैं। इन शक्तियों को प्राप्त करने की, इनके विकास के लिए बुद्धि भी मिली है। इस कारण मानव पृथ्वी का सबसे बलवान प्राणी है। इस का मानव को अहंकार हो जाता है। खगोल के अध्ययन से यह अहंकार दूर हो जाता है। उसे ध्यान में आता है कि ब्रह्माण्ड इतना विशाल है कि उसकी विशालता की वह कल्पना भी नहीं कर सकता। ढेर सारी वैज्ञानिक उपलब्धियों के उपरांत भी मानव सृष्टि के छोर का अनुमान नहीं लगा पा रहा। इससे उसका अहंकार दूर हो जाता है। |