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विद्यालय चलाये तब तक चिन्तन नहीं किया और जब चिन्तन किया तब उन्हें प्रयोग करने का समय नहीं रहा । उनके जीवन का मार्ग बदल चुका था ।
 
विद्यालय चलाये तब तक चिन्तन नहीं किया और जब चिन्तन किया तब उन्हें प्रयोग करने का समय नहीं रहा । उनके जीवन का मार्ग बदल चुका था ।
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१४. महात्मा गांधीने चिन्तन किया परन्तु, राष्ट्रीय शिक्षा के प्रयोग उनके कार्यकर्ताओने किये । गाँधीजी स्वयं शिक्षक नहीं थे । फिर भी उनके कार्यकर्ता उनके चिन्तन के प्रति पूर्ण रूप से निष्ठावान थे इसलिये उनका चिन्तन और प्रयोग साथ साथ चला ऐसा हम कह सकते हैं ।
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१४. महात्मा गांधीने चिन्तन किया परन्तु, राष्ट्रीय शिक्षा के प्रयोग उनके कार्यकर्ताओने किये । गाँधीजी स्वयं शिक्षक नहीं थे । तथापि उनके कार्यकर्ता उनके चिन्तन के प्रति पूर्ण रूप से निष्ठावान थे इसलिये उनका चिन्तन और प्रयोग साथ साथ चला ऐसा हम कह सकते हैं ।
    
१५. एक मात्र गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ऐसे थे जो शत प्रतिशत शिक्षक थे । शेष सभी किसी बडे आन्दोलन के हिस्से के रूप में शिक्षा का भी चिन्तन और प्रयोग करते थे । रवीन्द्रनाथ ठाकुरने पूर्ण रूप से धार्मिक शिक्षा का एक श्रेष्ठ और यशस्वी प्रयोग किया और ज्ञानात्मक, भावात्मक और क्रियात्मक पक्षों का समायोजन किया । शिक्षाक्षेत्र में प्रयोग करना चाहते हैं ऐसे अनेक लोगोंं के लिये उनका प्रयोग अध्ययन के योग्य है ।
 
१५. एक मात्र गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ऐसे थे जो शत प्रतिशत शिक्षक थे । शेष सभी किसी बडे आन्दोलन के हिस्से के रूप में शिक्षा का भी चिन्तन और प्रयोग करते थे । रवीन्द्रनाथ ठाकुरने पूर्ण रूप से धार्मिक शिक्षा का एक श्रेष्ठ और यशस्वी प्रयोग किया और ज्ञानात्मक, भावात्मक और क्रियात्मक पक्षों का समायोजन किया । शिक्षाक्षेत्र में प्रयोग करना चाहते हैं ऐसे अनेक लोगोंं के लिये उनका प्रयोग अध्ययन के योग्य है ।
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४३. इसके भी दो कारण हैं । सरकार ने इस बात का स्वीकार कर लिया है कि ब्रिटीश राज में यदि शिक्षा सरकार के अधीन थी तो स्वतन्त्र भारत में वैसा ही होगा । ब्रिटीशों के और स्वतन्त्र भारत के हेतुओं में अन्तर हो सकता है इसकी कल्पना सरकार को नहीं आई । इसलिये शिक्षा की व्यवस्था सरकार नहीं करेगी ऐसा कहना सरकार अपनी जिम्मेदारी नकार रही है ऐसा होगा । व्यवहार में वह कितना कठिन होगा इसका अनुभव उस समय नहीं था, धीरे धीरे होने लगा परन्तु जिम्मेदारी छोडना सम्भव नहीं हो रहा है ।
 
४३. इसके भी दो कारण हैं । सरकार ने इस बात का स्वीकार कर लिया है कि ब्रिटीश राज में यदि शिक्षा सरकार के अधीन थी तो स्वतन्त्र भारत में वैसा ही होगा । ब्रिटीशों के और स्वतन्त्र भारत के हेतुओं में अन्तर हो सकता है इसकी कल्पना सरकार को नहीं आई । इसलिये शिक्षा की व्यवस्था सरकार नहीं करेगी ऐसा कहना सरकार अपनी जिम्मेदारी नकार रही है ऐसा होगा । व्यवहार में वह कितना कठिन होगा इसका अनुभव उस समय नहीं था, धीरे धीरे होने लगा परन्तु जिम्मेदारी छोडना सम्भव नहीं हो रहा है ।
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४४. फिर भी आध्यात्मिक और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निजी प्रयास आरम्भ हुए हैं और उन्हें सरकार की मान्यता है परन्तु व्यवस्था तन्त्र की दृष्टि से तो सरकार ही जिम्मेदार है ।
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४४. तथापि आध्यात्मिक और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निजी प्रयास आरम्भ हुए हैं और उन्हें सरकार की मान्यता है परन्तु व्यवस्था तन्त्र की दृष्टि से तो सरकार ही जिम्मेदार है ।
    
४५. शिक्षा सरकार से या सरकार शिक्षा से मुक्त नहीं हो रही है इसका एक कारण यह भी है कि जिम्मेदारी लेने वाला सरकार से बाहर कोई नहीं है । देश के बडे से बडे संगठन भी यह जिम्मेदारी लेने के इच्छुक नहीं हैं। हों तो भी वे सक्षम नहीं हैं। इसलिये सरकार की बाध्यता का कोई विकल्प नहीं है ।
 
४५. शिक्षा सरकार से या सरकार शिक्षा से मुक्त नहीं हो रही है इसका एक कारण यह भी है कि जिम्मेदारी लेने वाला सरकार से बाहर कोई नहीं है । देश के बडे से बडे संगठन भी यह जिम्मेदारी लेने के इच्छुक नहीं हैं। हों तो भी वे सक्षम नहीं हैं। इसलिये सरकार की बाध्यता का कोई विकल्प नहीं है ।

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