| इतिहास से समाजमन तैयार होता है। हर समाज में साहित्य, लेखन, लोककथाएं, बालगीत, लोकवांग्मय, लोरीगीत आदि के माध्यम से प्रस्तुत इतिहास के उदात्त प्रसंगोंद्वारा समाजमन तैयार करने की सहज प्रक्रिया हुवा करती थी। सामान्य लोग इसे भलीभाँति समझते है। इसलिये वर्तमान विद्यालयीन शिक्षा में यद्यपि विदेशी शासकों की भूमिका से लिखा इतिहास पढाया जाता है, फिर भी लोकसाहित्य, लोकगीत, बालगीत, लोरियाँ आदि भारत के गौरवपूर्ण इतिहास की गाथा ही गाते है। | | इतिहास से समाजमन तैयार होता है। हर समाज में साहित्य, लेखन, लोककथाएं, बालगीत, लोकवांग्मय, लोरीगीत आदि के माध्यम से प्रस्तुत इतिहास के उदात्त प्रसंगोंद्वारा समाजमन तैयार करने की सहज प्रक्रिया हुवा करती थी। सामान्य लोग इसे भलीभाँति समझते है। इसलिये वर्तमान विद्यालयीन शिक्षा में यद्यपि विदेशी शासकों की भूमिका से लिखा इतिहास पढाया जाता है, फिर भी लोकसाहित्य, लोकगीत, बालगीत, लोरियाँ आदि भारत के गौरवपूर्ण इतिहास की गाथा ही गाते है। |
| किसी भी समाज का जीने का एक तरीका होता है। इस तरीके को उस समाज की जीवनशैली कहा जाता है। यह जीवनशैली उस समाज की विविध मान्यताओं के आधारपर बनती है। इन मान्यताओं को उस समाज की जीवनदृष्टि कहा जाता है। इस जीवनदृष्टि के आधारपर ही वह समाज अपनी भाषा, कला, साहित्य, न्यायशास्त्र, अर्थशास्त्र आदि विविध सामाजिक शास्त्रों की और भौतिक, रसायन, वनस्पति आदि भौतिक शास्त्रों की प्रस्तुति करता है| और राज्यव्यवस्था, न्यायव्यवस्था, अर्थव्यवस्था, आदि विभिन्न व्यवस्थाओं का निर्माण करता है। किसी भी समाज का इतिहास उस समाज के साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। हम भारतीय है। हमारी जीवनदृष्टि अंग्रेजों से भिन्न भी है और श्रेष्ठ भी है। यह हमने इस खण्ड के अध्याय ७ में देखा है। इसीलिये अपनी भूमिका से हमारे इतिहास के पुनर्लेखन का काम कुशलता से, शीघ्रता से और प्रचंड गति से करने की आवश्यकता है। | | किसी भी समाज का जीने का एक तरीका होता है। इस तरीके को उस समाज की जीवनशैली कहा जाता है। यह जीवनशैली उस समाज की विविध मान्यताओं के आधारपर बनती है। इन मान्यताओं को उस समाज की जीवनदृष्टि कहा जाता है। इस जीवनदृष्टि के आधारपर ही वह समाज अपनी भाषा, कला, साहित्य, न्यायशास्त्र, अर्थशास्त्र आदि विविध सामाजिक शास्त्रों की और भौतिक, रसायन, वनस्पति आदि भौतिक शास्त्रों की प्रस्तुति करता है| और राज्यव्यवस्था, न्यायव्यवस्था, अर्थव्यवस्था, आदि विभिन्न व्यवस्थाओं का निर्माण करता है। किसी भी समाज का इतिहास उस समाज के साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। हम भारतीय है। हमारी जीवनदृष्टि अंग्रेजों से भिन्न भी है और श्रेष्ठ भी है। यह हमने इस खण्ड के अध्याय ७ में देखा है। इसीलिये अपनी भूमिका से हमारे इतिहास के पुनर्लेखन का काम कुशलता से, शीघ्रता से और प्रचंड गति से करने की आवश्यकता है। |