− | दुनिया का हर जीव सुख प्राप्त करने के लिए जीता है। वह इच्छा करता है तो सुख की और प्रयास करता है तो सुख प्राप्ति के लिए। सुख कोई मनुष्य सुख के लिए पत्नि को छोड़ देता है तो कोई सुख के लिए विवाह करता है। कोई मनुष्य सुख पाने के लिए गाँव छोड़कर शहर में आकर बसता है। तो कोई शहर छोड़कर सुख पाने के लिए गाँव में जाकर बसता है। कहने का तात्पर्य यह है की सुख यह मनुष्य सापेक्ष है। व्यक्ति सापेक्ष है। लेकिन समाज यद्यपि व्यक्तियों का बना होता है फिर भी सभी के औसत सुख की प्राप्ति के अनुसार वह सामाजिक रीति रिवाज और परम्पराएँ निर्माण करता है। इसे ही उस समाज की संस्कृति कहते हैं। यह औसत सुख भी एक जटिल संकल्पना है। | + | दुनिया का हर जीव सुख प्राप्त करने के लिए जीता है। वह इच्छा करता है तो सुख की और प्रयास करता है तो सुख प्राप्ति के लिए। सुख कोई मनुष्य सुख के लिए पत्नि को छोड़ देता है तो कोई सुख के लिए विवाह करता है। कोई मनुष्य सुख पाने के लिए गाँव छोड़कर शहर में आकर बसता है। तो कोई शहर छोड़कर सुख पाने के लिए गाँव में जाकर बसता है। कहने का तात्पर्य यह है की सुख यह मनुष्य सापेक्ष है। व्यक्ति सापेक्ष है। लेकिन समाज यद्यपि व्यक्तियों का बना होता है तथापि सभी के औसत सुख की प्राप्ति के अनुसार वह सामाजिक रीति रिवाज और परम्पराएँ निर्माण करता है। इसे ही उस समाज की संस्कृति कहते हैं। यह औसत सुख भी एक जटिल संकल्पना है। |