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अध्याय २५. विषयोंका अंगांगी संबंध
अध्याय २५. विषयोंका अंगांगी संबंध
प्रस्तावना
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उपसंहार
उपसंहार
सृष्टी में व्याप्त एकात्मता को और मानव जीवन को समग्रता में समझने के लिए विभिन्न विषयों का अंगांगी संबंध समझना आवश्यक है| हमारे अध्ययन, अध्यापन या उपयोजन के विषय का स्थान इस अंगांगी संबंधों की तालिका में कहाँ है इसे समझना जरूरी है| हमारा विषय अन्य विषयों में से किस का अंग है और किसका अंगी है इसे समझना यह हमारे हर विषय का प्रारंभ बिन्दु बनाना चाहिए| ऐसा करते हुए आगे बढ़ने से सृष्टी के व्यवहारों में और मानव जीवन में सुसंगति बनी रहेगी| वर्तमान की सभी समस्याएँ सृष्टी के सभी अस्तित्वों में जो अन्गांगी सम्बन्ध है उसकी उपेक्षा करने के कारण ही है|
सृष्टी में व्याप्त एकात्मता को और मानव जीवन को समग्रता में समझने के लिए विभिन्न विषयों का अंगांगी संबंध समझना आवश्यक है| हमारे अध्ययन, अध्यापन या उपयोजन के विषय का स्थान इस अंगांगी संबंधों की तालिका में कहाँ है इसे समझना जरूरी है| हमारा विषय अन्य विषयों में से किस का अंग है और किसका अंगी है इसे समझना यह हमारे हर विषय का प्रारंभ बिन्दु बनाना चाहिए| ऐसा करते हुए आगे बढ़ने से सृष्टी के व्यवहारों में और मानव जीवन में सुसंगति बनी रहेगी| वर्तमान की सभी समस्याएँ सृष्टी के सभी अस्तित्वों में जो अन्गांगी सम्बन्ध है उसकी उपेक्षा करने के कारण ही है|
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[[Category:Bhartiya Jeevan Pratiman (भारतीय जीवन (प्रतिमान)]]