आज कल भारतीय संविधान को ही “यही भारत की युगानुकूल स्मृति है” ऐसा लोग कहते हैं। इस में अनेकों दोष हैं। फिर इस में परिवर्तन कि प्रक्रिया जिन लोक-प्रतिनिधियों के अधिकार में चलती है, उन की विद्वत्ता और उन के धर्मशास्त्र के ज्ञान और आचरण के संबंध में न बोलना ही अच्छा है, ऐसी स्थिति है। इसलिये वर्तमान संविधान को ही वर्तमान भारत की स्मृति मान लेना ठीक नहीं है। | आज कल भारतीय संविधान को ही “यही भारत की युगानुकूल स्मृति है” ऐसा लोग कहते हैं। इस में अनेकों दोष हैं। फिर इस में परिवर्तन कि प्रक्रिया जिन लोक-प्रतिनिधियों के अधिकार में चलती है, उन की विद्वत्ता और उन के धर्मशास्त्र के ज्ञान और आचरण के संबंध में न बोलना ही अच्छा है, ऐसी स्थिति है। इसलिये वर्तमान संविधान को ही वर्तमान भारत की स्मृति मान लेना ठीक नहीं है। |