− | १४५० कि.मी. लम्बी गोदावरी दक्षिण भारत की गांगा कहलाती है। महाराष्ट्र प्रान्त के नासिक जिले में एक गाँव है त्रयम्बक। यहीं ब्रह्मगिरि से निकल कर गोदावरी पूर्व की ओर बहती हुई गंगा सागर में मिलती है। इसका एक नाम गौतमी भी है, क्योंकि गौतम ऋषि की तपस्या के कारण यह अवतरित है। त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिग, नासिक(पंचवटी), पैठण, राजमहेन्द्र,भद्राचलमू, नान्देड़ (गुरु गोविन्द सिंह की समाधि), कोटा पल्ली आदि पावन क्षेत्र इसके तट पर हैं। मुस्लिम आक्रान्ताओं ने तीर्थों की पवित्रता को अनेक बार भंग किया। मराठा उत्थान के समय अनेक मन्दिरों का निर्माण व जीणोद्धार किया गया। वधाँ, प्राणहिता, इन्द्रावती, साबरी प्रवरा, वैन गांगा आदि इसकी सहायक नदियाँ हैं। | + | १४५० कि.मी. लम्बी गोदावरी दक्षिण भारत की गांगा कहलाती है। महाराष्ट्र प्रान्त के नासिक जिले में एक गाँव है त्रयम्बक। यहीं ब्रह्मगिरि से निकल कर गोदावरी पूर्व की ओर बहती हुई गंगा सागर में मिलती है। इसका एक नाम गौतमी भी है, क्योंकि गौतम ऋषि की तपस्या के कारण यह अवतरित है। त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग, नासिक(पंचवटी), पैठण, राजमहेन्द्र,भद्राचलमू, नान्देड़ (गुरु गोविन्द सिंह की समाधि), कोटा पल्ली आदि पावन क्षेत्र इसके तट पर हैं। मुस्लिम आक्रान्ताओं ने तीर्थों की पवित्रता को अनेक बार भंग किया। मराठा उत्थान के समय अनेक मन्दिरों का निर्माण व जीणोद्धार किया गया। वधाँ, प्राणहिता, इन्द्रावती, साबरी प्रवरा, वैन गांगा आदि इसकी सहायक नदियाँ हैं। |