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तन्त्रज्ञान का शाब्दिक अर्थ भले ही अलग हो तो भी वह टैकनोलोजी के लिये स्वीकृत शब्द है। पश्चिम की टैकनोलोजी से आज सारा विश्व अभिभूत है।
 
तन्त्रज्ञान का शाब्दिक अर्थ भले ही अलग हो तो भी वह टैकनोलोजी के लिये स्वीकृत शब्द है। पश्चिम की टैकनोलोजी से आज सारा विश्व अभिभूत है।
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उन्नीसवीं शताब्दी में भाप का इन्जन, टेलीफोन तथा विद्युत की ऊर्जा की खोज से नई टैकनोलोजी की आरम्भआत हुई। सूत पहले भी काता जाता था और वस्त्र पहले भी बुने जाते थे परन्तु उस समय सूत कातने वाले और वस्त्र बुने वाले यन्त्र थे वे मनुष्य के हाथ की ऊर्जा से चलते थे। विश्व की जीवनशैली बदल देने वाले यन्त्र नहीं हैं, यन्त्रों को संचालित करने वाली ऊर्जा है। बिजली भाप, पेट्रोल और अब अणु ऊर्जा ने भारी बदल किया है । इस ऊर्जा के आविष्कार से पूर्व जिस ऊर्जा से यन्त्र संचालित होते थे वह ऊर्जा मनुष्य का और पशु का बल था। जैसे कि कुएं से पानी निकालने का काम सरल बनाने हेतु घिटनी थी परन्तु घडे को खींचने वाले मनुष्य के हाथ होते थे । जमीन जोतने के लिये हल था परन्तु हल को चलानेवाले बैल होते थे । परिवहन के साधन भी थे, केवल भूमि पर नहीं तो जलमार्ग से यात्रा के लिये भी वाहन थे परन्तु उन्हें चलाने में मनुष्य और पशुओं की ऊर्जा प्रयुक्त होती थी। उन्नीसवीं शताब्दी में जैसे ही अन्य ऊर्जाओं का आविष्कार हुआ परिवहन, यातायात, पदार्थों के उत्पादन आदि क्षेत्रों में बडा तहलका मच गया । टैकनोलोजी का स्वरूप ही बदल गया।
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उन्नीसवीं शताब्दी में भाप का इन्जन, टेलीफोन तथा विद्युत की ऊर्जा की खोज से नई टैकनोलोजी की आरम्भआत हुई। सूत पहले भी काता जाता था और वस्त्र पहले भी बुने जाते थे परन्तु उस समय सूत कातने वाले और वस्त्र बुने वाले यन्त्र थे वे मनुष्य के हाथ की ऊर्जा से चलते थे। विश्व की जीवनशैली बदल देने वाले यन्त्र नहीं हैं, यन्त्रों को संचालित करने वाली ऊर्जा है। बिजली भाप, पेट्रोल और अब अणु ऊर्जा ने भारी बदल किया है । इस ऊर्जा के आविष्कार से पूर्व जिस ऊर्जा से यन्त्र संचालित होते थे वह ऊर्जा मनुष्य का और पशु का बल था। जैसे कि कुएं से पानी निकालने का काम सरल बनाने हेतु घिटनी थी परन्तु घड़े को खींचने वाले मनुष्य के हाथ होते थे । जमीन जोतने के लिये हल था परन्तु हल को चलानेवाले बैल होते थे । परिवहन के साधन भी थे, केवल भूमि पर नहीं तो जलमार्ग से यात्रा के लिये भी वाहन थे परन्तु उन्हें चलाने में मनुष्य और पशुओं की ऊर्जा प्रयुक्त होती थी। उन्नीसवीं शताब्दी में जैसे ही अन्य ऊर्जाओं का आविष्कार हुआ परिवहन, यातायात, पदार्थों के उत्पादन आदि क्षेत्रों में बडा तहलका मच गया । टैकनोलोजी का स्वरूप ही बदल गया।
    
शुद्ध भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में जिज्ञासा से प्रेरित होकर जो आविष्कार हुए वे निश्चितरूप से प्रशंसनीय ही थे। परन्तु अल्पबुद्धि, स्वार्थबुद्धि और दुष्टबुद्धियुक्त मनुष्य के हाथ में जब प्रभावी साधन आता है तो उसका प्रयोग कैसा होगा यह सहज ही समझ में आनेवाली बात है। विज्ञान एक प्रभावी साधन है, वह न तो अच्छा होता है न बुरा, उसका प्रयोग करनेवाले पर निर्भर करता है कि उसके प्रयोग का परिणाम अच्छा होगा कि बुरा । विज्ञान के आविष्कार हुए तब पश्चिम की खुशी और गर्व की सीमा नहीं रही। दैवयोग से उस समय इंग्लैण्ड का आधिपत्य विश्व के बड़े हिस्से पर था । इसलिये विज्ञान के आविष्कारों से जन्मे उत्साह और आनन्द का प्रभाव अन्य देशों पर भी पडा।
 
शुद्ध भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में जिज्ञासा से प्रेरित होकर जो आविष्कार हुए वे निश्चितरूप से प्रशंसनीय ही थे। परन्तु अल्पबुद्धि, स्वार्थबुद्धि और दुष्टबुद्धियुक्त मनुष्य के हाथ में जब प्रभावी साधन आता है तो उसका प्रयोग कैसा होगा यह सहज ही समझ में आनेवाली बात है। विज्ञान एक प्रभावी साधन है, वह न तो अच्छा होता है न बुरा, उसका प्रयोग करनेवाले पर निर्भर करता है कि उसके प्रयोग का परिणाम अच्छा होगा कि बुरा । विज्ञान के आविष्कार हुए तब पश्चिम की खुशी और गर्व की सीमा नहीं रही। दैवयोग से उस समय इंग्लैण्ड का आधिपत्य विश्व के बड़े हिस्से पर था । इसलिये विज्ञान के आविष्कारों से जन्मे उत्साह और आनन्द का प्रभाव अन्य देशों पर भी पडा।

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