विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में पढ़ाये जाने वाले विभिन्न विषयों का प्रयोजन क्या होता है, इस विषय में व्यापक सन्दर्भ में पुनर्विचार करने की आवश्यकता निर्माण हुई है<ref>धार्मिक शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला १): पर्व ६, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। ऐसा विचार करते हैं तब ध्यान में आता है कि शिक्षा से जुड़े विभिन्न पक्ष शिक्षा को और किसी एक विषय को भिन्न भिन्न दृष्टि से देखते हैं और उसके ही अनुसार भिन्न भिन्न तरीके से पेश आते हैं ।
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विभिन्न विषयों का प्रयोजन क्या होता है इस विषय में
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व्यापक सन्दर्भ में पुनर्विचार करने की आवश्यकता निर्माण
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हुई है। ऐसा विचार करते हैं तब ध्यान में आता है कि
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शिक्षा से जुड़े विभिन्न पक्ष शिक्षा को और किसी एक विषय
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