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# समाज में गृहस्थ परिषद, वानप्रस्थ परिषद, प्रौढ वानप्रस्थ परिषद, वृद्ध वानप्रस्थ परिषद आदि अनेक प्रकार की रचनायें हो सकती हैं। गृहसंचालन, समाजसेवा की विभिन्न संस्थाओं का संचालन, सामाजिक उत्सवों, पर्वो आदि का आयोजन इन परिषदों के लिये सीखने सिखाने के विषय रहंगे। इनका नियमन धर्माचार्य करेंगे।  
 
# समाज में गृहस्थ परिषद, वानप्रस्थ परिषद, प्रौढ वानप्रस्थ परिषद, वृद्ध वानप्रस्थ परिषद आदि अनेक प्रकार की रचनायें हो सकती हैं। गृहसंचालन, समाजसेवा की विभिन्न संस्थाओं का संचालन, सामाजिक उत्सवों, पर्वो आदि का आयोजन इन परिषदों के लिये सीखने सिखाने के विषय रहंगे। इनका नियमन धर्माचार्य करेंगे।  
 
# इसी प्रकार से विभिन्न उत्पादन केन्द्रों में कार्यरत, अपने ही घर में व्यवसाय करने वाले लोगोंं की भी परिषदें होंगी जिनका संचालन महाजन करेंगे । इनमें व्यावसायिक कुशलताओं की तथा समाज की समृद्धि की चर्चा होगी।
 
# इसी प्रकार से विभिन्न उत्पादन केन्द्रों में कार्यरत, अपने ही घर में व्यवसाय करने वाले लोगोंं की भी परिषदें होंगी जिनका संचालन महाजन करेंगे । इनमें व्यावसायिक कुशलताओं की तथा समाज की समृद्धि की चर्चा होगी।
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[[Dharmik Science and Technology (धार्मिक विज्ञान एवं तन्त्रज्ञान दृष्टि)|यह लेख]] भी देखें ।
    
==References==
 
==References==

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