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* तीसरी पीढी में भी हर चार बच्चोंं में दो ही बेटे होंगे ऐसा मानकर अब यह कुटुंब ३० लोगोंं का बन जाएगा।  
 
* तीसरी पीढी में भी हर चार बच्चोंं में दो ही बेटे होंगे ऐसा मानकर अब यह कुटुंब ३० लोगोंं का बन जाएगा।  
 
* अब यह वास्तव में संयुक्त कुटुंब के वास्तविक और लगभग सभी लाभ देने लगेगा।
 
* अब यह वास्तव में संयुक्त कुटुंब के वास्तविक और लगभग सभी लाभ देने लगेगा।
संयुक्त परिवारों की पुन: प्रतिष्ठापना और दृढीकरण संयुक्त कुटुंब के असीम लाभ होने के उपरांत भी इसे प्रत्यक्ष में लाना अत्यंत कठिन है। विपरीत शिक्षा ने पुरानी पीढी के साथ ही युवा पीढी की मानसिकता बिगाड डाली है। 'अब हम इतने आगे आ गये हैं कि अब लौटना संभव नहीं है' - ऐसी दलील दी जाती है। १० पीढ़ियों की विपरीत शिक्षा के फलस्वरूप उत्पन्न हुई व्यक्तिवादिता की भावना के कारण स्त्री के शोषण का जो वातावरण और जो व्यवस्था खडी हो गयी है उसे अपनी सुरक्षा को खतरे में डालकर भी स्त्रियाँ गँवाना नहीं चाहतीं। अपना पूरा समय अपनी पैसा कमाने की क्षमता बढाने के लिये युवा पीढी खर्च करना चाहती है। इहवादी संकीर्ण सोच के कारण आगे क्या होगा किसने देखा है, ऐसी मानसिकता समाजव्यापी बन गई है। व्यक्तिवादिता, इहवादिता और जड़वादिता की शिक्षा ने मनुष्य को स्वार्थी, उपभोगवादी और जड़ बुध्दि का बना दिया है। पेड से टूटे हुए जड़ पत्ते की तरह वह परिस्थिति के थपेडे सहते हुए केवल अपने लिये सोचने को ही पुरूषार्थ समझने लगा है। समाज जीवन को श्रेष्ठ और चिरंजीवी बनाने को वह अपना दायित्व नहीं मानता। सामाजिक उन्नयन के लिये मैं इस जन्म में तो क्या जन्म जन्मांतर भगीरथ प्रयास करूंगा ऐसा वह नहीं सोचता। नई पीढी के लोगोंं को समझाने से पहले वर्तमान मार्गदर्शक पीढी के लोगोंं को उनके आत्मविश्वासहीन और न्यूनताबोध की मानसिकता से बाहर आना होगा। लोगोंं को समझाने के लिये ही बहुत सारी शक्ति लगानी होगी। वर्तमान में भी जो संयुक्त परिवार चला रहे हैं उन्हें उच्चतम पुरस्कारों से सम्मानित करना होगा। सामाजिक दबाव बनाकर संयुक्त कुटुंब विरोधी भूमिका रखनेवालों को निष्प्रभ करना होगा। कुटुंबों में और विद्यालयों में जहाँ भी संभव है इस योजना का महत्व युवा वर्ग को समझाना होगा। युवक-युवतियों की मानसिकता बदलनी होगी। नये पैदा होने वाले बच्चोंं को योजना से जन्म देना होगा। गर्भ से ही संयुक्त परिवार का आग्रह संस्कारों से प्राप्त करने के कारण दूसरी पीढी में कुछ राहत मिल सकती है। तीसरी पीढी में जब इस व्यवस्था के लाभ मिलने लगेंगे तब इस योजना को चलाने में और विस्तार देने में अधिक सहजता आएगी। इस के लिये निम्न कुछ बातों का आग्रह करना होगा:
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संयुक्त परिवारों की पुन: प्रतिष्ठापना और दृढीकरण संयुक्त कुटुंब के असीम लाभ होने के उपरांत भी इसे प्रत्यक्ष में लाना अत्यंत कठिन है। विपरीत शिक्षा ने पुरानी पीढी के साथ ही युवा पीढी की मानसिकता बिगाड डाली है। 'अब हम इतने आगे आ गये हैं कि अब लौटना संभव नहीं है' - ऐसी दलील दी जाती है। १० पीढ़ियों की विपरीत शिक्षा के फलस्वरूप उत्पन्न हुई व्यक्तिवादिता की भावना के कारण स्त्री के शोषण का जो वातावरण और जो व्यवस्था खडी हो गयी है उसे अपनी सुरक्षा को खतरे में डालकर भी स्त्रियाँ गँवाना नहीं चाहतीं। अपना पूरा समय अपनी पैसा कमाने की क्षमता बढाने के लिये युवा पीढी खर्च करना चाहती है। इहवादी संकीर्ण सोच के कारण आगे क्या होगा किसने देखा है, ऐसी मानसिकता समाजव्यापी बन गई है। व्यक्तिवादिता, इहवादिता और जड़वादिता की शिक्षा ने मनुष्य को स्वार्थी, उपभोगवादी और जड़ बुद्धि का बना दिया है। पेड से टूटे हुए जड़ पत्ते की तरह वह परिस्थिति के थपेडे सहते हुए केवल अपने लिये सोचने को ही पुरूषार्थ समझने लगा है। समाज जीवन को श्रेष्ठ और चिरंजीवी बनाने को वह अपना दायित्व नहीं मानता। सामाजिक उन्नयन के लिये मैं इस जन्म में तो क्या जन्म जन्मांतर भगीरथ प्रयास करूंगा ऐसा वह नहीं सोचता। नई पीढी के लोगोंं को समझाने से पहले वर्तमान मार्गदर्शक पीढी के लोगोंं को उनके आत्मविश्वासहीन और न्यूनताबोध की मानसिकता से बाहर आना होगा। लोगोंं को समझाने के लिये ही बहुत सारी शक्ति लगानी होगी। वर्तमान में भी जो संयुक्त परिवार चला रहे हैं उन्हें उच्चतम पुरस्कारों से सम्मानित करना होगा। सामाजिक दबाव बनाकर संयुक्त कुटुंब विरोधी भूमिका रखनेवालों को निष्प्रभ करना होगा। कुटुंबों में और विद्यालयों में जहाँ भी संभव है इस योजना का महत्व युवा वर्ग को समझाना होगा। युवक-युवतियों की मानसिकता बदलनी होगी। नये पैदा होने वाले बच्चोंं को योजना से जन्म देना होगा। गर्भ से ही संयुक्त परिवार का आग्रह संस्कारों से प्राप्त करने के कारण दूसरी पीढी में कुछ राहत मिल सकती है। तीसरी पीढी में जब इस व्यवस्था के लाभ मिलने लगेंगे तब इस योजना को चलाने में और विस्तार देने में अधिक सहजता आएगी। इस के लिये निम्न कुछ बातों का आग्रह करना होगा:
 
# अपने से प्रारंभ करना। हो सके तो अपने भाईयों के साथ बात कर, उन्हें समझाकर एकसाथ रहना प्रारंभ करना।
 
# अपने से प्रारंभ करना। हो सके तो अपने भाईयों के साथ बात कर, उन्हें समझाकर एकसाथ रहना प्रारंभ करना।
 
# अपने बच्चोंं को संयुक्त कुटुंब का महत्व समझाना। वे विभक्त नहीं हों इसलिये हर संभव प्रयास करना। यथासंभव अपने बच्चोंंपर व्यक्तिवादिता, इहवादिता और जड़वादिता के संस्कार नहीं हों इसे सुनिश्चित करना। इस हेतु विद्यालयों में और समाज में जो विपरीत वातावरण है उससे बच्चोंं की रक्षा करना।  
 
# अपने बच्चोंं को संयुक्त कुटुंब का महत्व समझाना। वे विभक्त नहीं हों इसलिये हर संभव प्रयास करना। यथासंभव अपने बच्चोंंपर व्यक्तिवादिता, इहवादिता और जड़वादिता के संस्कार नहीं हों इसे सुनिश्चित करना। इस हेतु विद्यालयों में और समाज में जो विपरीत वातावरण है उससे बच्चोंं की रक्षा करना।  

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