− | विन्दु सरोवर दो हैं : 1. भुवनेश्वर के मुख्य बाजार में स्थित 2. विन्दु सरोवर सिद्धपुर। देश की एकात्मता की दृष्टि सेपूर्व दिशा स्थित भुवनेश्वर का विन्दुसरोवर अधिक महत्वपूर्ण है। यह एक सुविस्तृत सरोवर है। सरोवर के मध्य एकविशाल मन्दिरहै। इसमेंभगवान् नारायण,शिव-पार्वती, गणेश की सुन्दर प्रतिमाएँ हैं। सरोवर केचारों ओर बहुत सेमन्दिरबने हैं। इस सरोवर में समस्त तीथों का जल लाकर डाला हुआ है,अतः यह परम पवित्र माना जाता हैं। भारतवर्ष में पितृश्राद्ध के लिए गया प्रसिद्ध है तो मातृश्राद्ध के लिए सिद्धपुर स्थित विन्दुसरोवर की मान्यता है। इसे मातृगया भी कहा जाता है| प्राचीन नाम श्रीस्थल है। पवित्र सरस्वती से लगभग डेढ़-दो किलोमीटर दूरएक सरोवरहै। लगभग 12 मीटर लम्बा व 12मीटरचौड़ा यह सरोवर कर्दम ऋषि, कपिल मुनि, समुद्र-मन्थन औरभगवान परशुराम की कथाओं से सम्बद्ध है। सरोवर के पास गोविन्द माधव मन्दिर विद्यमान है। तीर्थयात्री सरोवरमें स्नान कर मातृ-श्राद्ध करते हैं। दक्षिणी छोरपर बने मन्दिर में महर्षि कर्दम, देवहूति और महर्षि कपिल की मूर्तियाँ हैं। इसके अतिरिक्त राधा-कृष्ण, लक्ष्मी-नारायण, सिद्धेश्वरमहादेव के मन्दिर,ज्ञानवापी(बावली) तथा वल्लभाचार्य महाप्रभु की बैठक यहाँ विद्यमान है। | + | विन्दु सरोवर दो हैं : 1. भुवनेश्वर के मुख्य बाजार में स्थित 2. विन्दु सरोवर सिद्धपुर। देश की एकात्मता की दृष्टि सेपूर्व दिशा स्थित भुवनेश्वर का विन्दुसरोवर अधिक महत्वपूर्ण है। यह एक सुविस्तृत सरोवर है। सरोवर के मध्य एकविशाल मन्दिरहै। इसमेंभगवान् नारायण,शिव-पार्वती, गणेश की सुन्दर प्रतिमाएँ हैं। सरोवर केचारों ओर बहुत सेमन्दिरबने हैं। इस सरोवर में समस्त तीथों का जल लाकर डाला हुआ है,अतः यह परम पवित्र माना जाता हैं। भारतवर्ष में पितृश्राद्ध के लिए गया प्रसिद्ध है तो मातृश्राद्ध के लिए सिद्धपुर स्थित विन्दुसरोवर की मान्यता है। इसे मातृगया भी कहा जाता है| प्राचीन नाम श्रीस्थल है। पवित्र सरस्वती से लगभग डेढ़-दो किलोमीटर दूरएक सरोवरहै। लगभग 12 मीटर लम्बा व 12मीटरचौड़ा यह सरोवर कर्दम ऋषि, कपिल मुनि, समुद्र-मन्थन औरभगवान परशुराम की कथाओं से सम्बद्ध है। सरोवर के पास गोविन्द माधव मन्दिर विद्यमान है। तीर्थयात्री सरोवरमें स्नान कर मातृ-श्राद्ध करते हैं। दक्षिणी छोरपर बने मन्दिर में महर्षि कर्दम, देवहूति और महर्षि कपिल की मूर्तियाँ हैं। इसके अतिरिक्त राधा-कृष्ण, लक्ष्मी-नारायण, सिद्धेश्वरमहादेव के मन्दिर,ज्ञानवापी(बावली) तथा वल्लभाचार्य महाप्रभु की बैठक यहाँ विद्यमान है।जाटण श्लोवाट कच्छ के रनों का यह अति प्राचीन तीर्थ क्षेत्र है। यहाँ स्वच्छ जल काएक पवित्र तालाब है।इसका निर्माण नारायण भगवान् ने गांगोत्री से पवित्रजल लाकर किया।स्वयं नाराण यहाँपर कुछ काल रहे। सरोवर के पासआदि नारायण, गोवर्द्धननाथ और टीकम जी के सुन्दर मन्दिर बने हैं। श्रीवल्लभाचार्य महाप्रभु की बैठक भी नारायण सरोवर के पास है। नारायणसरोवर से लगभग 3 कि.मी. दूर कोटेश्वर महादेव का प्राचीन मन्दिर है।कार्तिक पूर्णिमा केअवसर परयहाँ एक मेला लगता है। तीर्थ-यात्रियों कीसुविधा के लिए यहाँ कईधर्मशालाएँ बनी हुई हैं। |