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इन्स्टण्ट फूड का अर्थ है झटपट तैयार होने वाला पदार्थ। झटपट अर्थात् दो मिनिट से लेकर पन्द्रह-बीस मिनिट में तैयार हो जाने वाला।
 
इन्स्टण्ट फूड का अर्थ है झटपट तैयार होने वाला पदार्थ। झटपट अर्थात् दो मिनिट से लेकर पन्द्रह-बीस मिनिट में तैयार हो जाने वाला।
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आजकल दौडधूपकी जिंदगी में ऐसे तुरन्त बनने वाले पदार्थों की आवश्यकता अधिक रहती है । गृहिणी को स्वयं भी शीघ्रातिशीघ्र काम निपटकर नौकरी पर निकलना होता है अथवा बच्चों और पति को भेजना होता है।  
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आजकल दौडधूपकी जिंदगी में ऐसे तुरन्त बनने वाले पदार्थों की आवश्यकता अधिक रहती है । गृहिणी को स्वयं भी शीघ्रातिशीघ्र काम निपटकर नौकरी पर निकलना होता है अथवा बच्चोंं और पति को भेजना होता है।  
    
छाप ऐसी पडती है कि इन्स्टण्ट फूड का आविष्कार आज के जमाने में ही हुआ है। परन्तु ऐसा है नही। झटपट भोजन की आवश्यकता तो कहीं भी और कभी भी रह सकती है। इसलिये धार्मिक गृहिणी भी इस कला में माहिर होगी ही। ऐसे कई पदार्थों की सूची यहाँ दी गई है। यह सूची सबको परिचित है, घर घर में प्रचलित भी है। परन्तु ध्यान इस बातकी ओर आकर्षित करना है कि ये सब पदार्थ झटपट तैयार होने वाले होने के साथ साथ पोषक एवं स्वादिष्ट भी होते हैं, बनाने में सरल हैं और आर्थिक दृष्टि से देखा जाय तो सर्वसामान्य गृहिणी बना सकेगी ऐसे भी हैं।  
 
छाप ऐसी पडती है कि इन्स्टण्ट फूड का आविष्कार आज के जमाने में ही हुआ है। परन्तु ऐसा है नही। झटपट भोजन की आवश्यकता तो कहीं भी और कभी भी रह सकती है। इसलिये धार्मिक गृहिणी भी इस कला में माहिर होगी ही। ऐसे कई पदार्थों की सूची यहाँ दी गई है। यह सूची सबको परिचित है, घर घर में प्रचलित भी है। परन्तु ध्यान इस बातकी ओर आकर्षित करना है कि ये सब पदार्थ झटपट तैयार होने वाले होने के साथ साथ पोषक एवं स्वादिष्ट भी होते हैं, बनाने में सरल हैं और आर्थिक दृष्टि से देखा जाय तो सर्वसामान्य गृहिणी बना सकेगी ऐसे भी हैं।  
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# मिनरल वॉटर की बिमारी इतनी फैली हुई है कि लोग मटके का पानी नहीं पिते, स्थानकों पर की हुई पानी की व्यवस्था से प्राप्त पानी नहीं पीते, यात्रा में घर से पानी साथ में नहीं ले जाते । इन सब अच्छी बातों को छोडकर पन्द्रह से बीस रूपये का एक लीटर पानी खरीदने वाली प्रजा असंस्कारी और दरिद्र बन जाने की पूरी सम्भावना है। विद्यालय में सिखाने लायक यह महत्त्वपूर्ण विषय है।  
 
# मिनरल वॉटर की बिमारी इतनी फैली हुई है कि लोग मटके का पानी नहीं पिते, स्थानकों पर की हुई पानी की व्यवस्था से प्राप्त पानी नहीं पीते, यात्रा में घर से पानी साथ में नहीं ले जाते । इन सब अच्छी बातों को छोडकर पन्द्रह से बीस रूपये का एक लीटर पानी खरीदने वाली प्रजा असंस्कारी और दरिद्र बन जाने की पूरी सम्भावना है। विद्यालय में सिखाने लायक यह महत्त्वपूर्ण विषय है।  
 
# विद्यालय के समारोहों में मंच पर जब प्लास्टीक की 'मिनरल वॉटर' की बोतलें दिखाई देती है तब वह व्यापक विचार का और संस्कारयुक्त सोच का अभाव ही दर्शाती है।  
 
# विद्यालय के समारोहों में मंच पर जब प्लास्टीक की 'मिनरल वॉटर' की बोतलें दिखाई देती है तब वह व्यापक विचार का और संस्कारयुक्त सोच का अभाव ही दर्शाती है।  
# साथ में पानी की बोतल रखना और जब मन करे तब बोतल मुँह को लगाकर पानी पीना प्रचलन में आ गया है । तर्क यह दिया जाता है कि पानी स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है और प्यास लगे तब पानी पीना ही चाहिये । परन्तु कक्षा चल रही हो या कार्यक्रम, वार्तालाप चल रहा हो या बैठक, मन चाहे तब पानी पीना असभ्यता का ही लक्षण है। साधारण रूप से कोई कक्षा कोई बैठक, कोई कार्यक्रम बिना विराम के दो घण्टे से अधिक चलता नहीं है । इतना समय बिना पानी के रहना असम्भव नहीं है। इतना संयम करना शरीरस्वास्थ्य के लिये हानिकारक नहीं है और मनोस्वास्थ्य के लिये लाभकारी है। बच्चों और बड़ों में बढती हुई इस आदत को जल्दी ही ठीक करने की आवश्यकता है।
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# साथ में पानी की बोतल रखना और जब मन करे तब बोतल मुँह को लगाकर पानी पीना प्रचलन में आ गया है । तर्क यह दिया जाता है कि पानी स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है और प्यास लगे तब पानी पीना ही चाहिये । परन्तु कक्षा चल रही हो या कार्यक्रम, वार्तालाप चल रहा हो या बैठक, मन चाहे तब पानी पीना असभ्यता का ही लक्षण है। साधारण रूप से कोई कक्षा कोई बैठक, कोई कार्यक्रम बिना विराम के दो घण्टे से अधिक चलता नहीं है । इतना समय बिना पानी के रहना असम्भव नहीं है। इतना संयम करना शरीरस्वास्थ्य के लिये हानिकारक नहीं है और मनोस्वास्थ्य के लिये लाभकारी है। बच्चोंं और बड़ों में बढती हुई इस आदत को जल्दी ही ठीक करने की आवश्यकता है।
 
# यही आदत बिना किसी प्रयोजन के बोतल का पानी फेंक देने की है। केवल मजे मजे में पानी गिराना पैसे बर्बाद करना ही है। इस आदत को भी ठीक करना चाहिये।  
 
# यही आदत बिना किसी प्रयोजन के बोतल का पानी फेंक देने की है। केवल मजे मजे में पानी गिराना पैसे बर्बाद करना ही है। इस आदत को भी ठीक करना चाहिये।  
 
# पैसा खर्च करके खरीदे हुए पानी को एक क्षण में फैंक देने का प्रचलन भी बहुत बढ़ रहा है। पानी की बर्बादी के साथ साथ यह पैसे की भी बर्बादी है। बुद्धि हीनता के साथ साथ यह असंस्कारिता की भी निशानी है।  
 
# पैसा खर्च करके खरीदे हुए पानी को एक क्षण में फैंक देने का प्रचलन भी बहुत बढ़ रहा है। पानी की बर्बादी के साथ साथ यह पैसे की भी बर्बादी है। बुद्धि हीनता के साथ साथ यह असंस्कारिता की भी निशानी है।  

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