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९२. परिवार में देशभक्ति की भावना के संस्कार मिलने चाहिये । उपभोग की सर्वसामग्री स्वदेशी हो इसका आग्रह रहना चाहिये । सस्ती है, सुन्दर है, सुलभ है, सुविधायुक्त है इसलिये विदेशी वस्तु खरीद सकते हैं यह अनुचित सिद्धान्त है ।
 
९२. परिवार में देशभक्ति की भावना के संस्कार मिलने चाहिये । उपभोग की सर्वसामग्री स्वदेशी हो इसका आग्रह रहना चाहिये । सस्ती है, सुन्दर है, सुलभ है, सुविधायुक्त है इसलिये विदेशी वस्तु खरीद सकते हैं यह अनुचित सिद्धान्त है ।
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९२. युवा पीढ़ी की उद्दण्डता परिवार में शिक्षा नहीं मिलने का ही परिणाम है । इस दृष्टि से बच्चों का संगोपन सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विषय है । इस दृष्टि से मातापिता और सन्तानें अधिक से अधिक साथ साथ जी सकें ऐसी परिवार की जीवनचर्या बननी चाहिये । आज की तरह बडे अर्थार्जन के लिये और छोटे पढाई के लिये दिन का अधिकांश समय घर से बाहर और एकदूसरे से दूर ही रहता हो तब यह मामला बहुत कठिन हो जाता है ।
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९२. युवा पीढ़ी की उद्दण्डता परिवार में शिक्षा नहीं मिलने का ही परिणाम है । इस दृष्टि से बच्चोंं का संगोपन सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विषय है । इस दृष्टि से मातापिता और सन्तानें अधिक से अधिक साथ साथ जी सकें ऐसी परिवार की जीवनचर्या बननी चाहिये । आज की तरह बडे अर्थार्जन के लिये और छोटे पढाई के लिये दिन का अधिकांश समय घर से बाहर और एकदूसरे से दूर ही रहता हो तब यह मामला बहुत कठिन हो जाता है ।
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९३. परिवार को सुनिश्चित कर लेना चाहिये कि समाज में अनाथाश्रम, वृद्धाश्रम, अनाथनारी संरक्षण गृह आदि संस्थायें न पनपे । बेरोजगारी, अनाथों, बच्चों, विधवाओं, वृद्धों को पेन्शन देने की सरकारी
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९३. परिवार को सुनिश्चित कर लेना चाहिये कि समाज में अनाथाश्रम, वृद्धाश्रम, अनाथनारी संरक्षण गृह आदि संस्थायें न पनपे । बेरोजगारी, अनाथों, बच्चोंं, विधवाओं, वृद्धों को पेन्शन देने की सरकारी
    
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