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| सरकारी नीति के अनुसार विद्यालयों में सबको उत्तीर्ण करना अनिवार्य होने के कारण जनजाति क्षेत्रों में स्नातक तक पढ़कर भी उनका स्तर बहुत कम है । अतः परीक्षा में उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता पुनः रखना चाहिए । वनवासी वीर जिन्होंने हमारी संस्कृति एवं धर्म की रक्षा की थी और जो स्वतंत्र वीर थे, उन सबका इतिहास पाठ्यक्रम में जोड़ना चाहिए । वनवासियों के जीवन प्रकृति माता से जुड़े हुए होने के कारण उनके गीत, नृत्य, भाषा, रीति-रिवाज, लोक-कला इत्यादि विषयों को पाठ्यक्रम में जोड़ना चाहिए | | | सरकारी नीति के अनुसार विद्यालयों में सबको उत्तीर्ण करना अनिवार्य होने के कारण जनजाति क्षेत्रों में स्नातक तक पढ़कर भी उनका स्तर बहुत कम है । अतः परीक्षा में उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता पुनः रखना चाहिए । वनवासी वीर जिन्होंने हमारी संस्कृति एवं धर्म की रक्षा की थी और जो स्वतंत्र वीर थे, उन सबका इतिहास पाठ्यक्रम में जोड़ना चाहिए । वनवासियों के जीवन प्रकृति माता से जुड़े हुए होने के कारण उनके गीत, नृत्य, भाषा, रीति-रिवाज, लोक-कला इत्यादि विषयों को पाठ्यक्रम में जोड़ना चाहिए | |
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− | भारत में जनजातियों की संख्या ६७५ से अधिक है । उनकी अलग-अलग बोलियाँ होने के कारण विद्यालय की पढ़ाई में कष्ट अनुभव कर रहें है : अतः उनकी अपनी मातृभाषा में पढ़ाना और लिपि उस राज्य की होनी चाहिए तभी जनजाति बच्चों में ड्रापव-आउट कम होगा । | + | भारत में जनजातियों की संख्या ६७५ से अधिक है । उनकी अलग-अलग बोलियाँ होने के कारण विद्यालय की पढ़ाई में कष्ट अनुभव कर रहें है : अतः उनकी अपनी मातृभाषा में पढ़ाना और लिपि उस राज्य की होनी चाहिए तभी जनजाति बच्चोंं में ड्रापव-आउट कम होगा । |
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| वनवासी बन्धु आधुनिक विद्या से वंचित हैं, परंतु लोक ज्ञान में आगे हैं । प्रकृति, भूमि, पशु-पक्षी इत्यादि विषयों में वे ज्ञान संपन्न हैं। इन विषयों को शिक्षा में जोड़ना चाहिए । शिक्षा का उद्देश्य जीवन के लक्ष्य को पूरा करनेवाला होना चाहिए । | | वनवासी बन्धु आधुनिक विद्या से वंचित हैं, परंतु लोक ज्ञान में आगे हैं । प्रकृति, भूमि, पशु-पक्षी इत्यादि विषयों में वे ज्ञान संपन्न हैं। इन विषयों को शिक्षा में जोड़ना चाहिए । शिक्षा का उद्देश्य जीवन के लक्ष्य को पूरा करनेवाला होना चाहिए । |
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− | पढ़नेवालों की संख्या बढ़ाना और ड्राप आउट कम करने के प्रयास तेज गति से होने की आवश्यकता है । इसलिये शिक्षा प्रणाली में जनजाति बच्चों का सामान्य स्तर एवं विषयों में सुधार लाना चाहिए । विशेषकर जनजातियों की संस्कृति, इतिहास, पर्यावरण एवं उनकी आवश्यकताओं के बारे में समेकित शिक्षा पर सोचना चाहिए । | + | पढ़नेवालों की संख्या बढ़ाना और ड्राप आउट कम करने के प्रयास तेज गति से होने की आवश्यकता है । इसलिये शिक्षा प्रणाली में जनजाति बच्चोंं का सामान्य स्तर एवं विषयों में सुधार लाना चाहिए । विशेषकर जनजातियों की संस्कृति, इतिहास, पर्यावरण एवं उनकी आवश्यकताओं के बारे में समेकित शिक्षा पर सोचना चाहिए । |
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| इस निबंध के अन्त में अखिल धार्मिक वनवासी कल्याणआश्रम के कुछ सुझाव भी दिया जा रहा है । | | इस निबंध के अन्त में अखिल धार्मिक वनवासी कल्याणआश्रम के कुछ सुझाव भी दिया जा रहा है । |
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| १. छत्तीस गढ़ के रायपुर छात्रावास में एम.ए. पढ़ी हुई नागा महिला, नागालैण्ड में हिन्दी अध्यापिका बन गयी । उस महिला ने अधिकारियों से कहा कि नियुक्ति शहर में अपने गाँव न होकर सुदूर वनाँचल में करनी चाहिए। पूछने से उत्तर दिया के वे कल्याणाश्रम के संस्कारों के कारण वह सुदूर वनाँचल ग्रामों में सेवा करना चाहती है । | | १. छत्तीस गढ़ के रायपुर छात्रावास में एम.ए. पढ़ी हुई नागा महिला, नागालैण्ड में हिन्दी अध्यापिका बन गयी । उस महिला ने अधिकारियों से कहा कि नियुक्ति शहर में अपने गाँव न होकर सुदूर वनाँचल में करनी चाहिए। पूछने से उत्तर दिया के वे कल्याणाश्रम के संस्कारों के कारण वह सुदूर वनाँचल ग्रामों में सेवा करना चाहती है । |
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− | २. झारखण्ड चक्रधरपुर जिले के निश्चिन्तपुर गाँव की जनजाति लड़की पहाड़ों की स्पर्धा में ६३ पहाडें कंठस्थ करके बोलकर सर्वप्रथम निकली/बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए वहाँ के कार्यकर्ता ज्यादा पहाड़े कंठस्थ करनेवाले बच्चों को पहाड़ा महाराज, पहाडा चक्रवर्ती, पहाडा सम्राट ऐसी उपाधि से सम्मानित करते थे । | + | २. झारखण्ड चक्रधरपुर जिले के निश्चिन्तपुर गाँव की जनजाति लड़की पहाड़ों की स्पर्धा में ६३ पहाडें कंठस्थ करके बोलकर सर्वप्रथम निकली/बच्चोंं को प्रोत्साहित करने के लिए वहाँ के कार्यकर्ता ज्यादा पहाड़े कंठस्थ करनेवाले बच्चोंं को पहाड़ा महाराज, पहाडा चक्रवर्ती, पहाडा सम्राट ऐसी उपाधि से सम्मानित करते थे । |
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| ३. राजस्थान के बाँसवाडा जिले का भाटमोडी संपूर्ण साक्षर गाँव और व्यसन मुक्त गाँव बन गया । | | ३. राजस्थान के बाँसवाडा जिले का भाटमोडी संपूर्ण साक्षर गाँव और व्यसन मुक्त गाँव बन गया । |
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| १. आने वाले १० वर्षों में जनजाति समुदाय भी शिक्षा के सभी राष्ट्रीय मानकों की बराबरी पर होंगे । सरकार के सभी कार्यक्रम इस दिशा में केन्द्रित हों । | | १. आने वाले १० वर्षों में जनजाति समुदाय भी शिक्षा के सभी राष्ट्रीय मानकों की बराबरी पर होंगे । सरकार के सभी कार्यक्रम इस दिशा में केन्द्रित हों । |
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− | २. १०० प्रतिशत साक्षरता दर पाने के लिये प्राथमिक स्तरों की शिक्षा पर सर्वोच्च प्राथमिकता हो । विद्यार्थियों को प्राथमिक स्तर की शिक्षा के लिये तैयार करने हेतु आँगनबाड़ी कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा सकता है । ग्राम या संच स्तर पर छोटे बच्चों की माताओं के मासिक सम्मेलन के रूप में चेतना शिविर आयोजित हों । | + | २. १०० प्रतिशत साक्षरता दर पाने के लिये प्राथमिक स्तरों की शिक्षा पर सर्वोच्च प्राथमिकता हो । विद्यार्थियों को प्राथमिक स्तर की शिक्षा के लिये तैयार करने हेतु आँगनबाड़ी कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा सकता है । ग्राम या संच स्तर पर छोटे बच्चोंं की माताओं के मासिक सम्मेलन के रूप में चेतना शिविर आयोजित हों । |
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| ३. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष २००७-०८ में ८८.५ प्रतिशत जनजाति बस्तियों के १ कि.मी. के दायरे में प्राथमिक विद्यालय उपलब्ध था (राष्ट्रीय सेंपल सर्वे ६४वीं आवृत्ति) । आशा करनी चाहिए कि शीघ्र ही सभी जनजाति टोलों के लगकर ही प्राथमिक विद्यालय उपलब्ध होंगे । | | ३. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष २००७-०८ में ८८.५ प्रतिशत जनजाति बस्तियों के १ कि.मी. के दायरे में प्राथमिक विद्यालय उपलब्ध था (राष्ट्रीय सेंपल सर्वे ६४वीं आवृत्ति) । आशा करनी चाहिए कि शीघ्र ही सभी जनजाति टोलों के लगकर ही प्राथमिक विद्यालय उपलब्ध होंगे । |
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− | ४. प्राथमिक विद्यालय भवनों की बनावट स्थानीय पारम्परिक भवन शैली में करने के प्रयास हों जिसमें स्थानीय सामग्री का प्रयोग करते हुए स्थानीय कारीगरों से बनवाए जाने को प्राथमिकता दी जाए । इससे बच्चों एवं समुदाय में आत्मविश्वास एवं अपने परिवेश के प्रति सम्मान का भाव जगेगा । | + | ४. प्राथमिक विद्यालय भवनों की बनावट स्थानीय पारम्परिक भवन शैली में करने के प्रयास हों जिसमें स्थानीय सामग्री का प्रयोग करते हुए स्थानीय कारीगरों से बनवाए जाने को प्राथमिकता दी जाए । इससे बच्चोंं एवं समुदाय में आत्मविश्वास एवं अपने परिवेश के प्रति सम्मान का भाव जगेगा । |
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| ५. प्राथमिक शिक्षा स्थानीय बोली में दी जाए जिसे मानक क्षेत्रीय भाषा से पूरक किया जा सकता है । विश्व भाषा कोष, शब्द-कोष एवं ऐसी ही बहुभाषी शिक्षण सामग्री सभी प्राथमिक विद्यालय में उपलब्ध कराई जाए । भाषा सम्बन्धी मामलों को संभालने के लिये यह सुनिश्चित किया जाए कि प्राथमिक विद्यालयों में कुछ शिक्षक स्थानीय समुदाय से हों । | | ५. प्राथमिक शिक्षा स्थानीय बोली में दी जाए जिसे मानक क्षेत्रीय भाषा से पूरक किया जा सकता है । विश्व भाषा कोष, शब्द-कोष एवं ऐसी ही बहुभाषी शिक्षण सामग्री सभी प्राथमिक विद्यालय में उपलब्ध कराई जाए । भाषा सम्बन्धी मामलों को संभालने के लिये यह सुनिश्चित किया जाए कि प्राथमिक विद्यालयों में कुछ शिक्षक स्थानीय समुदाय से हों । |
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| ८. संभागीय स्तरों पर आदर्श आवासीय खेल विद्यालय खोलने पर विचार हो । | | ८. संभागीय स्तरों पर आदर्श आवासीय खेल विद्यालय खोलने पर विचार हो । |
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− | ९. जनजाति बहुल जनसंख्या वाले जिलों के सैनिक विद्यालयों में जनजाति बच्चों के प्रवेश को प्राथमिकता देकर प्रवेश दिया जाए । | + | ९. जनजाति बहुल जनसंख्या वाले जिलों के सैनिक विद्यालयों में जनजाति बच्चोंं के प्रवेश को प्राथमिकता देकर प्रवेश दिया जाए । |
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| १०. विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए । जनजाति विद्यार्थियों को विज्ञान विषय लेने हेतु प्रोत्साहित किया जाए । एतदूर्थ आवश्यक हो तो जनजाति विद्यार्थियों हेतु पूरक, अतिरिक्त एवं उपायात्मक कक्षाओं की व्यवस्था की जाए । जब तक ऐसी स्थायी व्यवस्था नहीं बने तब तक एतदर्थ | | १०. विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए । जनजाति विद्यार्थियों को विज्ञान विषय लेने हेतु प्रोत्साहित किया जाए । एतदूर्थ आवश्यक हो तो जनजाति विद्यार्थियों हेतु पूरक, अतिरिक्त एवं उपायात्मक कक्षाओं की व्यवस्था की जाए । जब तक ऐसी स्थायी व्यवस्था नहीं बने तब तक एतदर्थ |