महाराज ने तेनालीरामा से क्रोधित स्वर में पूछा "तुम कौन हो और अन्दर कैसे आ गये? राजगुरु कहाँ है?" तेनालीरामा ने उत्तर दिया "महाराज मैं रामाकृष्णा तेनाली गाँव से आया हूँ । मैं आप से मिलना चाहता था परन्तु राजगुरु ने मिलने नहीं दिया । अतः मैंंने ये सब कृत्य किया मुझे क्षमा करे।" तेनालीरामा ने सारा वृतांत विस्तार पूर्वक सुनाया । महाराज कृष्णदेवराय पूरी घटना सुनने के बाद जोर जोर से हँसने लगे । कुछ समय पश्चात राजगुरु भी टूटी फूटी हालत में अन्दर आये। राजगुरु को देखकर महाराज और अधिक हँसने लगते है। महाराज कृष्णदेव तेनालीरामा के बुद्धिकौशल और सूझबुझ से अत्यंत प्रसन्न हुए। महाराज ने तेनालीरामा से कहा कि आप जैसे विद्वानों की हमारे राज्य को बहुत अधिक आवश्कता है । तेनालीरामा को विजयनगर राज्य का विशेष मार्गदर्शक नियुक्त किया गया और चारों तरफ उनकी कार्यो के चर्चे होने लगे। | महाराज ने तेनालीरामा से क्रोधित स्वर में पूछा "तुम कौन हो और अन्दर कैसे आ गये? राजगुरु कहाँ है?" तेनालीरामा ने उत्तर दिया "महाराज मैं रामाकृष्णा तेनाली गाँव से आया हूँ । मैं आप से मिलना चाहता था परन्तु राजगुरु ने मिलने नहीं दिया । अतः मैंंने ये सब कृत्य किया मुझे क्षमा करे।" तेनालीरामा ने सारा वृतांत विस्तार पूर्वक सुनाया । महाराज कृष्णदेवराय पूरी घटना सुनने के बाद जोर जोर से हँसने लगे । कुछ समय पश्चात राजगुरु भी टूटी फूटी हालत में अन्दर आये। राजगुरु को देखकर महाराज और अधिक हँसने लगते है। महाराज कृष्णदेव तेनालीरामा के बुद्धिकौशल और सूझबुझ से अत्यंत प्रसन्न हुए। महाराज ने तेनालीरामा से कहा कि आप जैसे विद्वानों की हमारे राज्य को बहुत अधिक आवश्कता है । तेनालीरामा को विजयनगर राज्य का विशेष मार्गदर्शक नियुक्त किया गया और चारों तरफ उनकी कार्यो के चर्चे होने लगे। |