महाराज समझ गये की श्रृष्टि में सबसे अधिक प्रकाशवान और स्वच्छ ज्ञान होता है इससे अधिक मूल्यवान कोई वस्तु नहीं होती है। महाराज ने इनाम की राशि आश्रम को देने का निर्णय लिया और तेनालीरामा द्वारा ज्ञान के विषय को समझाने की कला की बहुत प्रशंसा की और उन्हें दीपावली का उपहार भी दिया। | महाराज समझ गये की श्रृष्टि में सबसे अधिक प्रकाशवान और स्वच्छ ज्ञान होता है इससे अधिक मूल्यवान कोई वस्तु नहीं होती है। महाराज ने इनाम की राशि आश्रम को देने का निर्णय लिया और तेनालीरामा द्वारा ज्ञान के विषय को समझाने की कला की बहुत प्रशंसा की और उन्हें दीपावली का उपहार भी दिया। |