यह निरन्तर प्रतिपादन हो रहा है कि शिक्षा धर्म सिखाती है । तो प्रश्न यह होगा कि धर्माचार्य ही धर्म क्यों नहीं सिखाते ? धर्म सिखाने के लिये शिक्षक क्यों चाहिये ?
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यह निरन्तर प्रतिपादन हो रहा है कि शिक्षा धर्म सिखाती है <ref>धार्मिक शिक्षा के व्यावहारिक आयाम (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला ३): पर्व ४: अध्याय १५, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। तो प्रश्न यह होगा कि धर्माचार्य ही धर्म क्यों नहीं सिखाते ? धर्म सिखाने के लिये शिक्षक क्यों चाहिये ?
धर्म और शिक्षा का सम्बन्ध साध्य और साधन जैसा है। धर्म के बारे में हमने अनेक बार चर्चा की ही है वह
धर्म और शिक्षा का सम्बन्ध साध्य और साधन जैसा है। धर्म के बारे में हमने अनेक बार चर्चा की ही है वह