सप्त महानदों(पुलिग) में ब्रह्मपुत्र प्रमुख है। इसका उद्गम-स्थान पवित्र मानसरोवर के समीप एक विशाल हिमानी है। तिब्बत में १२०० कि मी. पूर्व की ओर बहते हुए दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़कर भारत में प्रवेश करती है। तिब्बती क्षेत्र में इसे सांपों नाम दिया गया। अरुणाचल व असम में इसे लोहित कहा जाता है। कामाख्या शक्ति-पीठ इसके तट पर स्थित है।अपुनर्भव, भस्मकूट,उर्वशीकुण्ड,मणिकणेश्वर, पण्डुनाथ पर्वत (मधु-कैटभ का वध-स्थल), अश्वकरत्न (कल्कि अवतार से सम्बन्धित) आदि प्रमुख तटवर्ती तीर्थ हैं। तेजपुर, गुवाहाटी, डिब्रूगढ़, शिवसागरआदि समीपवर्ती नगर हैं।भारत में ५०० किमी. सेअधिक दूरी तक बहने के बाद यह दक्षिण दिशा की ओर मुड़कर बांग्लोदश में पहुँचती है। बंगाल में गांगा(पद्म) व मेघना से मिलकर विश्वविख्यात सुन्दरवन डेल्टा का निर्माण करती हैं। ब्रह्मपुत्र की लम्बाई २९०० कि.मी. से कुछ अधिक ही है। | सप्त महानदों(पुलिग) में ब्रह्मपुत्र प्रमुख है। इसका उद्गम-स्थान पवित्र मानसरोवर के समीप एक विशाल हिमानी है। तिब्बत में १२०० कि मी. पूर्व की ओर बहते हुए दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़कर भारत में प्रवेश करती है। तिब्बती क्षेत्र में इसे सांपों नाम दिया गया। अरुणाचल व असम में इसे लोहित कहा जाता है। कामाख्या शक्ति-पीठ इसके तट पर स्थित है।अपुनर्भव, भस्मकूट,उर्वशीकुण्ड,मणिकणेश्वर, पण्डुनाथ पर्वत (मधु-कैटभ का वध-स्थल), अश्वकरत्न (कल्कि अवतार से सम्बन्धित) आदि प्रमुख तटवर्ती तीर्थ हैं। तेजपुर, गुवाहाटी, डिब्रूगढ़, शिवसागरआदि समीपवर्ती नगर हैं।भारत में ५०० किमी. सेअधिक दूरी तक बहने के बाद यह दक्षिण दिशा की ओर मुड़कर बांग्लोदश में पहुँचती है। बंगाल में गांगा(पद्म) व मेघना से मिलकर विश्वविख्यात सुन्दरवन डेल्टा का निर्माण करती हैं। ब्रह्मपुत्र की लम्बाई २९०० कि.मी. से कुछ अधिक ही है। |