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हिन्दूसमाज की धार्मिक आस्था पर अनैतिक साधनों से आक्रमण करके हिन्दुओं को ईसाई बनाने की गतिविधियाँचलाने वाले ईसाई पादरियों की कृट योजनाओं का प्रतिकार एवं निवारण करने और इस हेतु केरल में तथाकथित अछूतों के लिए मन्दिरों की स्थापना करने वाले नारायण गुरु का जन्म केरल में एक अछूत कहलाने वाली जाति में हुआ था। संस्कृत भाषा और वेदान्त का गहन अध्ययन कर उन्होंने योग-साधना और तपस्या की तथा रोगी, निर्धन, अस्पृश्य एवं वनवासी बन्धुओं की सेवा-सुश्रुषामें अपने को खपादिया। उनकेबनवाये मन्दिर हिन्दूसंगठन के केन्द्र बन गये। केरल मेंहिन्दू समाज के धर्मान्तरण की प्रवृत्तिको रोकने का चिरस्मरणीय कार्य यदि नारायण गुरु ने न किया होता तो केरल का हिन्दू समाज बहुसंख्या में धर्मभ्रष्ट हो गया होता।
 
हिन्दूसमाज की धार्मिक आस्था पर अनैतिक साधनों से आक्रमण करके हिन्दुओं को ईसाई बनाने की गतिविधियाँचलाने वाले ईसाई पादरियों की कृट योजनाओं का प्रतिकार एवं निवारण करने और इस हेतु केरल में तथाकथित अछूतों के लिए मन्दिरों की स्थापना करने वाले नारायण गुरु का जन्म केरल में एक अछूत कहलाने वाली जाति में हुआ था। संस्कृत भाषा और वेदान्त का गहन अध्ययन कर उन्होंने योग-साधना और तपस्या की तथा रोगी, निर्धन, अस्पृश्य एवं वनवासी बन्धुओं की सेवा-सुश्रुषामें अपने को खपादिया। उनकेबनवाये मन्दिर हिन्दूसंगठन के केन्द्र बन गये। केरल मेंहिन्दू समाज के धर्मान्तरण की प्रवृत्तिको रोकने का चिरस्मरणीय कार्य यदि नारायण गुरु ने न किया होता तो केरल का हिन्दू समाज बहुसंख्या में धर्मभ्रष्ट हो गया होता।
 
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[[File:१८.PNG|center|thumb]]
 
<blockquote>'''<big>संघशक्तिप्रणोतारौ केशवोमाधवस्तथा। स्मरणीया: सदैवैते नवचैतन्यदायका: । 31 ।</big>''' </blockquote>
 
<blockquote>'''<big>संघशक्तिप्रणोतारौ केशवोमाधवस्तथा। स्मरणीया: सदैवैते नवचैतन्यदायका: । 31 ।</big>''' </blockquote>
  
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