कश्मीर के महाराज प्रतापादित्य के तृतीयपुत्र,महान् योद्धा और विजेता,जिनका कीर्तिगान कश्मीर के इतिहासकार कवि कल्हण ने अपने ग्रंथ 'राजतरंगिणी' में किया है। विश्व-विजय के आकांक्षी ललितादित्य का राज्यकाल विजयों का इतिहास है। उन्होंने अरब, तुर्क, तातार आदि मुस्लिम आक्रामकों को न केवल पराजित किया,अपितुउनका दूरतक पीछा करऐसादमन किया कि आगे कीतीन शताब्दियों तकउन्हेंकश्मीर की ओर आँखउठाकरदेखनेकासाहस नहीं हुआ। ललितादित्य ने पंजाब, कन्नौज, तिब्बत, बदख्शान को अपने राज्य में मिलाया और विजित राजाओं से उदार बर्ताव किया। उन्होंने भगवान् विष्णु और बुद्ध के बहुत से मन्दिर बनवाये। | कश्मीर के महाराज प्रतापादित्य के तृतीयपुत्र,महान् योद्धा और विजेता,जिनका कीर्तिगान कश्मीर के इतिहासकार कवि कल्हण ने अपने ग्रंथ 'राजतरंगिणी' में किया है। विश्व-विजय के आकांक्षी ललितादित्य का राज्यकाल विजयों का इतिहास है। उन्होंने अरब, तुर्क, तातार आदि मुस्लिम आक्रामकों को न केवल पराजित किया,अपितुउनका दूरतक पीछा करऐसादमन किया कि आगे कीतीन शताब्दियों तकउन्हेंकश्मीर की ओर आँखउठाकरदेखनेकासाहस नहीं हुआ। ललितादित्य ने पंजाब, कन्नौज, तिब्बत, बदख्शान को अपने राज्य में मिलाया और विजित राजाओं से उदार बर्ताव किया। उन्होंने भगवान् विष्णु और बुद्ध के बहुत से मन्दिर बनवाये। |