पश्चिम में आसुरी विचारधारा की ही प्रतिष्ठा रही है। परन्तु भारत का इतिहास दर्शाता है कि आसुरी समृद्धि नाश के लिये ही होती है। आसुरी शक्ति प्रथम स्वयं के सुख के लिये, दूसरों पर अत्याचार करती है, दूसरों का नाश करने पर तुली रहती है परन्तु अन्ततोगत्वा स्वयं नष्ट होती है। | पश्चिम में आसुरी विचारधारा की ही प्रतिष्ठा रही है। परन्तु भारत का इतिहास दर्शाता है कि आसुरी समृद्धि नाश के लिये ही होती है। आसुरी शक्ति प्रथम स्वयं के सुख के लिये, दूसरों पर अत्याचार करती है, दूसरों का नाश करने पर तुली रहती है परन्तु अन्ततोगत्वा स्वयं नष्ट होती है। |