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धार्मिक परम्परा इन सभी शास्त्रों की सांस्कृतिक दृष्टि से अध्ययन की रही है। एकात्मता और समग्रता के सन्दर्भ में अध्ययन की रही है। सर्वे भवन्तु सुखिन: की दृष्टि से अध्ययन की रही है।  
 
धार्मिक परम्परा इन सभी शास्त्रों की सांस्कृतिक दृष्टि से अध्ययन की रही है। एकात्मता और समग्रता के सन्दर्भ में अध्ययन की रही है। सर्वे भवन्तु सुखिन: की दृष्टि से अध्ययन की रही है।  
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वर्तमान में पैसे से कुछ भी खरीदा जा सकता है, ऐसा लोगों को लगने लगा है। अतः शिक्षा केवल अर्थार्जन के लिए याने पैसा कमाने के लिए होती है, ऐसा सबको लगता है। इसीलिए जिन पाठ्यक्रमों के पढ़ने से अधिक पैसा मिलेगा, ऐसे पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए भीड़ लग जाती है। इतिहास, भूगोल जैसे पाठ्यक्रमों की उपेक्षा होती है। सामान्यत: मनुष्य वही बातें याद रखने का प्रयास करता है जिनका उसे पैसा कमाने के लिए उपयोग होता है या हो सकता है ऐसा उसे लगता है। भूगोल (खगोल का ही एक हिस्सा), यह भी एक ऐसा विषय है जो बच्चे सामान्यत: पढ़ना नहीं चाहते। बच्चों के माता-पिता भी बच्चों को भूगोल पढ़ाना नहीं चाहते। उन्हें लगता है कि इसका बड़े होकर पैसा कमाने में कोई उपयोग नहीं है। इसमें बच्चों का दोष नहीं है। उनके माता-पिता का भी दोष नहीं है। यह दोष है शिक्षा क्षेत्र के नेतृत्व का, शिक्षाविदों का।  
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वर्तमान में पैसे से कुछ भी खरीदा जा सकता है, ऐसा लोगोंं को लगने लगा है। अतः शिक्षा केवल अर्थार्जन के लिए याने पैसा कमाने के लिए होती है, ऐसा सबको लगता है। इसीलिए जिन पाठ्यक्रमों के पढ़ने से अधिक पैसा मिलेगा, ऐसे पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए भीड़ लग जाती है। इतिहास, भूगोल जैसे पाठ्यक्रमों की उपेक्षा होती है। सामान्यत: मनुष्य वही बातें याद रखने का प्रयास करता है जिनका उसे पैसा कमाने के लिए उपयोग होता है या हो सकता है ऐसा उसे लगता है। भूगोल (खगोल का ही एक हिस्सा), यह भी एक ऐसा विषय है जो बच्चे सामान्यत: पढ़ना नहीं चाहते। बच्चों के माता-पिता भी बच्चों को भूगोल पढ़ाना नहीं चाहते। उन्हें लगता है कि इसका बड़े होकर पैसा कमाने में कोई उपयोग नहीं है। इसमें बच्चों का दोष नहीं है। उनके माता-पिता का भी दोष नहीं है। यह दोष है शिक्षा क्षेत्र के नेतृत्व का, शिक्षाविदों का।  
    
चराचर सृष्टि में व्याप्त एकात्मता को समझना है और जीवन को यदि समग्रता में समझना है तो भूगोल की केवल जानकारी नहीं, भूगोल का ज्ञान भी आवश्यक है।   
 
चराचर सृष्टि में व्याप्त एकात्मता को समझना है और जीवन को यदि समग्रता में समझना है तो भूगोल की केवल जानकारी नहीं, भूगोल का ज्ञान भी आवश्यक है।   

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