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| {{One source|date=January 2019}} | | {{One source|date=January 2019}} |
− | हिंदुत्व से अभिप्राय है हिन्दुस्तान देश के रहनेवाले लोगों के विचार, व्यवहार और व्यवस्थाएं । सामान्यत: आदिकाल से इन तीनों बातों का समावेश हिंदुत्व में होता है। वर्तमान में इन तीनों की स्थिति वह नहीं रही जो ३००० वर्ष पूर्व थी । वर्तमान के बहुसंख्य धार्मिक (भारतीय) इतिहासकार यह समझते हैं कि हिन्दू भी हिन्दुस्तान के मूल निवासी नहीं हैं । उनके अनुसार यहाँ के मूल निवासी तो भील, गौंड, नाग आदि जाति के लोग हैं । वे कहते हैं कि आर्यों के आने से पहले इस देश का नाम क्या था पता नहीं । जब विदेशियों ने यहाँ बसे हुए आर्यों पर आक्रमण आरम्भ किये तब उन्होंने इस देश को हिन्दुस्तान नाम दिया । | + | हिंदुत्व से अभिप्राय है हिन्दुस्तान देश के रहनेवाले लोगोंं के विचार, व्यवहार और व्यवस्थाएं । सामान्यत: आदिकाल से इन तीनों बातों का समावेश हिंदुत्व में होता है। वर्तमान में इन तीनों की स्थिति वह नहीं रही जो ३००० वर्ष पूर्व थी । वर्तमान के बहुसंख्य धार्मिक (भारतीय) इतिहासकार यह समझते हैं कि हिन्दू भी हिन्दुस्तान के मूल निवासी नहीं हैं । उनके अनुसार यहाँ के मूल निवासी तो भील, गौंड, नाग आदि जाति के लोग हैं । वे कहते हैं कि आर्यों के आने से पहले इस देश का नाम क्या था पता नहीं । जब विदेशियों ने यहाँ बसे हुए आर्यों पर आक्रमण आरम्भ किये तब उन्होंने इस देश को हिन्दुस्तान नाम दिया । |
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− | आज भारत में जो लोग बसते हैं वे एक जाति के नहीं हैं । वे यह भी कहते हैं कि उत्तर में आर्य और दक्षिण में द्रविड़ जातियां रहतीं हैं । हमारा इतिहास अंग्रेजों से बहुत पुराना है । फिर भी हमारे तथाकथित विद्वान हमारे इतिहास के अज्ञान के कारण इस का '''खंडन''' '''और''' हिन्दू ही इस देश के आदि काल से निवासी रहे हैं इस बात का '''मंडन''' नहीं कर पाते हैं। यह विपरीत शिक्षा के कारण निर्माण हुए हीनता बोध, अज्ञान और अन्धानुकरण की प्रवृत्ति के कारण ही है । वस्तुस्थिति यह है कि आज का हिन्दू इस देश में जबसे मानव पैदा हुआ है तब से याने लाखों वर्षों से रहता आया है । हिन्दू जाति से तात्पर्य एक जैसे रंगरूप या नस्ल के लोगों से नहीं वरन् जिन का आचार-विचार एक होता है उनसे है । लाखों वर्ष पूर्व यहाँ रहनेवाले लोगों की जो मान्याताएँ थीं, मोटे तौर पर वही मान्यताएँ आज भी हैं।<ref>जीवन का भारतीय प्रतिमान-खंड १, अध्याय १, लेखक - दिलीप केलकर</ref> | + | आज भारत में जो लोग बसते हैं वे एक जाति के नहीं हैं । वे यह भी कहते हैं कि उत्तर में आर्य और दक्षिण में द्रविड़ जातियां रहतीं हैं । हमारा इतिहास अंग्रेजों से बहुत पुराना है । फिर भी हमारे तथाकथित विद्वान हमारे इतिहास के अज्ञान के कारण इस का '''खंडन''' '''और''' हिन्दू ही इस देश के आदि काल से निवासी रहे हैं इस बात का '''मंडन''' नहीं कर पाते हैं। यह विपरीत शिक्षा के कारण निर्माण हुए हीनता बोध, अज्ञान और अन्धानुकरण की प्रवृत्ति के कारण ही है । वस्तुस्थिति यह है कि आज का हिन्दू इस देश में जबसे मानव पैदा हुआ है तब से याने लाखों वर्षों से रहता आया है । हिन्दू जाति से तात्पर्य एक जैसे रंगरूप या नस्ल के लोगोंं से नहीं वरन् जिन का आचार-विचार एक होता है उनसे है । लाखों वर्ष पूर्व यहाँ रहनेवाले लोगोंं की जो मान्याताएँ थीं, मोटे तौर पर वही मान्यताएँ आज भी हैं।<ref>जीवन का भारतीय प्रतिमान-खंड १, अध्याय १, लेखक - दिलीप केलकर</ref> |
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| == हिन्दूओं की मान्यताएँ<ref>हिंदुत्व की यात्रा : लेखक – गुरुदत्त, प्रकाशक, शाश्वत संस्कृति परिषद्, नई दिल्ली</ref> == | | == हिन्दूओं की मान्यताएँ<ref>हिंदुत्व की यात्रा : लेखक – गुरुदत्त, प्रकाशक, शाश्वत संस्कृति परिषद्, नई दिल्ली</ref> == |
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| विश्व की जनसंख्या में हिन्दू चौथे क्रमांक पर हैं । हिन्दू < बौद्ध < मुस्लिम < ईसाई । चीन की आबादी को यदि बौद्ध न मान उसे कम्यूनिस्ट मजहब कहें तो यह क्रम बौद्ध < हिन्दू < कम्यूनिस्ट < मुस्लिम < ईसाई - ऐसा होगा । | | विश्व की जनसंख्या में हिन्दू चौथे क्रमांक पर हैं । हिन्दू < बौद्ध < मुस्लिम < ईसाई । चीन की आबादी को यदि बौद्ध न मान उसे कम्यूनिस्ट मजहब कहें तो यह क्रम बौद्ध < हिन्दू < कम्यूनिस्ट < मुस्लिम < ईसाई - ऐसा होगा । |
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− | भारत में धार्मिक (भारतीय) धर्मी ( हिन्दू, बौद्ध, जैन और सिख) के लोगों की आबादी और इस्लाम और ईसाई मजहबों की आबादी तथा इन में होनेवाले उतार चढ़ाव विचारणीय है । २००१ तक की जानकारी नीचे दे रहे हैं <ref>‘भारतवर्ष की धर्मानुसार जनसांख्यिकी’ पुस्तिका, समाजनीति समीक्षण केन्द्र, चेन्नई द्वारा २००५ में प्रकाशित </ref> | + | भारत में धार्मिक (भारतीय) धर्मी ( हिन्दू, बौद्ध, जैन और सिख) के लोगोंं की आबादी और इस्लाम और ईसाई मजहबों की आबादी तथा इन में होनेवाले उतार चढ़ाव विचारणीय है । २००१ तक की जानकारी नीचे दे रहे हैं <ref>‘भारतवर्ष की धर्मानुसार जनसांख्यिकी’ पुस्तिका, समाजनीति समीक्षण केन्द्र, चेन्नई द्वारा २००५ में प्रकाशित </ref> |
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| ‘कुल’ आंकड़े हजार में | | ‘कुल’ आंकड़े हजार में |