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वर्तमान समय में ज्ञान का क्षेत्र अर्थ के क्षेत्र के अधीन हो जाने के कारण सारे उद्योगगृहों में रिसर्च एण्ड डेवलपमेन्ट विभाग होते हैं जो उनके उत्पादों को अधिक विक्रयक्षम बनाने हेतु कार्य करते हैं । परन्तु यह ज्ञान की सारी शक्तियों को बिकाऊ और बाजारू बना देने का काम है । शुद्ध जिज्ञासा से प्रेरित जो अनुसन्धान होता है उसे तो अध्ययन ही कहना चाहिये ।
वर्तमान समय में ज्ञान का क्षेत्र अर्थ के क्षेत्र के अधीन हो जाने के कारण सारे उद्योगगृहों में रिसर्च एण्ड डेवलपमेन्ट विभाग होते हैं जो उनके उत्पादों को अधिक विक्रयक्षम बनाने हेतु कार्य करते हैं । परन्तु यह ज्ञान की सारी शक्तियों को बिकाऊ और बाजारू बना देने का काम है । शुद्ध जिज्ञासा से प्रेरित जो अनुसन्धान होता है उसे तो अध्ययन ही कहना चाहिये ।
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वर्तमान समय में जिसे रिसर्च कहा जाता है उसे धार्मिक ज्ञानक्षेत्र में स्मृति की रचना कहा जाता है । ज्ञान के सिद्धान्त पक्ष को श्रुति कहा जाता है । श्रुति का मूल दर्शन में होता है। दर्शन को बुद्धिगम्य बनाकर सिद्धान्तशास्त्रों की स्चना होती है। सिद्धान्त शास्त्रों के अनुसरण में व्यवहारशास्त्रों की रचना होती है जिन्हें स्मृति कहा जाता है । यही वर्तमान समय का अनुसन्धान का क्षेत्र है । व्यवहारशास्त्र हमेशा श्रुति की युगानुकूल प्रस्तुति करते हैं। हर युग को अपने लिये स्मृति की रचना करनी ही होती है । अतः हर युग में ज्ञानक्षेत्र में अनुसन्धान की अनिवार्य आवश्यकता होती है । इस व्यावहारिक अनुसन्धान का क्षेत्र भी बहुत विस्तृत है । हर छोटी या बड़ी बात में शास्त्रीय आधार के सहित देशकाल, परिस्थिति के अनुसार प्रस्तुति अत्यन्त कठिन काम है और कुशाग्र बुद्धि की अपेक्षा करता है ।
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वर्तमान समय में जिसे रिसर्च कहा जाता है उसे धार्मिक ज्ञानक्षेत्र में स्मृति की रचना कहा जाता है । ज्ञान के सिद्धान्त पक्ष को श्रुति कहा जाता है । श्रुति का मूल दर्शन में होता है। दर्शन को बुद्धिगम्य बनाकर सिद्धान्तशास्त्रों की स्चना होती है। सिद्धान्त शास्त्रों के अनुसरण में व्यवहारशास्त्रों की रचना होती है जिन्हें स्मृति कहा जाता है । यही वर्तमान समय का अनुसन्धान का क्षेत्र है । व्यवहारशास्त्र सदा श्रुति की युगानुकूल प्रस्तुति करते हैं। हर युग को अपने लिये स्मृति की रचना करनी ही होती है । अतः हर युग में ज्ञानक्षेत्र में अनुसन्धान की अनिवार्य आवश्यकता होती है । इस व्यावहारिक अनुसन्धान का क्षेत्र भी बहुत विस्तृत है । हर छोटी या बड़ी बात में शास्त्रीय आधार के सहित देशकाल, परिस्थिति के अनुसार प्रस्तुति अत्यन्त कठिन काम है और कुशाग्र बुद्धि की अपेक्षा करता है ।
विश्वविद्यालयों में एम.फिल., पीएच.डी. तथा अन्यान्य शोध प्रकल्पों में जो रिसर्च किया जाता है वह अनुसन्धान नहीं, अनुसन्धान का अभ्यास होता है । सही रिसर्च को व्यवहारजीवन की - केवल व्यक्तिगत नहीं अपितु समष्टिगत व्यवहारजीवन की समस्याओं का निराकरण प्रस्तुत करने का सामाजिक दायित्व होता है।
विश्वविद्यालयों में एम.फिल., पीएच.डी. तथा अन्यान्य शोध प्रकल्पों में जो रिसर्च किया जाता है वह अनुसन्धान नहीं, अनुसन्धान का अभ्यास होता है । सही रिसर्च को व्यवहारजीवन की - केवल व्यक्तिगत नहीं अपितु समष्टिगत व्यवहारजीवन की समस्याओं का निराकरण प्रस्तुत करने का सामाजिक दायित्व होता है।