जहाँ शिक्षक और विद्यार्थी बैठकर अध्यापन और अध्ययन करते हों वह कक्षाकक्ष है । यह अध्यापक का घर हो सकता है, मन्दिर का बरामदा हो सकता है या वृक्ष की छाया भी हो सकती है । अध्ययन अध्यापन के तरीके के अनुसार कक्षाकक्ष का स्थान बदल सकता है । कहानी सुनना है, इतिहास पढ़ना है, मिट्टी से काम करना है तो वृक्ष के नीचे, बरामदे में या मैदान में कक्षा लग सकती है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर के कक्षाकक्ष वृक्षों के नीचे ही होते थे । प्राचीन ऋषिमुनि वृक्षों के नीचे बैठकर ही पढ़ाते थे । | जहाँ शिक्षक और विद्यार्थी बैठकर अध्यापन और अध्ययन करते हों वह कक्षाकक्ष है । यह अध्यापक का घर हो सकता है, मन्दिर का बरामदा हो सकता है या वृक्ष की छाया भी हो सकती है । अध्ययन अध्यापन के तरीके के अनुसार कक्षाकक्ष का स्थान बदल सकता है । कहानी सुनना है, इतिहास पढ़ना है, मिट्टी से काम करना है तो वृक्ष के नीचे, बरामदे में या मैदान में कक्षा लग सकती है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर के कक्षाकक्ष वृक्षों के नीचे ही होते थे । प्राचीन ऋषिमुनि वृक्षों के नीचे बैठकर ही पढ़ाते थे । |