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− | एक समय की बात है | जंगल में चिंटू और पिंटू नाम दो बन्दर रहते थे | दोनों बहुत ही अच्छे और घनिष्ट मित्र थे परन्तु दोनों के स्वभाव में बहुत ही अंतर था | चिंटू दुसरो को परेशान करने में और झूठ बोलने में अपनी वाह - वाही समझाता था | वही पिंटू स्वभाव में बहुत ही शील एवं सहायक स्वभाव का था | हमेश लोगो की मदत करने के लिए अग्रसर रहता था | दोनों बैठकर एक दिन बात कर रहे थे की अब अपने लिए और अपने जीवनयापन के लिए कुछ किया जाए | दोनों ने बहुत सोच विचार करने के बाद यह निर्णय लिया की क्यों न एक दुकान खोली जाये क्यों की नजदीक में कोई दुकान नहीं है जिसके कारण लोगो को बहुत दूर जाना पड़ता है | लोगो की मदत भी हो जाएगी और घर खर्च के लिए पैसे भी मिल जायेंगे | | + | एक समय की बात है । जंगल में चिंटू और पिंटू नाम दो बन्दर रहते थे । दोनों बहुत ही अच्छे और घनिष्ट मित्र थे परन्तु दोनों के स्वभाव में बहुत ही अंतर था । चिंटू दुसरो को परेशान करने में और झूठ बोलने में अपनी वाह - वाही समझाता था । वही पिंटू स्वभाव में बहुत ही शील एवं सहायक स्वभाव का था । हमेश लोगो की मदत करने के लिए अग्रसर रहता था । दोनों बैठकर एक दिन बात कर रहे थे की अब अपने लिए और अपने जीवनयापन के लिए कुछ किया जाए । दोनों ने बहुत सोच विचार करने के बाद यह निर्णय लिया की क्यों न एक दुकान खोली जाये क्यों की नजदीक में कोई दुकान नहीं है जिसके कारण लोगो को बहुत दूर जाना पड़ता है । लोगो की मदत भी हो जाएगी और घर खर्च के लिए पैसे भी मिल जायेंगे । |
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− | स्वभाव में विपरीत होने के कारण दोनों ने अलग अलग दुकान खोली | दुकान में जरुरत के सामान के साथ विक्रि शुरू की | चिंटू बन्दर स्वभाव में लालची और झूठ से उसकी दूकान बहुत ही अच्छी चल रही थी वह लोगो को ख़राब सामान कम दाम में अच्छा बताकर बेचता था | परन्तु पिंटू बहुत ही ईमानदार होने के कारण दूकान अधिक नहीं चलती थी परन्तु व्यवहार के कारण उसके खर्च पूर्ण हो जाते थे और वह बहुत खुश रहता था | परन्तु चिंटू की लालच बढती ही जा रही थी घर , गाड़ी और खूब शान से रहने पर भी वह लोगो से धोखाधड़ी करता था लोगो को बेवकूफ बनाकर सम्मान बेचता था | और जब भी पिंटू उसे मिलाता तो उसे खूब चिढ़ाता की तू कभी आगे नहीं बढ़ पाएग हमेशा गरीब ही रहेगा परन्तु पिंटू चिंटू की बात का बुरा नहीं मानता और कहता झूठ का खेल अधिक समय तक नही टिकता और जब गिरता है तो बहुत ही गहरी चोट देता हैं | चिंटू हंसकर वहाँ से चला जाता है | | + | स्वभाव में विपरीत होने के कारण दोनों ने अलग अलग दुकान खोली । दुकान में जरुरत के सामान के साथ विक्रि शुरू की । चिंटू बन्दर स्वभाव में लालची और झूठ से उसकी दूकान बहुत ही अच्छी चल रही थी वह लोगो को ख़राब सामान कम दाम में अच्छा बताकर बेचता था । परन्तु पिंटू बहुत ही ईमानदार होने के कारण दूकान अधिक नहीं चलती थी परन्तु व्यवहार के कारण उसके खर्च पूर्ण हो जाते थे और वह बहुत खुश रहता था । परन्तु चिंटू की लालच बढती ही जा रही थी घर , गाड़ी और खूब शान से रहने पर भी वह लोगो से धोखाधड़ी करता था लोगो को बेवकूफ बनाकर सम्मान बेचता था । और जब भी पिंटू उसे मिलाता तो उसे खूब चिढ़ाता की तू कभी आगे नहीं बढ़ पाएग हमेशा गरीब ही रहेगा परन्तु पिंटू चिंटू की बात का बुरा नहीं मानता और कहता झूठ का खेल अधिक समय तक नही टिकता और जब गिरता है तो बहुत ही गहरी चोट देता हैं । चिंटू हंसकर वहाँ से चला जाता है । |
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− | धीरे धीरे जंगल के सभी जानवरों को चिंटू की बैमानी की जानकारी होने लगी और सभी लोग चिंटू की दूकान से सामान लेना बंद कर देते है और पिंटू की दूकान जोरो में चलने लगाती है | ख़राब वस्तु बेचने के कारण सभी राजा के पास जाकर चिंटू की शिकायत करते है | शेर राजा के दरबार में चिंटू को लाया जाता हैं और उसकी बैमानी लालच और धोखेबाजी की सजा के रूप में चिंटू को जंगल से निकल दिया जाता है | चिंटू बहुत रूने लगता है | | + | धीरे धीरे जंगल के सभी जानवरों को चिंटू की बैमानी की जानकारी होने लगी और सभी लोग चिंटू की दूकान से सामान लेना बंद कर देते है और पिंटू की दूकान जोरो में चलने लगाती है । ख़राब वस्तु बेचने के कारण सभी राजा के पास जाकर चिंटू की शिकायत करते है । शेर राजा के दरबार में चिंटू को लाया जाता हैं और उसकी बैमानी लालच और धोखेबाजी की सजा के रूप में चिंटू को जंगल से निकल दिया जाता है । चिंटू बहुत रूने लगता है । |
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− | जब चिंटू जंगल से जा रहा होता है तब मार्ग में उसकी मुलाकात | + | जब चिंटू जंगल से जा रहा होता है मार्ग में पिंटू चिंटू से मिलाने के लिए खड़ा था । जैसे ही चिंटू अपने मित्र पिंटू को देखता है उससे लिपटकर रोने लगता है और उससे अपनी गलतियों के लिए और उसकी बात ना मानने के लिए क्षमा मांगता है । |
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− | है न एक बन्दर ने एक दुकान खोली | थोड़े समय बाद वहा एक बिल्ली बन्दर के दुकान पर आई और बोली मुझे एक चूहा चाहिए ,उसका मूल्य बताइए ? बन्दर बोला पांच सौ चूहे का मूल्य है | तो बिल्ली बोली एक चूहा दे दो | जैसे ही बन्दर ने चूहे को बिल्ली के थैले में डाला वैसे ही चूहा निकल कर भागने लगा | बिल्ली उसका पीछा करते हुए वहा से चली गई | | + | '''कहानी से सीख''' ''': -''' हमेशा अपनी जरूरतों को बढ़ाना नहीं चाहिए जितने चादर हो उतना ही पैर फैलाना चाहिए जैसा गलत कार्य कभी छुपते नहीं है, किये हुए गलत कार्यों का परिणाम दुगनी गति से बाहर आता है और सबकुछ बर्बाद कर देता है । |
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− | थोड़े समय के बाद वहा एक भालू आया और बन्दर से कहा मुझे एक डिब्बा शहद चाहिए | बन्दर ने कहा पहले मूल्य चुकाओ उसके बाद शहद दूंगा | भालू ने शहद का मूल्य चुकाया और मैदान में बैठकर शहद खाने लगा |
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− | वहा से एक लोमड़ी जा रही थी तो उसने बन्दर की दुकान देखी | तो उसने बन्दर से कहा की मुझे एक डिब्बा मांस दे दो | तो बन्दर ने कहा पहले मूल्य चुकाओ | तो लोमड़ी बोली हाँ रुको मई देती हूँ | जैसे ही लोमड़ी ने अपने जेब में हाथ डाला तो उसे मालूम पड़ा की उसकी जेब फटी है |
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− | तो यह सब लोमड़ी ने बन्दर को बताया तो बन्दर ने क्रोध से कहा की अभी मेरी दुकान को बंद करने का समय हो गया है |
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