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| * दो शब्दों की सन्धि होने पर जिस प्रकार एक ही शब्द बन जाता है ( उदाहरण के लिए गण - ईश - गणेश ) उसी प्रकार अध्ययन और अध्यापन करते हुए शिक्षक और विद्यार्थों दो नहीं रहते, एक ही व्यक्तित्व बन जाते हैं । इतना घनिष्ठ सम्बन्ध शिक्षक और विद्यार्थी का होना अपेक्षित है । शिक्षक का विद्यार्थी के लिए वात्सल्यभाव और विद्यार्थी का शिक्षक के लिए आदर तथा दोनों की विद्याप्रीति के कारण से ऐसा सम्बन्ध बनता है । ऐसा सम्बन्ध बनता है तभी विद्या निष्पन्न होती है अर्थात् ज्ञान का उदय होता है अर्थात् विद्यार्थी ज्ञानार्जन करता है । विद्यार्थी को शिक्षक का मानसपुत्र कहा गया है जो देहज पुत्र से भी अधिक प्रिय होता है । | | * दो शब्दों की सन्धि होने पर जिस प्रकार एक ही शब्द बन जाता है ( उदाहरण के लिए गण - ईश - गणेश ) उसी प्रकार अध्ययन और अध्यापन करते हुए शिक्षक और विद्यार्थों दो नहीं रहते, एक ही व्यक्तित्व बन जाते हैं । इतना घनिष्ठ सम्बन्ध शिक्षक और विद्यार्थी का होना अपेक्षित है । शिक्षक का विद्यार्थी के लिए वात्सल्यभाव और विद्यार्थी का शिक्षक के लिए आदर तथा दोनों की विद्याप्रीति के कारण से ऐसा सम्बन्ध बनता है । ऐसा सम्बन्ध बनता है तभी विद्या निष्पन्न होती है अर्थात् ज्ञान का उदय होता है अर्थात् विद्यार्थी ज्ञानार्जन करता है । विद्यार्थी को शिक्षक का मानसपुत्र कहा गया है जो देहज पुत्र से भी अधिक प्रिय होता है । |
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− | * शिक्षक को विद्यार्थी इसलिए प्रिय नहीं होता क्योंकि वह उसकी सेवा करता है, विनय दर्शाता है या अच्छी दक्षिणा देने वाला है । विद्यार्थी शिक्षक को इसलिए प्रिय होता है क्योंकि विद्यार्थी को विद्या प्रिय है । विद्यार्थी के लिए शिक्षक इसलिए आदरणीय नहीं है क्योंकि वह उसका पालनपोषण और रक्षण करता है और प्रेमपूर्ण व्यवहार करता है । शिक्षक इसलिए आदरणीय है क्योंकि वह विद्या के प्रति प्रेम रखता है । दोनों एकदूसरे को विद्याप्रीति के कारण ही प्रिय हैं । उनका सम्बन्ध जोड़ने वाली विद्या ही है । दोनों मिलकर ज्ञानसाधना करते हैं । | + | * शिक्षक को विद्यार्थी अतः प्रिय नहीं होता क्योंकि वह उसकी सेवा करता है, विनय दर्शाता है या अच्छी दक्षिणा देने वाला है । विद्यार्थी शिक्षक को अतः प्रिय होता है क्योंकि विद्यार्थी को विद्या प्रिय है । विद्यार्थी के लिए शिक्षक अतः आदरणीय नहीं है क्योंकि वह उसका पालनपोषण और रक्षण करता है और प्रेमपूर्ण व्यवहार करता है । शिक्षक अतः आदरणीय है क्योंकि वह विद्या के प्रति प्रेम रखता है । दोनों एकदूसरे को विद्याप्रीति के कारण ही प्रिय हैं । उनका सम्बन्ध जोड़ने वाली विद्या ही है । दोनों मिलकर ज्ञानसाधना करते हैं । |
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| * शिक्षक और विद्यार्थी में अध्ययन होता कैसे है ? दोनों साथ रहते हैं । साथ रहना अध्ययन का उत्तम प्रकार है। साथ रहते रहते विद्यार्थी शिक्षक का व्यवहार देखता है। साथ रहते रहते ही शिक्षक के व्यवहार के स्थूल और सूक्ष्म स्वरूप को समझता है। शिक्षक के विचार और भावनाओं को ग्रहण करता है और उसके रहस्यों को समझता है। शिक्षक की सेवा करते करते, उसका व्यवहार देखते देखते, उससे जानकारी प्राप्त करते करते वह शिक्षक की दृष्टि और दृष्टिकोण भी ग्रहण करता है । उसके हृदय को ग्रहण करता है । अध्ययन केवल शब्द सुनकर नहीं होता, शब्द तो केवल जानकारी है। अध्ययन जानकारी नहीं है। अध्ययन समझ है, अध्ययन अनुभव है, अध्ययन दृष्टि है जो शिक्षक के साथ रहकर, उससे संबन्धित होकर ही प्राप्त होने वाले तत्त्व हैं । | | * शिक्षक और विद्यार्थी में अध्ययन होता कैसे है ? दोनों साथ रहते हैं । साथ रहना अध्ययन का उत्तम प्रकार है। साथ रहते रहते विद्यार्थी शिक्षक का व्यवहार देखता है। साथ रहते रहते ही शिक्षक के व्यवहार के स्थूल और सूक्ष्म स्वरूप को समझता है। शिक्षक के विचार और भावनाओं को ग्रहण करता है और उसके रहस्यों को समझता है। शिक्षक की सेवा करते करते, उसका व्यवहार देखते देखते, उससे जानकारी प्राप्त करते करते वह शिक्षक की दृष्टि और दृष्टिकोण भी ग्रहण करता है । उसके हृदय को ग्रहण करता है । अध्ययन केवल शब्द सुनकर नहीं होता, शब्द तो केवल जानकारी है। अध्ययन जानकारी नहीं है। अध्ययन समझ है, अध्ययन अनुभव है, अध्ययन दृष्टि है जो शिक्षक के साथ रहकर, उससे संबन्धित होकर ही प्राप्त होने वाले तत्त्व हैं । |
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| # महाकवि कालीदास वाकू और अर्थ का तथा शिव और पार्वती का सम्बन्ध एक जैसा है ऐसा बताते हैं । जो शिव और पार्वती के सम्बन्ध को जानता है वह वाक् और अर्थ की एकात्मता को समझ सकता है और जो वाक् और अर्थ के सम्बन्ध को जानता है वह शिव और पार्वती के सम्बन्ध को समझ सकता है। | | # महाकवि कालीदास वाकू और अर्थ का तथा शिव और पार्वती का सम्बन्ध एक जैसा है ऐसा बताते हैं । जो शिव और पार्वती के सम्बन्ध को जानता है वह वाक् और अर्थ की एकात्मता को समझ सकता है और जो वाक् और अर्थ के सम्बन्ध को जानता है वह शिव और पार्वती के सम्बन्ध को समझ सकता है। |
| # ज्ञान और विज्ञान का अन्तर और सम्बन्ध समझाने के लिए एक शिक्षक ने छात्रों को पानी में नमक डालकर चम्मच से पानी को हिलाने के लिए कहा | छात्रों ने वैसा ही किया । फिर शिक्षक ने पूछा कि नमक कहाँ है । छात्रों ने कहा कि नमक पानी के अन्दर है । शिक्षक ने पूछा कि कैसे पता चला । छात्रों ने चखने से पता चला ऐसा कहा । तब शिक्षक ने कहा कि अब नमक पानी में सर्वत्र है । वह पानी से अलग दिखाई नहीं देता परन्तु स्वादेंद्रिय के अनुभव से उसके अस्तित्व का पता चलता है। शिक्षक ने कहा कि इसे घुलना कहते हैं । प्रयोग कर के स्वादेंद्रिय से चखकर घुलने की प्रक्रिया तो समझ में आती है परन्तु घुलना क्या होता है इसका पता कैसे चलेगा ? घुलने का अनुभव तो नमक को हुआ है और अब वह बताने के लिए नमक तो है नहीं । घुलने की प्रक्रिया जानना विज्ञान है परन्तु घुलने का अनुभव करना ज्ञान है । विज्ञान ज्ञान तक पहुँचने में सहायता करता है परन्तु विज्ञान स्वयं ज्ञान नहीं है । | | # ज्ञान और विज्ञान का अन्तर और सम्बन्ध समझाने के लिए एक शिक्षक ने छात्रों को पानी में नमक डालकर चम्मच से पानी को हिलाने के लिए कहा | छात्रों ने वैसा ही किया । फिर शिक्षक ने पूछा कि नमक कहाँ है । छात्रों ने कहा कि नमक पानी के अन्दर है । शिक्षक ने पूछा कि कैसे पता चला । छात्रों ने चखने से पता चला ऐसा कहा । तब शिक्षक ने कहा कि अब नमक पानी में सर्वत्र है । वह पानी से अलग दिखाई नहीं देता परन्तु स्वादेंद्रिय के अनुभव से उसके अस्तित्व का पता चलता है। शिक्षक ने कहा कि इसे घुलना कहते हैं । प्रयोग कर के स्वादेंद्रिय से चखकर घुलने की प्रक्रिया तो समझ में आती है परन्तु घुलना क्या होता है इसका पता कैसे चलेगा ? घुलने का अनुभव तो नमक को हुआ है और अब वह बताने के लिए नमक तो है नहीं । घुलने की प्रक्रिया जानना विज्ञान है परन्तु घुलने का अनुभव करना ज्ञान है । विज्ञान ज्ञान तक पहुँचने में सहायता करता है परन्तु विज्ञान स्वयं ज्ञान नहीं है । |
− | # गणित की एक कक्षा में क्षेत्रफल के सवाल चल रहे थे । शिक्षक क्षेत्रफल का नियम बता रहे थे । आगंतुक व्यक्ति ने एक छात्र से पूछा कि चार फीट लम्बे और तीन फिट चौड़े टेबल का क्षेत्रफल कितना होगा । छात्रों ने नियम लागू कर के कहा कि बारह वर्ग फीट । आगंतुक ने पूछ कि चार गुणा तीन कितना होता है । छात्रों ने कहा बारह । आगंतुक ने पूछा चार फीट गुणा तीन फिट बारह फीट होगा कि नहीं । छात्रों ने हाँ कहा । आगंतुक ने पूछा कि फिर उसमें वर्ग फीट कहाँ से आ गया | छात्रों को उत्तर नहीं आता था । वे नियम जानते थे और गुणाकार भी जानते थे परन्तु एक परिमाण और द्विपरिमाण का अन्तर नहीं जानते थे । आगंतुक उन्हें बाहर मैदान में ले गया । वहाँ छात्रों को चार फीट लंबा और तीन फीट चौड़ा आयत बनाने के लिए कहा । छात्रों ने बनाया । अब आगंतुक ने कहा कि यह रेखा नहीं है । चार फिट की दो और तीन फीट की दो रेखायें जुड़ी हुई हैं जो जगह घेरती हैं । इस जगह को क्षेत्र कहते हैं । अब चार और तीन फीट में एक एक फुट के अन्तर पर रेखायें बनाएँगे तो एक एक फीट के वर्ग बनेंगे । इनकी संख्या गिनो तो बारह होगी । चार फीट लंबी और तीन फीट चौड़ी आयताकार जगह बारह वर्ग फीट की बनती है इसलिए केवल बारह नहीं अपितु बारह वर्ग फीट बनाता है । रेखा और क्षेत्र में परिमाणों का अन्तर है। यह अन्तर नहीं समझा तो भूमिति की समझ ही विकसित नहीं होती । यह कुशलता है । | + | # गणित की एक कक्षा में क्षेत्रफल के सवाल चल रहे थे । शिक्षक क्षेत्रफल का नियम बता रहे थे । आगंतुक व्यक्ति ने एक छात्र से पूछा कि चार फीट लम्बे और तीन फिट चौड़े टेबल का क्षेत्रफल कितना होगा । छात्रों ने नियम लागू कर के कहा कि बारह वर्ग फीट । आगंतुक ने पूछ कि चार गुणा तीन कितना होता है । छात्रों ने कहा बारह । आगंतुक ने पूछा चार फीट गुणा तीन फिट बारह फीट होगा कि नहीं । छात्रों ने हाँ कहा । आगंतुक ने पूछा कि फिर उसमें वर्ग फीट कहाँ से आ गया | छात्रों को उत्तर नहीं आता था । वे नियम जानते थे और गुणाकार भी जानते थे परन्तु एक परिमाण और द्विपरिमाण का अन्तर नहीं जानते थे । आगंतुक उन्हें बाहर मैदान में ले गया । वहाँ छात्रों को चार फीट लंबा और तीन फीट चौड़ा आयत बनाने के लिए कहा । छात्रों ने बनाया । अब आगंतुक ने कहा कि यह रेखा नहीं है । चार फिट की दो और तीन फीट की दो रेखायें जुड़ी हुई हैं जो जगह घेरती हैं । इस जगह को क्षेत्र कहते हैं । अब चार और तीन फीट में एक एक फुट के अन्तर पर रेखायें बनाएँगे तो एक एक फीट के वर्ग बनेंगे । इनकी संख्या गिनो तो बारह होगी । चार फीट लंबी और तीन फीट चौड़ी आयताकार जगह बारह वर्ग फीट की बनती है अतः केवल बारह नहीं अपितु बारह वर्ग फीट बनाता है । रेखा और क्षेत्र में परिमाणों का अन्तर है। यह अन्तर नहीं समझा तो भूमिति की समझ ही विकसित नहीं होती । यह कुशलता है । |
| # रोटी में किसान की मेहनत है, माँ का प्रेम है, मिट्टी की महक है, बैल की मजदूरी है, गेहूं का स्वाद है, चूल्हे की आग है, कुएं का पानी है ऐसा बताने वाला शिक्षक रोटी का समग्रता में परिचय देता है । वह रोटी को केवल विज्ञान या पाकशास्त्र का विषय नहीं बनाता | | | # रोटी में किसान की मेहनत है, माँ का प्रेम है, मिट्टी की महक है, बैल की मजदूरी है, गेहूं का स्वाद है, चूल्हे की आग है, कुएं का पानी है ऐसा बताने वाला शिक्षक रोटी का समग्रता में परिचय देता है । वह रोटी को केवल विज्ञान या पाकशास्त्र का विषय नहीं बनाता | |
| # न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का नियम खोजा, आइन्स्टाइन ने सापेक्षता का सिद्धान्त सवा, जगदीशचन्द्र बसु ने वनस्पति में भी जीव है यह सिद्ध किया परन्तु गुरुत्वाकर्षण का सृजन किसने किया, सापेक्षता की रचना किसने की, वनस्पति में जीव कैसे आया आदि प्रश्न जगाकर इस विश्व की रचना की ओर ले जाने का अर्थात “विज्ञान' से “अध्यात्म' की ओर ले जाने का काम कुशल शिक्षक करता है । | | # न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का नियम खोजा, आइन्स्टाइन ने सापेक्षता का सिद्धान्त सवा, जगदीशचन्द्र बसु ने वनस्पति में भी जीव है यह सिद्ध किया परन्तु गुरुत्वाकर्षण का सृजन किसने किया, सापेक्षता की रचना किसने की, वनस्पति में जीव कैसे आया आदि प्रश्न जगाकर इस विश्व की रचना की ओर ले जाने का अर्थात “विज्ञान' से “अध्यात्म' की ओर ले जाने का काम कुशल शिक्षक करता है । |