मानव जाति के आदि-पुरुष और [[Dharmashastras (धर्मशास्त्राणि)|धर्मशास्त्र]] के प्रणेता मनु ने जलप्लावन के समय पृथ्वी के डूब जाने पर अपनी नौका में सृष्टि के सब बीज सुरक्षित रख लिये थे, जिनके आधार पर जलप्लावन उतर जाने के बाद उन्होंने धरती को सर्वसम्पन्नता प्रदान की और नूतन मानव संस्कृति का निर्माण किया। मनु अनेक हुए हैं। [[Puranas (पुराणानि)|पुराणों]] के अनुसार प्रत्येक कल्प के चौदह [[Manvantaras (मन्वन्तराणि)|मन्वन्तरों]] में अलग-अलग चौदह मनुओं का शासन होता है। वर्तमान मनु वैवस्वत अर्थात् सूर्यपुत्र कहलाते हैं और इसलिए यह मन्वन्तर भी वैवस्वत मन्वन्तर कहलाता है।
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मानव जाति के आदि-पुरुष और [[Dharmashastras (धर्मशास्त्राणि)|धर्मशास्त्र]] के प्रणेता मनु ने जलप्लावन के समय पृथ्वी के डूब जाने पर अपनी नौका में सृष्टि के सब बीज सुरक्षित रख लिये थे, जिनके आधार पर जलप्लावन उतर जाने के बाद उन्होंने धरती को सर्वसम्पन्नता प्रदान की और नूतन मानव संस्कृति का निर्माण किया। मनु अनेक हुए हैं। [[Puranas (पुराणानि)|पुराणों]] के अनुसार प्रत्येक कल्प के चौदह [[Manvantaras (मन्वन्तराणि)|मन्वन्तरों]] में अलग-अलग चौदह मनुओं का शासन होता है। वर्तमान मनु वैवस्वत अर्थात् सूर्यपुत्र कहलाते हैं और अतः यह मन्वन्तर भी वैवस्वत मन्वन्तर कहलाता है।