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महाराज और भी क्रोधित हो गए और सभा की ओर बढ़ चले। सभा में पहुंच कर उन्होंने देखा कि तेनालीरामा मिटटी के घड़े में अपना चेहरा छुपाया हुआ था और उस पर आंख और पत्तो से कान ओर बाल बनाये थे जैसे कोई जानवर का मुख हों । महाराज ने क्रोध भरे स्वर कहाँ "तेनालीरामा जी यह क्या मजाक कर रहे हैं? आप मेरा अपमान कर रहे है और आज्ञा का उल्लंघन कर रहे है । आप मृत्यु दण्ड के भागी है ।"
 
महाराज और भी क्रोधित हो गए और सभा की ओर बढ़ चले। सभा में पहुंच कर उन्होंने देखा कि तेनालीरामा मिटटी के घड़े में अपना चेहरा छुपाया हुआ था और उस पर आंख और पत्तो से कान ओर बाल बनाये थे जैसे कोई जानवर का मुख हों । महाराज ने क्रोध भरे स्वर कहाँ "तेनालीरामा जी यह क्या मजाक कर रहे हैं? आप मेरा अपमान कर रहे है और आज्ञा का उल्लंघन कर रहे है । आप मृत्यु दण्ड के भागी है ।"
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तेनालीरामा ने उत्तर दिया "महाराज मैंंने तो आपका अपमान नहीं किया और आपकी आज्ञा का पूर्ण रूप से पालन किया है । आपने आदेश दिया था कि आप मेरा मुख नहीं देखना चाहते हैं, इसलिए मैं मटके के मुख में आया हूँ। क्या सच में आपको मेरा मुख दिख रहा है? कहीं कुम्हार ने मुझे छिद्र वाली मटकी तो नहीं दे दी।"  
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तेनालीरामा ने उत्तर दिया "महाराज मैंंने तो आपका अपमान नहीं किया और आपकी आज्ञा का पूर्ण रूप से पालन किया है । आपने आदेश दिया था कि आप मेरा मुख नहीं देखना चाहते हैं, अतः मैं मटके के मुख में आया हूँ। क्या सच में आपको मेरा मुख दिख रहा है? कहीं कुम्हार ने मुझे छिद्र वाली मटकी तो नहीं दे दी।"  
    
महाराज तेनालीरामा की युक्ति पर हँस पड़े और युक्ति पर साधुवाद देने लगे। उनका सारा गुस्सा शांत हो गया और महाराज ने कहा "तेनालीरामा जी आप अपनी बुद्धि कौशल से हमारा मन जीत ही लेते हैं।"  
 
महाराज तेनालीरामा की युक्ति पर हँस पड़े और युक्ति पर साधुवाद देने लगे। उनका सारा गुस्सा शांत हो गया और महाराज ने कहा "तेनालीरामा जी आप अपनी बुद्धि कौशल से हमारा मन जीत ही लेते हैं।"  
    
[[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]]
 
[[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]]

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