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| हमने कुछ कार्ययोजना की रूपरेखा भी बनाई है । मैं केवल बिन्दु ही आपके सम्मुख रखता हूँ। (१) हम पूरा एक वर्ष समाज सम्पर्क करेंगे । इनमें राज्यों के शिक्षाविभाग और विश्वविद्यालय तथा अन्य शोधसंस्थान होंगे । आप इन सभी राज्य सरकारों से बात कर हमारा यह सम्पर्क अभियान यशस्वी हो ऐसा करें यही निवेदन है। हम सभी राज्यों के शिक्षा विभागों से बात करेंगे। सभी विश्वविद्यालयों के अध्ययन मण्डलों तथा उनकी कार्यवाहक समितियों से बात करेंगे। देश में अभी सातसौ से अधिक विश्वविद्यालय हैं, हम उनमें से एकसौ विश्वविद्यालयों का सम्पर्क करेंगे । उन्हें इस विचार के अनुकूल भी बनायेंगे और शैक्षिक दृष्टि से सहायता करने का निवेदन भी करेंगे। हम इन्हीं विश्वविद्यालयों से अध्यापक और विद्यार्थियों का चयन करेंगे। | | हमने कुछ कार्ययोजना की रूपरेखा भी बनाई है । मैं केवल बिन्दु ही आपके सम्मुख रखता हूँ। (१) हम पूरा एक वर्ष समाज सम्पर्क करेंगे । इनमें राज्यों के शिक्षाविभाग और विश्वविद्यालय तथा अन्य शोधसंस्थान होंगे । आप इन सभी राज्य सरकारों से बात कर हमारा यह सम्पर्क अभियान यशस्वी हो ऐसा करें यही निवेदन है। हम सभी राज्यों के शिक्षा विभागों से बात करेंगे। सभी विश्वविद्यालयों के अध्ययन मण्डलों तथा उनकी कार्यवाहक समितियों से बात करेंगे। देश में अभी सातसौ से अधिक विश्वविद्यालय हैं, हम उनमें से एकसौ विश्वविद्यालयों का सम्पर्क करेंगे । उन्हें इस विचार के अनुकूल भी बनायेंगे और शैक्षिक दृष्टि से सहायता करने का निवेदन भी करेंगे। हम इन्हीं विश्वविद्यालयों से अध्यापक और विद्यार्थियों का चयन करेंगे। |
| # हम संचार माध्यमों का उपयोग कर जनसमाज को भी इस विषय से अवगत करायेंगे । अर्थात् समस्त प्रजा को जानना चाहिये कि आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की क्यों आवश्यकता है। | | # हम संचार माध्यमों का उपयोग कर जनसमाज को भी इस विषय से अवगत करायेंगे । अर्थात् समस्त प्रजा को जानना चाहिये कि आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की क्यों आवश्यकता है। |
− | # हम देशभर में चार विद्वत् परिषदों का आयोजन करेंगे। इनमें आपके शिक्षाविभाग के प्रमुख अधिकारियों सहित आप तथा उन उन राज्यों के शिक्षाविभाग के प्रमुख अधिकारी सहभागी हों ऐसा हम चाहेंगे। आप लोगों की उपस्थिति से लोगों के मन आश्वस्त होंगे । आपकी सिस्टम का भय नहीं रहेगा। साथ ही हमारा संवाद बना रहेगा। | + | # हम देशभर में चार विद्वत् परिषदों का आयोजन करेंगे। इनमें आपके शिक्षाविभाग के प्रमुख अधिकारियों सहित आप तथा उन उन राज्यों के शिक्षाविभाग के प्रमुख अधिकारी सहभागी हों ऐसा हम चाहेंगे। आप लोगोंं की उपस्थिति से लोगोंं के मन आश्वस्त होंगे । आपकी सिस्टम का भय नहीं रहेगा। साथ ही हमारा संवाद बना रहेगा। |
| # विश्व के अन्यान्य देशों में आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थी और अध्यापक जायेंगे। इनके लिये उन उन देशों में कोई प्रतिकूलता न रहे यह देखना तो आपका ही दायित्व है। उन देशों की सरकारें उनके विश्वविद्यालयों से बात करें और हमारे विद्यार्थी तथा अध्यापकों को सहयोग करें ऐसा हम चाहेंगे। सरकारी बाधायें दूर हों। | | # विश्व के अन्यान्य देशों में आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थी और अध्यापक जायेंगे। इनके लिये उन उन देशों में कोई प्रतिकूलता न रहे यह देखना तो आपका ही दायित्व है। उन देशों की सरकारें उनके विश्वविद्यालयों से बात करें और हमारे विद्यार्थी तथा अध्यापकों को सहयोग करें ऐसा हम चाहेंगे। सरकारी बाधायें दूर हों। |
| # आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय को सहयोग करने का किसी पर सरकारी दबाव बने ऐसा हम नहीं चाहते । परन्तु अविरोध अवश्य चाहेंगे। | | # आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय को सहयोग करने का किसी पर सरकारी दबाव बने ऐसा हम नहीं चाहते । परन्तु अविरोध अवश्य चाहेंगे। |
| # धीरे धीरे बिना सरकारी मान्यता के भी पढा जाता है ऐसी मानसिकता बनाने में आपका बहुत बड़ा योगदान हो सकता है। आप जहाँ जायें वहाँ औपचारिक अनौपचारिक तौर पर इस विश्वविद्यालय की चर्चा हो ऐसे अवसर आप बनायें। अनेक लोग इस विश्वविद्यालय की संकल्पना सुनने समझने के लिये आयें इस हेतु प्रोत्साहन दें। शिक्षा धीरे धीरे सरकार से समाज की ओर किस प्रकार जाय इसका विचार करें। आज सरकार शिक्षा को उद्योगों को हस्तान्तरित कर रही है। इससे शिक्षा का बाजारीकरण होने की सम्भावनायें बढती हैं। शिक्षा को बाजार के हाथ में न दें, शिक्षकों के हाथ में दें। | | # धीरे धीरे बिना सरकारी मान्यता के भी पढा जाता है ऐसी मानसिकता बनाने में आपका बहुत बड़ा योगदान हो सकता है। आप जहाँ जायें वहाँ औपचारिक अनौपचारिक तौर पर इस विश्वविद्यालय की चर्चा हो ऐसे अवसर आप बनायें। अनेक लोग इस विश्वविद्यालय की संकल्पना सुनने समझने के लिये आयें इस हेतु प्रोत्साहन दें। शिक्षा धीरे धीरे सरकार से समाज की ओर किस प्रकार जाय इसका विचार करें। आज सरकार शिक्षा को उद्योगों को हस्तान्तरित कर रही है। इससे शिक्षा का बाजारीकरण होने की सम्भावनायें बढती हैं। शिक्षा को बाजार के हाथ में न दें, शिक्षकों के हाथ में दें। |
− | # आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षित लोगों को सरकारी नौकरियाँ न दें। यह एक आपद्धर्म होगा । मैं ऐसा उल्टा कथन आपकी सहायता हेतु ही कर रहा हूँ । सरकारी नौकरियाँ मिलती ही रहेगी तो अन्य लोग भी अपने अपने निजी विश्वविद्यालय आरम्भ करेंगे। वे कुछ भी पढायेंगे और आपके लिये नौकरियाँ देने का बोज बढ़ जायेगा। धीरे धीरे हम समाज को नौकरी मुक्त भी बनाना चाहेंगे । इसलिये जिस प्रकार शिक्षा को स्वतन्त्रत करना है उस प्रकार अर्थार्जन को भी स्वतन्त्र करने की आवश्यकता रहेगी। नौकरी नहीं करने वाले और अपनी मालिकी का व्यवसाय करने वालों का सामाजिक और राजकीय सम्मान बढाने के उपाय करने चाहिये । समाज जागरण के कार्यक्रमों को अर्थनिरपेक्ष बनाने की दिशा में हम सबको मिलकर बहुत प्रयास करने होंगे। शिक्षा का अर्थार्जन से सम्बन्ध तोडकर ज्ञानार्जन से जोड़ने की दिशा में यह पहल होगी सरकार और विश्वविद्यालय ये संयुक्त प्रयासों से ही यह बदल होने वाला है। | + | # आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षित लोगोंं को सरकारी नौकरियाँ न दें। यह एक आपद्धर्म होगा । मैं ऐसा उल्टा कथन आपकी सहायता हेतु ही कर रहा हूँ । सरकारी नौकरियाँ मिलती ही रहेगी तो अन्य लोग भी अपने अपने निजी विश्वविद्यालय आरम्भ करेंगे। वे कुछ भी पढायेंगे और आपके लिये नौकरियाँ देने का बोज बढ़ जायेगा। धीरे धीरे हम समाज को नौकरी मुक्त भी बनाना चाहेंगे । इसलिये जिस प्रकार शिक्षा को स्वतन्त्रत करना है उस प्रकार अर्थार्जन को भी स्वतन्त्र करने की आवश्यकता रहेगी। नौकरी नहीं करने वाले और अपनी मालिकी का व्यवसाय करने वालों का सामाजिक और राजकीय सम्मान बढाने के उपाय करने चाहिये । समाज जागरण के कार्यक्रमों को अर्थनिरपेक्ष बनाने की दिशा में हम सबको मिलकर बहुत प्रयास करने होंगे। शिक्षा का अर्थार्जन से सम्बन्ध तोडकर ज्ञानार्जन से जोड़ने की दिशा में यह पहल होगी सरकार और विश्वविद्यालय ये संयुक्त प्रयासों से ही यह बदल होने वाला है। |
| '''मन्त्री''' : मैं आपकी बात समझ रहा हूँ। परन्तु एक बात हमें ठीक से समझ लेनी होगी। आप समाज में कार्य कर रहे हैं । आप स्थिरतापूर्वक काम कर सकते हैं । हमारी सरकार चुनाव के बाद बनती है और चुनाव हर पाँच वर्षों में आते हैं। कभी कभी जल्दी भी आ जाते हैं। अतः पाँच वर्षों के बाद हम होंगे कि नहीं यह अनिश्चित होता है। दूसरे पक्ष की सरकार बनते ही आपके जैसे कार्यों में सहयोग करने के स्थान पर रूकावटें ही आरम्भ हो जाती हैं। इस अनिश्चितता का विचार कैसे करें ? | | '''मन्त्री''' : मैं आपकी बात समझ रहा हूँ। परन्तु एक बात हमें ठीक से समझ लेनी होगी। आप समाज में कार्य कर रहे हैं । आप स्थिरतापूर्वक काम कर सकते हैं । हमारी सरकार चुनाव के बाद बनती है और चुनाव हर पाँच वर्षों में आते हैं। कभी कभी जल्दी भी आ जाते हैं। अतः पाँच वर्षों के बाद हम होंगे कि नहीं यह अनिश्चित होता है। दूसरे पक्ष की सरकार बनते ही आपके जैसे कार्यों में सहयोग करने के स्थान पर रूकावटें ही आरम्भ हो जाती हैं। इस अनिश्चितता का विचार कैसे करें ? |
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| '''प्रशासक''' : यह आपने अच्छा सुझाव दिया । हमारी प्रशासकीय सेवाओं के पाठ्यक्रमों का हम पुनर्विचार करेंगे । उसका प्रशिक्षण चलता है। उसमें भी धार्मिकता का मुद्दा चर्चा में आना आवश्यक है। हमें आपकी सहायता चाहिये । हमारे वर्गों में वर्तमान विश्वविद्यालयों में पढे हुए लोग होते हैं। उन्हें भारत का धार्मिक दृष्टि से लिखा हुआ इतिहास, धार्मिक जीवनदृष्टि, राष्ट्रजीवन आदि बातों का परिचय ही नहीं होता। परन्तु वे बुद्धिमान होते हैं। व्यवहारदक्ष और चतुर भी होते हैं । शासन और प्रजा दोनों यदि धार्मिकता चाहते हैं तो उन्हें धार्मिकता क्या है यह समझने में देर नहीं लगेगी । हाँ, उन्हें अपने आपको प्रजा से अलग समझना बन्द करना होगा। मैं इसके लिये प्रयास करूँगा। | | '''प्रशासक''' : यह आपने अच्छा सुझाव दिया । हमारी प्रशासकीय सेवाओं के पाठ्यक्रमों का हम पुनर्विचार करेंगे । उसका प्रशिक्षण चलता है। उसमें भी धार्मिकता का मुद्दा चर्चा में आना आवश्यक है। हमें आपकी सहायता चाहिये । हमारे वर्गों में वर्तमान विश्वविद्यालयों में पढे हुए लोग होते हैं। उन्हें भारत का धार्मिक दृष्टि से लिखा हुआ इतिहास, धार्मिक जीवनदृष्टि, राष्ट्रजीवन आदि बातों का परिचय ही नहीं होता। परन्तु वे बुद्धिमान होते हैं। व्यवहारदक्ष और चतुर भी होते हैं । शासन और प्रजा दोनों यदि धार्मिकता चाहते हैं तो उन्हें धार्मिकता क्या है यह समझने में देर नहीं लगेगी । हाँ, उन्हें अपने आपको प्रजा से अलग समझना बन्द करना होगा। मैं इसके लिये प्रयास करूँगा। |
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− | '''मन्त्री''' : यह अच्छा विचार है। शासन इस पर अवश्य विचार करेगा । हमें भारत को भारत केन्द्री होना चाहिये इस सूत्र को प्रचार में लाना चाहिये । मैंने अभी एक लेख पढा था । उसमें एक मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई थी। लेखक कहता था कि आज भारत के बौद्धिकों का वैचारिक गतिविधियों का गुरुत्वमध्यबिन्दु भारत के बाहर है, उसे पुनः भारत में लाना चाहिये । लेखकने भारत के शिक्षा आयोग के अध्यक्ष डॉ. दौलतसिंह कोठारी के सन्दर्भ से यह कहा था। लेखक ने इसके कई उदाहरण भी दिये थे। वैचारिक गुरुत्व मध्यबिन्दु को भारत में कैसे लाया जाय इसके कई सुझाव भी दिये थे। मैंने कई लोगों से इसकी चर्चा की। कुछ लोगों को बहुत विस्मय हुआ कि आज तक हमें यह बात सूझी क्यों नहीं । मुद्दा तो एकदम सही है ।इस बात पर व्यापक चर्चा होनी चाहिये । | + | '''मन्त्री''' : यह अच्छा विचार है। शासन इस पर अवश्य विचार करेगा । हमें भारत को भारत केन्द्री होना चाहिये इस सूत्र को प्रचार में लाना चाहिये । मैंने अभी एक लेख पढा था । उसमें एक मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई थी। लेखक कहता था कि आज भारत के बौद्धिकों का वैचारिक गतिविधियों का गुरुत्वमध्यबिन्दु भारत के बाहर है, उसे पुनः भारत में लाना चाहिये । लेखकने भारत के शिक्षा आयोग के अध्यक्ष डॉ. दौलतसिंह कोठारी के सन्दर्भ से यह कहा था। लेखक ने इसके कई उदाहरण भी दिये थे। वैचारिक गुरुत्व मध्यबिन्दु को भारत में कैसे लाया जाय इसके कई सुझाव भी दिये थे। मैंने कई लोगोंं से इसकी चर्चा की। कुछ लोगोंं को बहुत विस्मय हुआ कि आज तक हमें यह बात सूझी क्यों नहीं । मुद्दा तो एकदम सही है ।इस बात पर व्यापक चर्चा होनी चाहिये । |
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− | '''प्रशासक''' : मुझे एक विचार आ रहा है। हमारे सारे राष्ट्रीय संकटों की जड दो सौ वर्षों का ब्रिटीशों का आधिपत्य ही है। उस कालखण्ड में उन्होंने हमारे सारे विषयों के पाठ्यक्रम और स्वरूप बदल दिये । इतिहास भी फिर से लिखा ताकि हमें भविष्य में कुछ पता ही न चले। हमारी व्यवस्थायें छिन्नभिन्न कर दी । इसलिये मुझे लगता है कि हमें इन दो सौ वर्षों का प्रमाणभूत इतिहास पुनः लिखना चाहिये । हमें इसके लिये पर्याप्त अनुसन्धान भी करना होगा। हम किसी अच्छे विश्वविद्यालय को यह प्रकल्प दे सकते हैं और उसके लिये सहायता भी कर सकते हैं। | + | '''प्रशासक''' : मुझे एक विचार आ रहा है। हमारे सारे राष्ट्रीय संकटों की जड़ दो सौ वर्षों का ब्रिटीशों का आधिपत्य ही है। उस कालखण्ड में उन्होंने हमारे सारे विषयों के पाठ्यक्रम और स्वरूप बदल दिये । इतिहास भी फिर से लिखा ताकि हमें भविष्य में कुछ पता ही न चले। हमारी व्यवस्थायें छिन्नभिन्न कर दी । इसलिये मुझे लगता है कि हमें इन दो सौ वर्षों का प्रमाणभूत इतिहास पुनः लिखना चाहिये । हमें इसके लिये पर्याप्त अनुसन्धान भी करना होगा। हम किसी अच्छे विश्वविद्यालय को यह प्रकल्प दे सकते हैं और उसके लिये सहायता भी कर सकते हैं। |
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| दूसरा मुजे लगता है कि एक शिक्षा आयोग की रचना की जाय जो भारत केन्द्री शिक्षा की संकल्पना और स्वरूप का दस्तावेज तैयार करे तथा साथ में उसे लागू कैसे किया जाय इसकी व्यावहारिक योजना भी दे। यह बात ठीक है कि सरकार द्वारा गठित आयोगों पर किसी को श्रद्धा या विश्वास नहीं होते, परन्तु हम इस बार आयोग की रचना और उसके कामकाज को पर्याप्त गम्भीरता से लेंगे। | | दूसरा मुजे लगता है कि एक शिक्षा आयोग की रचना की जाय जो भारत केन्द्री शिक्षा की संकल्पना और स्वरूप का दस्तावेज तैयार करे तथा साथ में उसे लागू कैसे किया जाय इसकी व्यावहारिक योजना भी दे। यह बात ठीक है कि सरकार द्वारा गठित आयोगों पर किसी को श्रद्धा या विश्वास नहीं होते, परन्तु हम इस बार आयोग की रचना और उसके कामकाज को पर्याप्त गम्भीरता से लेंगे। |
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| '''प्रशासक''' : इस सम्पूर्ण कार्य हेतु खर्च तो बहुत होगा। उसका क्या करेंगे ? मुझे नहीं लगता कि आप सरकार से कुछ अपेक्षा करेंगे। अनेक व्यावहारिक कारणों से सरकार सहायता करने में समर्थ नहीं रहेगी। आपने इस विषय में भी कुछ विचार किया ही होगा। | | '''प्रशासक''' : इस सम्पूर्ण कार्य हेतु खर्च तो बहुत होगा। उसका क्या करेंगे ? मुझे नहीं लगता कि आप सरकार से कुछ अपेक्षा करेंगे। अनेक व्यावहारिक कारणों से सरकार सहायता करने में समर्थ नहीं रहेगी। आपने इस विषय में भी कुछ विचार किया ही होगा। |
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− | '''शिक्षक''' : आपकी बात ठीक है । खर्च बहुत होगा । हम सरकार से अपेक्षा नहीं करेंगे । हम समाज पर ही निर्भर करेंगे । वैसे आज जितने भी सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन और संस्थायें इस देश में कार्यरत हैं उन सब का कार्य समाज के भरोसे ही चलता है । हम समाज से भिक्षा माँगेंगे। समाज पर भरोसा रखेंगे। आप लोगों के पास व्यक्तिगत रूप से भी हम भिक्षा माँगेंगे और सरकारों से भी माँगेंगे । वह अनुदान या कृपा नहीं होंगे, केवल सहयोग होगा। | + | '''शिक्षक''' : आपकी बात ठीक है । खर्च बहुत होगा । हम सरकार से अपेक्षा नहीं करेंगे । हम समाज पर ही निर्भर करेंगे । वैसे आज जितने भी सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन और संस्थायें इस देश में कार्यरत हैं उन सब का कार्य समाज के भरोसे ही चलता है । हम समाज से भिक्षा माँगेंगे। समाज पर भरोसा रखेंगे। आप लोगोंं के पास व्यक्तिगत रूप से भी हम भिक्षा माँगेंगे और सरकारों से भी माँगेंगे । वह अनुदान या कृपा नहीं होंगे, केवल सहयोग होगा। |
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| '''मन्त्री''' : यह विचार अच्छा है। हम भी आपके कार्य में अवश्य सहयोग करेंगे । परन्तु क्या धार्मिक के साथ साथ विदेशों से भी विद्वान शोध और अध्ययन करने हेतु या अध्यापन करने हेतु आयेंगे ? या आप केवल धार्मिकों को ही पढाने की अनुमति देंगे ? | | '''मन्त्री''' : यह विचार अच्छा है। हम भी आपके कार्य में अवश्य सहयोग करेंगे । परन्तु क्या धार्मिक के साथ साथ विदेशों से भी विद्वान शोध और अध्ययन करने हेतु या अध्यापन करने हेतु आयेंगे ? या आप केवल धार्मिकों को ही पढाने की अनुमति देंगे ? |
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| '''शिक्षक''' : अरे यह आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है तो हम सम्पूर्ण विश्व से अध्यापकों को आमान्त्रित करेंगे। वास्तव में पूर्व और पश्चिम का भेद दिशाओं का, अथवा भारत और अमेरिका का नहीं है, वह दैवी और आसुरी सम्पदा का विरोध है । इसलिये विश्व के किसी भी स्थान से अध्यापक और विद्यार्थी यहा आयेंगे। | | '''शिक्षक''' : अरे यह आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है तो हम सम्पूर्ण विश्व से अध्यापकों को आमान्त्रित करेंगे। वास्तव में पूर्व और पश्चिम का भेद दिशाओं का, अथवा भारत और अमेरिका का नहीं है, वह दैवी और आसुरी सम्पदा का विरोध है । इसलिये विश्व के किसी भी स्थान से अध्यापक और विद्यार्थी यहा आयेंगे। |
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− | मैं एकबार पुनः स्पष्टता करता हूँ कि यह विश्वविद्यालय केवल भारत के लिये नहीं है, मुख्य रूप से यह विश्व के लिये है। विश्व जिन भीषण संकटों से घिरा हुआ है उसका निवारण करने हेतु वह अपने तरीके से प्रयास तो कर रहा है, परन्तु उसमें उसे यश नहीं मिल रहा है। हमारा पक्का विश्वास है कि पश्चिम को उसके प्रयास में यश मिल ही नहीं सकता क्योंकि उसकी जीवनशैली ही सारे संकटों का मूल है । वह अपनी शैली छोडना नहीं चाहता और संकट दूर करना चाहता है । ये दोनों बातें साथ साथ नहीं हो सकती । हमें पक्का विश्वास यह भी है कि भारत की जीवनदृष्टि इन संकटों का निवारण कर सकती है । परन्तु इसके लिये भारत को पश्चिमी प्रभाव से मुक्त होना पड़ेगा। आज तो भारत की स्थिति भी चिन्ताजनक है । इसलिये हमें भारत अध्ययन केन्द्र और विश्वअध्ययन केन्द्र बनाने पडेंगे । प्रथम भारत को पश्चिम के प्रभाव से मुक्त करना और बाद में भारत विश्व को संकटों से मुक्ति का मार्ग दिखायेगा । दोनों काम साथ साथ चलेंगे । इस कार्य में पश्चिम को भी तो साथ में लेना होगा। | + | मैं एकबार पुनः स्पष्टता करता हूँ कि यह विश्वविद्यालय केवल भारत के लिये नहीं है, मुख्य रूप से यह विश्व के लिये है। विश्व जिन भीषण संकटों से घिरा हुआ है उसका निवारण करने हेतु वह अपने तरीके से प्रयास तो कर रहा है, परन्तु उसमें उसे यश नहीं मिल रहा है। हमारा पक्का विश्वास है कि पश्चिम को उसके प्रयास में यश मिल ही नहीं सकता क्योंकि उसकी जीवनशैली ही सारे संकटों का मूल है । वह अपनी शैली छोडना नहीं चाहता और संकट दूर करना चाहता है । ये दोनों बातें साथ साथ नहीं हो सकती । हमें पक्का विश्वास यह भी है कि भारत की जीवनदृष्टि इन संकटों का निवारण कर सकती है । परन्तु इसके लिये भारत को पश्चिमी प्रभाव से मुक्त होना पड़ेगा। आज तो भारत की स्थिति भी चिन्ताजनक है । इसलिये हमें भारत अध्ययन केन्द्र और विश्वअध्ययन केन्द्र बनाने पड़ेंगे । प्रथम भारत को पश्चिम के प्रभाव से मुक्त करना और बाद में भारत विश्व को संकटों से मुक्ति का मार्ग दिखायेगा । दोनों काम साथ साथ चलेंगे । इस कार्य में पश्चिम को भी तो साथ में लेना होगा। |
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| मैंने संक्षेप में आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का विचार आपके सामने रखा है। मैं पुनः एक बार बता दें कि हमारा आदर्श हार्वर्ड विश्वविद्यालय नहीं अपितु तक्षशिला विद्यापीठ रहेगा । हम आपसे सहयोग और समर्थन दोनों चाहते हैं। वह प्राप्त होगा ही ऐसा विश्वास अब होने लगा है। | | मैंने संक्षेप में आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का विचार आपके सामने रखा है। मैं पुनः एक बार बता दें कि हमारा आदर्श हार्वर्ड विश्वविद्यालय नहीं अपितु तक्षशिला विद्यापीठ रहेगा । हम आपसे सहयोग और समर्थन दोनों चाहते हैं। वह प्राप्त होगा ही ऐसा विश्वास अब होने लगा है। |
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| '''प्रशासक''' : आप पूर्ण रूप से हमारा भरोसा कर सकते हैं । मैं स्वयं मेरे कुछ मित्रों के साथ अध्ययन करने के लिये आऊँगा । ग्रन्थालय में भी सेवा दूंगा । मुझे आप काम भी दे सकते हैं। | | '''प्रशासक''' : आप पूर्ण रूप से हमारा भरोसा कर सकते हैं । मैं स्वयं मेरे कुछ मित्रों के साथ अध्ययन करने के लिये आऊँगा । ग्रन्थालय में भी सेवा दूंगा । मुझे आप काम भी दे सकते हैं। |
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− | मुझे लगता है कि मेरे जैसे अनेकों के लिये आपका ग्रन्थालय आकर्षण का केन्द्र बनेगा। आप आवाहन करके अनेक विद्वानों और जिज्ञासुओं को अध्ययन हेतु निमंत्रित कर सकते हैं। लोगों का बिना प्रमाणपत्र के अध्ययन करने का मानस बने यह आवश्यक है। | + | मुझे लगता है कि मेरे जैसे अनेकों के लिये आपका ग्रन्थालय आकर्षण का केन्द्र बनेगा। आप आवाहन करके अनेक विद्वानों और जिज्ञासुओं को अध्ययन हेतु निमंत्रित कर सकते हैं। लोगोंं का बिना प्रमाणपत्र के अध्ययन करने का मानस बने यह आवश्यक है। |
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| '''शिक्षक''' : देखा, अभी तो हमने विचार आरम्भ ही किया है और हमें नई नई बातें सूझने लगी हैं। वास्तव में काम आरम्भ होगा तब तो अनेक नई नई बातें सूझेंगी। | | '''शिक्षक''' : देखा, अभी तो हमने विचार आरम्भ ही किया है और हमें नई नई बातें सूझने लगी हैं। वास्तव में काम आरम्भ होगा तब तो अनेक नई नई बातें सूझेंगी। |