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| # आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय को सहयोग करने का किसी पर सरकारी दबाव बने ऐसा हम नहीं चाहते । परन्तु अविरोध अवश्य चाहेंगे। | | # आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय को सहयोग करने का किसी पर सरकारी दबाव बने ऐसा हम नहीं चाहते । परन्तु अविरोध अवश्य चाहेंगे। |
| # धीरे धीरे बिना सरकारी मान्यता के भी पढा जाता है ऐसी मानसिकता बनाने में आपका बहुत बड़ा योगदान हो सकता है। आप जहाँ जायें वहाँ औपचारिक अनौपचारिक तौर पर इस विश्वविद्यालय की चर्चा हो ऐसे अवसर आप बनायें। अनेक लोग इस विश्वविद्यालय की संकल्पना सुनने समझने के लिये आयें इस हेतु प्रोत्साहन दें। शिक्षा धीरे धीरे सरकार से समाज की ओर किस प्रकार जाय इसका विचार करें। आज सरकार शिक्षा को उद्योगों को हस्तान्तरित कर रही है। इससे शिक्षा का बाजारीकरण होने की सम्भावनायें बढती हैं। शिक्षा को बाजार के हाथ में न दें, शिक्षकों के हाथ में दें। | | # धीरे धीरे बिना सरकारी मान्यता के भी पढा जाता है ऐसी मानसिकता बनाने में आपका बहुत बड़ा योगदान हो सकता है। आप जहाँ जायें वहाँ औपचारिक अनौपचारिक तौर पर इस विश्वविद्यालय की चर्चा हो ऐसे अवसर आप बनायें। अनेक लोग इस विश्वविद्यालय की संकल्पना सुनने समझने के लिये आयें इस हेतु प्रोत्साहन दें। शिक्षा धीरे धीरे सरकार से समाज की ओर किस प्रकार जाय इसका विचार करें। आज सरकार शिक्षा को उद्योगों को हस्तान्तरित कर रही है। इससे शिक्षा का बाजारीकरण होने की सम्भावनायें बढती हैं। शिक्षा को बाजार के हाथ में न दें, शिक्षकों के हाथ में दें। |
− | # आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षित लोगों को सरकारी नौकरियाँ न दें। यह एक आपद्धर्म होगा । मैं ऐसा उल्टा कथन आपकी सहायता हेतु ही कर रहा हूँ । सरकारी नौकरियाँ मिलती ही रहेगी तो अन्य लोग भी अपने अपने निजी विश्वविद्यालय शुरू करेंगे। वे कुछ भी पढायेंगे और आपके लिये नौकरियाँ देने का बोज बढ़ जायेगा। धीरे धीरे हम समाज को नौकरी मुक्त भी बनाना चाहेंगे । इसलिये जिस प्रकार शिक्षा को स्वतन्त्रत करना है उस प्रकार अर्थार्जन को भी स्वतन्त्र करने की आवश्यकता रहेगी। नौकरी नहीं करने वाले और अपनी मालिकी का व्यवसाय करने वालों का सामाजिक और राजकीय सम्मान बढाने के उपाय करने चाहिये । समाज जागरण के कार्यक्रमों को अर्थनिरपेक्ष बनाने की दिशा में हम सबको मिलकर बहुत प्रयास करने होंगे। शिक्षा का अर्थार्जन से सम्बन्ध तोडकर ज्ञानार्जन से जोड़ने की दिशा में यह पहल होगी सरकार और विश्वविद्यालय ये संयुक्त प्रयासों से ही यह बदल होने वाला है। | + | # आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षित लोगों को सरकारी नौकरियाँ न दें। यह एक आपद्धर्म होगा । मैं ऐसा उल्टा कथन आपकी सहायता हेतु ही कर रहा हूँ । सरकारी नौकरियाँ मिलती ही रहेगी तो अन्य लोग भी अपने अपने निजी विश्वविद्यालय आरम्भ करेंगे। वे कुछ भी पढायेंगे और आपके लिये नौकरियाँ देने का बोज बढ़ जायेगा। धीरे धीरे हम समाज को नौकरी मुक्त भी बनाना चाहेंगे । इसलिये जिस प्रकार शिक्षा को स्वतन्त्रत करना है उस प्रकार अर्थार्जन को भी स्वतन्त्र करने की आवश्यकता रहेगी। नौकरी नहीं करने वाले और अपनी मालिकी का व्यवसाय करने वालों का सामाजिक और राजकीय सम्मान बढाने के उपाय करने चाहिये । समाज जागरण के कार्यक्रमों को अर्थनिरपेक्ष बनाने की दिशा में हम सबको मिलकर बहुत प्रयास करने होंगे। शिक्षा का अर्थार्जन से सम्बन्ध तोडकर ज्ञानार्जन से जोड़ने की दिशा में यह पहल होगी सरकार और विश्वविद्यालय ये संयुक्त प्रयासों से ही यह बदल होने वाला है। |
− | '''मन्त्री''' : मैं आपकी बात समझ रहा हूँ। परन्तु एक बात हमें ठीक से समझ लेनी होगी। आप समाज में कार्य कर रहे हैं । आप स्थिरतापूर्वक काम कर सकते हैं । हमारी सरकार चुनाव के बाद बनती है और चुनाव हर पाँच वर्षों में आते हैं। कभी कभी जल्दी भी आ जाते हैं। अतः पाँच वर्षों के बाद हम होंगे कि नहीं यह अनिश्चित होता है। दूसरे पक्ष की सरकार बनते ही आपके जैसे कार्यों में सहयोग करने के स्थान पर रूकावटें ही शुरू हो जाती हैं। इस अनिश्चितता का विचार कैसे करें ? | + | '''मन्त्री''' : मैं आपकी बात समझ रहा हूँ। परन्तु एक बात हमें ठीक से समझ लेनी होगी। आप समाज में कार्य कर रहे हैं । आप स्थिरतापूर्वक काम कर सकते हैं । हमारी सरकार चुनाव के बाद बनती है और चुनाव हर पाँच वर्षों में आते हैं। कभी कभी जल्दी भी आ जाते हैं। अतः पाँच वर्षों के बाद हम होंगे कि नहीं यह अनिश्चित होता है। दूसरे पक्ष की सरकार बनते ही आपके जैसे कार्यों में सहयोग करने के स्थान पर रूकावटें ही आरम्भ हो जाती हैं। इस अनिश्चितता का विचार कैसे करें ? |
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| '''शिक्षक''' : हम पक्ष से ऊपर उठकर काम करेंगे। देशभक्ति और देश की मिट्टी और पूर्वजों का गौरव सभी पक्षों के लिये समान मुद्दा बनना चाहिये । इसलिये हमारे सम्पर्क अभियान में सभी पक्षों की सरकारों का समावेश होगा । हम कमअधिक मात्रा में सहयोग और अवरोध की सम्भावनाओं को नकार नहीं रहे हैं परन्तु हम निवेदन करना नहीं चूकेंगे। आखिर शिक्षा जैसे विषय के लिये बहुमत अल्पमत का मुद्दा न बने इसका भी हमें ध्यान रखना ही होगा । अतः आप चुनावों की और पक्ष की सरकार बनती है कि नहीं इसकी चिन्ता न करें। और फिर आप विपक्ष में हों तो भी सहयोग तो कर ही सकते हैं। | | '''शिक्षक''' : हम पक्ष से ऊपर उठकर काम करेंगे। देशभक्ति और देश की मिट्टी और पूर्वजों का गौरव सभी पक्षों के लिये समान मुद्दा बनना चाहिये । इसलिये हमारे सम्पर्क अभियान में सभी पक्षों की सरकारों का समावेश होगा । हम कमअधिक मात्रा में सहयोग और अवरोध की सम्भावनाओं को नकार नहीं रहे हैं परन्तु हम निवेदन करना नहीं चूकेंगे। आखिर शिक्षा जैसे विषय के लिये बहुमत अल्पमत का मुद्दा न बने इसका भी हमें ध्यान रखना ही होगा । अतः आप चुनावों की और पक्ष की सरकार बनती है कि नहीं इसकी चिन्ता न करें। और फिर आप विपक्ष में हों तो भी सहयोग तो कर ही सकते हैं। |
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| इस आयोग में सुलझे हुए विद्वजनों को लेना चाहिये । आयोग में बहुत अधिक व्यक्ति नहीं होने चाहिये । इस आयोग का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण देश होना चाहिये । साथ ही विश्व के प्रमुख देशों में भी उन्होंने जाना चाहिये । यह ध्यान में रखना चाहिये कि केवल अच्छी शिक्षा हमारा उद्देश्य नहीं है, अच्छी धार्मिक शिक्षा हमारा उद्देश है। वर्तमान समय में हम अच्छी शिक्षा की संकल्पना विचार में लेते हैं, परन्तु धार्मिक शिक्षा का मुद्दा छूट ही जाता है। हम सरकार के मन्त्रीमण्डल से इस आयोग के गठन हेतु परामर्श भी ले सकते हैं। | | इस आयोग में सुलझे हुए विद्वजनों को लेना चाहिये । आयोग में बहुत अधिक व्यक्ति नहीं होने चाहिये । इस आयोग का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण देश होना चाहिये । साथ ही विश्व के प्रमुख देशों में भी उन्होंने जाना चाहिये । यह ध्यान में रखना चाहिये कि केवल अच्छी शिक्षा हमारा उद्देश्य नहीं है, अच्छी धार्मिक शिक्षा हमारा उद्देश है। वर्तमान समय में हम अच्छी शिक्षा की संकल्पना विचार में लेते हैं, परन्तु धार्मिक शिक्षा का मुद्दा छूट ही जाता है। हम सरकार के मन्त्रीमण्डल से इस आयोग के गठन हेतु परामर्श भी ले सकते हैं। |
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− | '''शिक्षक''' : आपका यह विचार उत्तम है। आपका दोसौ वर्षों के इतिहास के लेखन का प्रस्ताव तो हमें पूर्ण रूप से स्वीकार्य है। मैं आज से ही योग्य व्यक्तियों को खोजकर उनसे बात करना शुरू कर देता हैं। शीघ्र ही मैं उनके नाम और अन्य जानकारी, अनुकूल विश्वविद्यालयों की जानकारी तथा प्रकल्प की रूपरेखा आपके सम्मुख प्रस्तुत करूँगा । आयोग हेतु आप दोनों सक्रिय हों तो पर्याप्त | + | '''शिक्षक''' : आपका यह विचार उत्तम है। आपका दोसौ वर्षों के इतिहास के लेखन का प्रस्ताव तो हमें पूर्ण रूप से स्वीकार्य है। मैं आज से ही योग्य व्यक्तियों को खोजकर उनसे बात करना आरम्भ कर देता हैं। शीघ्र ही मैं उनके नाम और अन्य जानकारी, अनुकूल विश्वविद्यालयों की जानकारी तथा प्रकल्प की रूपरेखा आपके सम्मुख प्रस्तुत करूँगा । आयोग हेतु आप दोनों सक्रिय हों तो पर्याप्त |
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| '''मन्त्री''' : आपने एक वर्ष की सम्पर्क योजना तो प्रस्तुत की परन्तु आगे की क्या योजना होगी ? मुझे लगता है कि कम से कम पाँच वर्षों की योजना बनाकर हमने काम प्रारम्भ करना चाहिये । अर्थात् आप अभी ही योजना बतायें ऐसा आग्रह नहीं है। | | '''मन्त्री''' : आपने एक वर्ष की सम्पर्क योजना तो प्रस्तुत की परन्तु आगे की क्या योजना होगी ? मुझे लगता है कि कम से कम पाँच वर्षों की योजना बनाकर हमने काम प्रारम्भ करना चाहिये । अर्थात् आप अभी ही योजना बतायें ऐसा आग्रह नहीं है। |
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− | '''शिक्षक''' : मैं विस्तार पूर्वक तो योजना कुछ दिनों बाद बताऊँगा परन्तु अभी मैं इतना कह सकता हूँ कि हमें तीन विभाग एक साथ शुरू करने होंगे। एक होगा विश्वअध्ययन केन्द्र, दूसरा होगा भारत अध्ययन केन्द्र और तीसरा होगा राष्ट्रीय ग्रन्थालय । हम तीनों विभागों की टोली को अपनी अपनी पाँच वर्षों की योजना बनाने के लिये बतायेंगे। प्रथम दो विभागों में अनुसन्धान से कार्य का प्रारम्भ होगा और धीरे धीरे नीचे की ओर चलते जायेंगे। | + | '''शिक्षक''' : मैं विस्तार पूर्वक तो योजना कुछ दिनों बाद बताऊँगा परन्तु अभी मैं इतना कह सकता हूँ कि हमें तीन विभाग एक साथ आरम्भ करने होंगे। एक होगा विश्वअध्ययन केन्द्र, दूसरा होगा भारत अध्ययन केन्द्र और तीसरा होगा राष्ट्रीय ग्रन्थालय । हम तीनों विभागों की टोली को अपनी अपनी पाँच वर्षों की योजना बनाने के लिये बतायेंगे। प्रथम दो विभागों में अनुसन्धान से कार्य का प्रारम्भ होगा और धीरे धीरे नीचे की ओर चलते जायेंगे। |
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| इस विश्वविद्यालय की व्याप्ति सम्पूर्ण विश्व की रहेगी परन्तु वह जहाँ भी होगा धार्मिक दृष्टि से विश्व का अध्ययन यह प्रमुख विषय रहेगा । इस दृष्टि को स्पष्ट करने हेतु चार आयामों में विचार होगा... | | इस विश्वविद्यालय की व्याप्ति सम्पूर्ण विश्व की रहेगी परन्तु वह जहाँ भी होगा धार्मिक दृष्टि से विश्व का अध्ययन यह प्रमुख विषय रहेगा । इस दृष्टि को स्पष्ट करने हेतु चार आयामों में विचार होगा... |
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| मुझे लगता है कि मेरे जैसे अनेकों के लिये आपका ग्रन्थालय आकर्षण का केन्द्र बनेगा। आप आवाहन करके अनेक विद्वानों और जिज्ञासुओं को अध्ययन हेतु निमंत्रित कर सकते हैं। लोगों का बिना प्रमाणपत्र के अध्ययन करने का मानस बने यह आवश्यक है। | | मुझे लगता है कि मेरे जैसे अनेकों के लिये आपका ग्रन्थालय आकर्षण का केन्द्र बनेगा। आप आवाहन करके अनेक विद्वानों और जिज्ञासुओं को अध्ययन हेतु निमंत्रित कर सकते हैं। लोगों का बिना प्रमाणपत्र के अध्ययन करने का मानस बने यह आवश्यक है। |
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− | '''शिक्षक''' : देखा, अभी तो हमने विचार शुरू ही किया है और हमें नई नई बातें सूझने लगी हैं। वास्तव में काम शुरू होगा तब तो अनेक नई नई बातें सूझेंगी। | + | '''शिक्षक''' : देखा, अभी तो हमने विचार आरम्भ ही किया है और हमें नई नई बातें सूझने लगी हैं। वास्तव में काम आरम्भ होगा तब तो अनेक नई नई बातें सूझेंगी। |
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| '''मन्त्री''' : मैं भी यह सब सुनकर बहुत ही रोमांचित हो रहा हूँ। अब तो आप शीघ्र ही अपनी तैयारी कर लीजिये और प्रारम्भ कब करेंगे यह बताइये । | | '''मन्त्री''' : मैं भी यह सब सुनकर बहुत ही रोमांचित हो रहा हूँ। अब तो आप शीघ्र ही अपनी तैयारी कर लीजिये और प्रारम्भ कब करेंगे यह बताइये । |
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| '''शिक्षक''' : आप ही कोई अच्छा दिन बतायें । | | '''शिक्षक''' : आप ही कोई अच्छा दिन बतायें । |
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− | '''मन्त्री''' : मुझे लगता है आगामी वर्षप्रतिपदा का दिन विश्वविद्यालय शुरू करने के लिये उचित रहेगा। सृष्टि संवत्सर के प्रारम्भ जैसा और कौन सा दिन उचित हो सकता है ? आपको पूर्व तैयारी के लिये भी समय मिल जायेगा। | + | '''मन्त्री''' : मुझे लगता है आगामी वर्षप्रतिपदा का दिन विश्वविद्यालय आरम्भ करने के लिये उचित रहेगा। सृष्टि संवत्सर के प्रारम्भ जैसा और कौन सा दिन उचित हो सकता है ? आपको पूर्व तैयारी के लिये भी समय मिल जायेगा। |
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− | '''शिक्षक''' : बिलकुल ठीक है । मैं आज से ही काम शुरू करता हूँ। इस ऐतिहासिक कार्य हेतु समर्थन और सहयोग देने हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद । अब मुझे आज्ञा दें। | + | '''शिक्षक''' : बिलकुल ठीक है । मैं आज से ही काम आरम्भ करता हूँ। इस ऐतिहासिक कार्य हेतु समर्थन और सहयोग देने हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद । अब मुझे आज्ञा दें। |
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